बाबा श्री श्री आनन्दमूर्त्ति जी के जन्म- शताब्दी महोत्सव का भव्य समापन

“योग फार लिबरेशन” फोरम की ओर से से आनन्द मार्ग के प्रवर्त्तक तारक ब्रह्म महासम्भूति महाकौल बाबा श्री श्री आनन्दमूर्त्ति जी के जन्म-शताब्दी (1921-2021) महोत्सव ( जूम पर आनलाइन ) के अवसर पर 20 मई से 23 मई 2021 तक आनन्दमूर्त्ति जी द्वारा प्रदत्त प्रभात संगीत(5018 गीतों का संकलन)पर आधारित ‘गायन’ व ‘नृत्य’ प्रतियोगिता तथा ‘कौशिकी नृत्य’ और ‘ताण्डव नृत्य’ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

जिसमें देश के कोने -कोने ( बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात,महाराष्ट्र, ओडिशा, आदि ) से तथा कनाडा, यू एस, मेक्सिको, मलेशिया, बंगलादेश आदि से 86 प्रत्याशियों ने भाग लिया. ये सभी ‘ बाल ग्रुप’, ‘किशोर ग्रुप’ तथा ‘वयस्क ग्रुप’ में शिरकत किये. अव्वल आने वाले प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय विजेताओं को बाबा जन्मदिवस 26 मई (बैशाखी पूर्णिमा) को आनलाइन ‘प्रशस्ति- पत्र’ प्रदान किया जायेगा, साथ ही अन्य सबों को ‘सान्त्वना-पत्र’ दिया जायेगा.

विदित हो कि बाबा श्री श्री आनन्दमूर्त्ति जी का जन्म 21 मई 1921 ई. को बिहार के मूंगेर जिला के जमालपुर में हुआ था. जन्म से ही ईश्वरीय दिव्यता से विभूषित ये अपने माता- पिता के चौथे सन्तान थे. बचपन से ही गम्भीर और अत्यधिक विलक्षण प्रतिभा-सम्पन्न होने के कारण सिर्फ 18 वर्ष की अवस्था में इन्होंने कलकत्ता के एक दुर्दान्त डाकू कालीचरण बन्धोपाध्याय (बाद में कालिकानन्द अवधूत बने) को प्रथम ‘दीक्षा’ (1939 में) दी और अपने को पहली बार महाकौल सद्गुरु के रूप में उद्घाटित किया.

द्वितीय विश्वयुद्ध की विश्व व्यापी विभीषिका तथा भारत को राजनैतिक स्वतंत्रता मिलने के बाद इन्होंने इने-गिने लोगों को स्वयं दीक्षा दी. पुनः 1955 के जनवरी में ‘आनन्द मार्ग प्रचारक संघ’ संस्था की स्थापना के बाद इन्होंने आनन्द मार्ग के आदर्शों का तीव्र गति से प्रचार-प्रसार के लिये 1961 तक सैंकड़ों गृहस्थ आचार्यों को प्रशिक्षित किया. संस्था का कार्य तब भारत के कोने कोने में फैल चुका था. संस्था के प्रति समर्पित होकर कार्य करने हेतु 1962 से पूर्णकालिक संन्यासी आचार्यों व अवधूतों को तैयार किया।

पहली बार 1966 में भारत के बाहर अफ्रीका के केन्या देश में मार्ग के प्रचार के लिये पहला संन्यासी आचार्य भेजा. इस प्रकार 1971 तक आनन्द मार्ग के दर्शन व आदर्श का प्रचार 5 देशों में हो गया. दिसम्बर 1971 के अन्त तक CBI ने आनन्द मार्ग के द्रुत गति से प्रसार पर अंकुश लगाने तथा तत्कालीन भारत सरकार द्वारा इसे समूल नष्ट करने के लिये आनन्दमूर्ति जी के ऊपर अनेक संगीन हत्या के आरोपों के अन्तर्गत इन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया गया.

इसी दौरान 12 फरवरी 1973 को मध्य-रात्रि में इन्हें दवा के रूप में विष दिया गया जिसके दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिये इन्होंने 5 वर्ष 4 महीने 1 दिन निराहार उपवास किया. अन्त में 2 अगस्त 1978 में पटना उच्च न्यायालय द्वारा इन्हें सभी मामलों से बरी कर दिया गया. इसी दौरान ‘मीसा’ में आनन्द मार्ग़ संस्था को भी भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया गया किन्तु आनन्द मार्ग के आचार्यों तथा साधकों के द्वारा इसका प्रचार प्रसार दुनिया के 95 देशों में हो गया.

’80 के दशक में आनन्द मार्ग का प्रचार-प्रसार पुनः गति पकड़ा क्योंकि इस लगाया गया प्रतिबन्ध 1977 में इन्दिरा सरकार के पतन के बाद नवनिर्वाचित जनता सरकार के द्वारा उठा लिया गया था. इस दौरान श्रीश्री आनन्दमूर्त्ति जी के सर्वोच्च आध्यात्मिक व्यक्तित्व तथा उनके द्वारा सम्पूर्ण विश्व मानवता के सर्वांगीण कल्याण हेतु प्रतिपादित बहुआयामी जीवन दर्शन से प्रभावित होकर हजारों युवक उनकी प्रतिष्ठा के लिये जीवन न्योछावर किया.

