Yaas Update : यास से पीड़ितों को राहत देने के लिए ‘द्वार में राहत सेवाएं’ 3 जून से : ममता

Kolkata Desk : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में घोषणा की, यास से पीड़ितों को राहत देने के लिए ‘द्वार में राहत योजना’ 3 जुलाई से शुरू की जा रही है तथा राहत राशि 1 जुलाई से 8 जुलाई तक पीड़ितों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी। चक्रवात यास से अनुमानित 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह प्राथमिक गणना है। इसके बाद फील्ड सर्वे होगा। इससे वास्तविक क्षति पता चलेगी। यह बात ममता बनर्जी ने आज नवान्न में कही। इसके अलावा नुकसान का जायजा लेने के लिए तीन जून से ‘दरवाजे पे राहत’ योजना चालू की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि अम्फन के दौरान मुआवजे को लेकर प्रदेश में काफी हंगामा हुआ था। वैसी स्थिति दुबारा पैदा न हो अतः सरकारी अधिकारी इलाके में जा कर पीड़ितों से सीधे नुकसान का लेखा-जोखा करेंगे। मुआवजे का पैसा सीधे पीड़ितों के बैंक खातों में जाएगा।

ममता बनर्जी ने कहा कि राहत किसी की बातों में नहीं बांटी जाएगी। जिस तरह सरकारी अफसरों ने ‘द्वार में सरकार’ के दौरान क्षेत्र का दौरा किया था, उसी तरह वे इस बार भी दौरा करेंगे। जिस व्यक्ति का मकान टूट गया है, वह आवेदन पत्र लिखकर आवेदन पेटी में डाल देगा या हाथ में भी दे सकता है।

तीन जून से 18 जून तक गांवों और प्रखंडों में राहत परियोजनाएं चलाई जाएंगी। ममता ने कहा कि जिन लोगों की कृषि भूमि या फसलें बर्बाद हुई हैं या उनके मकानों को नुकसान हुआ है, वे मुआवजे के लिए आवेदन करेंगे। खुद का आवेदन खुद ही करें। इसलिए की बाद में कोई नहीं कह सकता कि मेरे लिए किसी ने कुछ नहीं किया। सभी आवेदनों को स्कैन किया जाएगा। इसके लिए 19 जून से 30 जून तक का समय लिया जाएगा। राहत राशि 1 जुलाई से 8 जुलाई तक पीड़ितों के बैंक खातों में सीधे दे दी जाएगी।

यास से राज्य को शुरुआती नुकसान अनुमानित 15 सौ करोड़ रुपये का : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज नवान्न में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यास से राज्य को शुरुआती नुकसान अनुमानित 15,000 करोड़ रुपये की हुई है।
यास से राज्य के 134 बांध भी ध्वस्त हुए हैं।चक्रवात यास के गुजर जाने के बाद नुकसान की तस्वीरें धीरे-धीरे उभर रही है। ममता बनर्जी ने कहा था कि पूरी तस्वीर सामने आने में कम से कम 72 घंटे का समय लगेगा। जमीन में जाकर देखने के बाद ही नुकसान की वास्तविकता का पता लगाया जा सकता है। यह आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित है।

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