बंगाल : ‘रेड जोन’ में जिले रखने को लेकर केंद्र से ममता सरकार की तकरार

कोलकाता : बंगाल सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर जोर देते हुए कहा कि राज्य में 10 नहीं, बल्कि चार ही जिले ‘रेड जोन’में हैं। इसको लेकर अब बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच विवाद छिड़ गया है। दरअसल, राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ कैबिनेट सचिव की वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पेश की गई सूची में राज्य में 10 ‘रेड जोन’ होने का केंद्र सरकार ने जिक्र किया था।

पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव विवेक कुमार ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में इस सूची को एक त्रुटिपूर्ण आकलन करार दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र के निर्धारित मानदंडों को ध्यान में रखते हुए चार ‘रेड जोन’ कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर घोषित किया है।
विवेक कुमार ने पत्र में ‘रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन’ वाले राज्य के जिलों और इलाकों का सही वर्गीकरण भी अटैच किया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में अभी आठ जिले ‘ग्रीन जोन’ में हैं जबकि 11 जिले ‘ऑरेंज जोन’ में हैं।

दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बंगाल के 10 जिले- कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पश्चिमी मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी, कलीमपोंग और मालदा ‘रेड जोन’ में हैं। इस वर्गीकरण की घोषणा कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में 30 अप्रैल को मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ हुई एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान की गई थी।

बंगाल सरकार को बदनाम करने की साजिश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सूची पर तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह राज्य सरकार को बदनाम करने की कोशिश है। वरिष्ठ टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद सांतनु सेन ने कहा, ‘बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का एकमात्र उद्देश्य बंगाल को बदनाम करना है और महामारी से निपटने के लिए उसके प्रयासों में रुकावट पहुंचाना है। केंद्र, राज्य सरकार की सहमति लिए बिना, 10 जिलों को कैसे हॉटस्पॉट घोषित कर सकता है? यह संघीय ढांचे का उल्लंघन है।’

बीजेपी का ममता सरकार पर पलटवार
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोविड-19 स्थिति पर बंगाल सरकार का झूठ हर दिन उजागर हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 स्थिति के बारे में झूठ बोल रही है। आंकड़ों को छिपाने के इस रवैये ने बंगाल को गंभीर चरण में पहुंचा दिया है। अगर राज्य सरकार शुरू से ही महामारी से निपटने के लिए गंभीर होती, तो अभी बहुत बेहतर होता।

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