National Desk : “..मेरी बेटी नानी के घर से लौट रही थी, रास्ते में अगवा कर टीएमसी समर्थकों ने गैंगरेप किया। नौ मई की घटना की दस मई को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। मेडिकल मुआयने के बाद बेटी को पुलिस ने शेल्टर होम भेज दिया। पुलिस ने यह कहकर रेप पीड़ित बेटी से नहीं मिलने दिया कि जाओ दूसरी बेटी को देखो, उसके साथ भी रेप हो सकता है।”
कुछ ऐसी ही दास्तान सुनाई है पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के शिकार एक पीड़ित परिवार ने। ग्रुप ऑफ इंटलेक्च ुअल्स एंड एकेडमीशियन्स(जीआईए) नामक टीम ने पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के शिकार परिवारों से भेंटकर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंपी है। इस रिपोर्ट में बंगाल में हिंसा के शिकार तमाम परिवारों की दर्दनाक आपबीती है।
सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट मोनिका अरोड़ा, दिल्ली यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर सोनाली, डॉ. श्रुति मिश्रा, प्रोफेसर विजिता सिंह अग्रवाल आदि की टीम ने यह फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की है। ‘खेला इन बंगाल 2021’ नामक शीर्षक से पेश इस 128 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बंगाल में जमकर हिंसा की गई।
कई लोगों की हत्या की गई। बम से हमले किये गये। महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं हुईं। पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा में सबसे ज्यादा गरीब अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग प्रभावित हुए। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में हिंसा की जांच के लिए एसआईटी गठन की सिफारिश की है। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने केंद्रीय एजेंसियों से लेकर सभी आयोगों और सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग भी की है।