वैक्सीन नीति पर हस्तक्षेप नहीं करने के केंद्र के रुख पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमें समीक्षा का अधिकार

National Desk : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के वैक्सीन नीति के फैसले में हस्तक्षेप न करने के रुख पर पलटवार करते हुए कहा कि उसके पास न्यायिक समीक्षा का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने केंद्र की उदारीकृत टीकाकरण नीति की बारीकी से जांच की और कई दिशा-निदेशरें को पारित करने के अलावा, सरकार को इस संबंध में एक हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए। अदालत ने केंद्र से उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों और प्रश्नों पर जवाब देने को कहा है।

न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, एल. नागेश्वर राव और एस. रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि जब कार्यकारी नीतियों द्वारा नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो अदालत मूक दर्शक नहीं रह सकती है। यह कहते हुए अदालत ने जोर देकर कहा कि उसके पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है।

पीठ ने कहा, यह अदालत एक खुली अदालत की न्यायिक प्रक्रिया के तत्वावधान में कार्यपालिका के साथ विचार-विमर्श करेगी, जहां मौजूदा नीतियों के औचित्य का पता लगाया जाएगा और मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या वे संवैधानिक जांच से बचे हैं।

पीठ ने जोर देकर कहा कि अदालतों ने अक्सर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में कार्यपालिका की विशेषज्ञता को दोहराया है। इसने महामारी से लड़ने के लिए व्यापक अक्षांश की आड़ में मनमानी और तर्कहीन नीतियों के खिलाफ चेतावनी भी दी है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की वैक्सीन नीति में पांच मुद्दों का हवाला दिया, जिसमें विभिन्न श्रेणियों की आबादी के बीच वैक्सीन की खरीद और वितरण, निजी अस्पतालों द्वारा टीकाकरण के प्रभाव, अंतर मूल्य निर्धारण का आधार और प्रभाव, वैक्सीन लॉजिस्टिक्स और डिजिटल डिवाइड से जुड़े प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने वैक्सीन नीति के इन मुख्य क्षेत्रों के तहत कई निर्देश पारित किए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह टीकाकरण नीति के संबंध में अपनी सोच को दशार्ने वाले दस्तावेजों के साथ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अब तक टीकाकरण की आबादी के प्रतिशत (एक खुराक और दोनों खुराक के साथ) पर डेटा प्रस्तुत करे।

पीठ ने कहा, यूओआई (भारत संघ) यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी प्रासंगिक दस्तावेजों और फाइल नोटिंग की प्रतियां, जो इसकी सोच को दशार्ती हैं और टीकाकरण नीति में परिणत होती हैं, टीकाकरण नीति पर संलग्न होनी चाहिए। इसलिए, हम यूओआई को 2 सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने केंद्र को चरण 1, 2 और 3 में शेष आबादी का टीकाकरण कैसे और कब करना है, इसकी रूपरेखा तैयार करने पर भी जोर दिया।

शीर्ष अदालत ने टीकाकरण अभियान के पहले तीन चरणों में पात्र व्यक्तियों के मुकाबले आबादी के प्रतिशत (एक खुराक और दोनों खुराक के साथ) पर डेटा भी मांगा। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि डेटा में ग्रामीण आबादी का प्रतिशत और साथ ही अब तक टीकाकरण की गई शहरी आबादी का प्रतिशत शामिल होना चाहिए।

शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से कहा कि कोविड-19 के समस्त टीकों (कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक वी) की खरीद का ब्योरा देते हुए वह पूरे आंकड़े पेश करें। कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन खरीद की पूरी जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को आदेश दिया कि अभी तक वैक्सीन की जो खरीद हुई है उसका पूरा विवरण पेश करें।

इसके अलावा अब तक किनी आबादी को वैक्सीनेट किया जा चुका है, इसका भी डेटा पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वह बताए कि अभी तक कोरोना की कितनी वैक्सीन कब-कब खरीदी गई हैं। कितनी आबादी को वैक्सीन दी जा चुकी है और बाकी बचे लोगों को कबतक वैक्सीनेट किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज के लिए दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी अपडेट जानकारी भी दें।

शीर्ष अदालत ने देश में कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए उसके द्वारा शुरू किए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश पारित किया। अदालत ने मामले को 30 जून को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।

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