आनन्दमूर्त्ति जी ने आध्यात्मिक दर्शन, आध्यात्मिक साधना, सामाजिक दृष्टिकोण (नव्य-मानवतावाद), ईश्वर केन्द्रित सामाजिक-आर्थिक दर्शन ‘प्रउत ‘(प्रगतिशील उपयोग तत्त्व), समाज शास्त्र, और स्वयं प्रवर्त्तक के रूप में आज के पीड़ित, शोषित अवहेलित मानवता के सर्वांगीण मुक्ति का पथ प्रदर्शन किया है.

साथ ही, उनहोंने संगीत का एक अभिनव घराना का शुभारम्भ किया जिसके सभी 5018 गीत उनके द्वारा लिखित तथा सुरबद्ध करे गये हैं जो संगीत के अधिकांश महत्वपूर्ण राख-रागिनियों में तथा विभिन्न विधाओं में आबद्ध है. उन्होंने ‘माइक्रोवाइटा’ नामक एक वैज्ञानिक सिद्धान्त का प्रवर्त्तन किया है. उन्होंने दर्शन, धर्म शास्त्र, समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, भूगोल, पर्यावरण,भाषा, साहित्य, संस्कृति, वर्ण-परिचय, शब्द- परिचय, व्याकरण आदि विभिन्न विषयों पर ग्रथों के रूप में नवीन आयाम और आदर्श प्रस्तुत किया है. 21 अक्टुबर 1990 में अपने तिलजला स्थित आश्रम-निवास पर अपने पार्थिव शरीर का त्याग किया.

‘आनन्द मार्ग प्रचारक संघ’ उनके द्वारा दिग्दर्शित विधानों के अनुसार आज दुनिया के 160 देशोँ में आध्यात्मिकता का प्रसार व जरूरतमंदों की सेवा में संलग्न है। दिनांक 23 मई (रविवार) को अपराह्न 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक ‘जूम’ ऐप पर आनलाइन ‘बाबा जन्म- शताब्दी महोत्सव’ का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसके ‘विशिष्ट अतिथि’ डा. प्रसेनजित कुमार, लंदन ने बाबा श्रीश्री आनन्दमूर्त्ति जी के प्रतिकृति पर माल्यार्पण कर तथा ‘मुख्य अतिथि’ आचार्य सत्यव्रतानन्द अवधूत ने बाबा के प्रतिकृति पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.

देहरादून से भ्राता-द्वय उद्धव और तन्मय बजाज ने शंखनाद किया. इन्द्राणी (सोलापुर), अन्तिम निर्मल(बेतिया), कल्पना निर्मल(बक्सर, बिहार), जयन्ती(कनाडा), जयेशना(टेक्सास, यू एस ए), आचार्य रागात्मानन्द अवधूत (मेक्सिको), चिरदीप देव(बंग्लादेश) से प्रभात संगीत का लाइव परिवेशन किया वहीं रत्नेश श्रीवास्तव (फरीदाबाद) ने “बाबा नाम केवलम्” (सिद्ध अष्टाक्षरी महामंत्र) का छ: दिशाओं में ‘आवर्त्त कीर्त्तन’ करवाया. आनलाइन मिलित ईश्वर प्रणिधान के उपरान्त विशिष्ट अतिथि डा. प्रसेनजित कुमार(लंदन) ने बाबा के आदर्श का प्रसार के लिये अपनी प्रतिबद्धता जताई वहीं मुख्य अतिथि आचार्य सत्यव्रतानन्द अवधूत(पटना) ने बाबा के अपने व्यक्तिगत सान्निध्य को याद कर साधकों को भाव- विभोर कर दिया.

मौके पर उपस्थित आचार्य कृपानन्द अवधूत(भागलपुर, बिहार) ने भी बाबा के शुरूआती दिनों का स्मरण कर उनके द्वारा बताये गये दिशा निर्देशों को दुहराया और साधना तथा आचरण विधि का कठोरता से पालन करने की नसीहत दी. इस अवसर पर आचार्य अनुध्यानानन्द अवधूत(यू एस ए) तथा आचार्य दीप्तिमयानन्द अवधूत(नैरोबी, अफ्रीका) ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये. कार्यक्रम के मुख्य निर्देशक तथा ‘योग फार लिबरेशन’ के निर्देशक आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत(पटना) ने इस युग- संक्रमण काल में आनन्द मार्ग आदर्श की महत्ता को बताया साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं के नाम और प्राप्त रैंक की धोषणा की.

कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी पंकज बजाज ने तकनीकी दृष्टिकोण से समायोजित करने के दायित्व प्रदान करने हेतु जहां पूरी टीम के प्रति आभार व्यक्त किया वहीं सम्पूर्ण कार्यक्रम के कार्यकारी प्रभारी तथा संयोजक व्यंजना आनन्द, बेतिया ( बिहार) ने सभी अतिथियों तथा श्रोताओं व दर्शकों का हृदय से आभार व्यक्त किया .विदित हो कि प्रतिदिन प्रात: 6 बजे ‘योग फार लिबरेशन’ के जूम लिंक पर नि: शुल्क योग प्रशिक्षण दिया जाता है जो स्वास्थ्य-रक्षा के लिये व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

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