नई दिल्ली। Corona in India : कोविड टीकों की आपूर्ति और कमी को लेकर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच की तल्खी के बीच, सच्चाई यह है कि भारत 1.6 अरब की प्री-बुकिंग से दुनिया में कोविड दवा का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। अमेरिका स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के एक हालिया विश्लेषण के अनुसार, भारत ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को 500 मिलियन डोज, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब और रूसी स्पुतनिक वी वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक के प्री ऑर्डर दिए थे।
सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सितंबर तक कोवोवैक्स (कंपनी और नोवावैक्स द्वारा संयुक्त रूप से विकसित) के लॉन्च में देरी की घोषणा की है। इसे सितंबर में लॉन्च किया जाएगा।
एसआईआई सीईओ अदार पूनावाला ने पिछले महीने ट्विटर पर कहा था कि, “इसका कोरोना के अफ्रीकी और यूके वेरिएंट के खिलाफ टेस्ट किया गया है और इसकी कुल प्रभावकारिता 89 प्रतिशत है।”
रिपोर्ट्स में पूनावाला के हवाले से कहा गया है कि महत्वपूर्ण कच्चे माल के निर्यात पर अमेरिका द्वारा अस्थायी प्रतिबंध से नोवावैक्स जैसे टीकों का उत्पादन सीमित हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, एक बार खरीदे या विकसित किए गए ये टीके, भारतीय आबादी के लगभग 60 प्रतिशत लोगों को तेजी से टीकाकरण करने में मदद कर सकते हैं।
वैश्विक विश्लेषण के अनुसार, भारत शीर्ष कोविड -19 वैक्सीन खरीदार था, जिसके बाद यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका का स्थान है। जब रूसी कोविड -19 वैक्सीन स्पुतनिक वी की बात आती है, तो भारतीय दवा नियामक की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने कोविड -19 वैक्सीन प्रस्तावों पर काम करते हुए अतिरिक्त डेटा मांगा है।