सावधान! कोरोना होने पर भूलकर भी न करें ये तीन योगा/व्यायाम, दम घुटने से हो सकते है बेहोश

ऐसे कई सांस लेने वाले व्यायाम हैं जिन्हें आप संक्रमण से ग्रस्त होने के बाद कर सकते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनसे आपको दूरी बनानी चाहिए। आज डेढ़ साल बाद भी कोरोना का भय और आतंक लोगों को अंदर से खाए जा रहा है। कोरोना महामारी के बाद से ही लोगों में संक्रमण और इसके खतरे के जोखिम को कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं।

जिसमें श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाना सबसे ऊपर है। हम सभी जानते हैं कि कोरोनावायरस हमारे श्वसन तंत्र को ही नुकसान पहुंचाता है और फेफड़ों के टिश्यू को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। इस स्थिति में आपकी छाती में बलगम बनने लगता है और सांस फूलने लगती है।

कोविड से बचाव के लिए एक्सपर्ट भी श्वसन संबंधित योग या व्यायाम की सलाह दे रहे हैं लेकिन कुछ लोग अपनी मन-मर्जी से कुछ भी व्यायाम कर रहे हैं। श्वसन संबंधित व्यायाम वायु मार्ग साफ कर सकती है और फेफड़ों के सांस लेने की क्षमता को बढ़ा सकती है। ऐसे कई सांस लेने वाले व्यायाम हैं जिन्हें आप संक्रमण से ग्रस्त होने के बाद कर सकते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनसे आपको दूरी बनानी चाहिए।

ऐसे व्यायाम न सिर्फ आपके श्वसन तंत्र पर बहुत अधिक दबाव बढ़ा सकता है बल्कि कोरोना पॉजिटिव होने पर और या उससे ठीक होने के बाद भी आपकी सांस को फूला सकता है और अन्य समस्याओं का शिकार बना सकते हैं, अतः आपको विशेष रूप से तीन ऐसे व्यायाम के बारे में बताया जा रहा है, जिसे न करें यानी आपको इसे करने से बचना चाहिए।

1. कपालभाति प्राणायाम :

कपालभाति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहला शब्द कपाल, जिसका अर्थ है खोपड़ी और भाति का मतलब है चमकना। दरअसल श्वसन संबंधित व्यायाम या योग करने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इतना ही नहीं ये मेटाबॉलिक रेट को सुधार कर लिवर और किडनी के काम को बेहतर बनाती है। हालांकि ये एक तरह की एडवांस ब्रीदिंग टेक्नीक है, जो आपके शरीर के अंदरूनी अंगों पर ज्यादा दबाव डालने का काम करती है।

वहीं अस्थमा, हृदय संबंधी समस्याओं या फिर श्वसन संबंधी समस्या से पीड़ित लोगों को ये व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है। कोरोना से पीड़ित व्यक्ति को भी यह व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे आपको सांस फूलने और चक्कर आने की परेशानी हो सकती है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और अल्सर से परेशान लोगों को भी कपालभाति से बचना चाहिए।

2. मूर्छा प्राणायाम :

मूरछा शब्द के बारे में आपने कई बार पढ़ा होगा, जिसका अर्थ होता है “बेहोशी”। इस प्रकार की श्वसन संबंधित व्यायाम को “बेहोशी” ब्रीदिंग के रूप में भी जाना जाता है। इस व्यायाम में व्यक्ति को धीरे-धीरे सांस लेनी होती है और सांस को लंबे समय तक रोकना होता है। मूरछा प्राणायाम व्यक्ति में बेहोशी या तैरने की भावना को जगाती है, जिसे एक उन्नत किस्म की श्वास तकनीक माना जाता है। किसी भी आम व्यक्ति को यह व्यायाम करने की सलाह नहीं दी जाती है।

ये सिर्फ उन्हीं लोगों को करनी चाहिए, जिन्हें श्वसन संबंधित व्यायाम करने में महारत हासिल हो। कोरोना रोगियों को भी ये एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें सांस रोककर रखने से चक्कर आ सकता है, जो इस संक्रामक रोगों का एक लक्षण है। इतना ही नहीं यह आपके फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव भी डालती है, जिससे हाल-फिलहाल में ठीक हुए रोगी को दिक्कत हो सकती है।

3. भस्त्रिका प्राणायाम :

कपालभाती के समान दिखाई देने वाला भस्त्रिका प्राणायाम की विधि बिल्कुल अलग है। इस श्वसन संबंधित व्यायाम को करने के लिए आपको तेजी से सांस लेने और छोड़ने की जरूरत होती है। यह एक साधारण व्यायाम है, जो शरीर में बहुत अधिक गर्मी पैदा कर देती है और फेफड़ों पर बहुत अधिक दबाव डालती है। इसे करने से एक स्वस्थ व्यक्ति को भी चक्कर आ सकते हैं और वह हांफ सकता है। इसलिए कोरोना से पीड़ित मरीजों को इस व्यायाम से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जिन्हें दिल और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें भी इसे करने से बचना चाहिए।

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