तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : रेलनगरी कहे जाने वाले खड़गपुर के चुनाव में केंद्रीय रेल मंत्री की उपस्थिति का खास महत्व है। इसे समझते हुए अलग – अलग राजनीतिक दलों ने अलग-अलग काल खंडों में तत्कालीन रेल मंत्रियों से चुनाव प्रचार कराने की भरसक कोशिश की। राजद उम्मीदवार के पक्ष में माहौल तैयार करने को 2006 के चुनाव में तब के रेल मंत्री लालू यादव ने भी जम कर जलवा बिखेरा था।
यह और बात है कि इसका कोई विशेष लाभ वाममोर्चा को नहीं मिल पाया था । भारतीय जनता पार्टी भी इस मामले में पीछे नहीं है। 2016 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के लिए तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु से चुनाव प्रचार कराया था। तब चुनाव प्रचार के बिल्कुल आखिरी दिन प्रभु ने गोलबाजार के रविन्द्र इंस्टीट्यूट में आयोजित एक सभा को संबोधित किया था।
रेल शहर होने के नाते खड़गपुर को अपना मायका बताते हुए प्रभु ने कहा था कि यहां तो वो कभी आ सकते हैं । लेकिन चूंकि मौका चुनाव का है , इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे , न कोई आश्वासन ही देंगे । उनके वक्तव्य का अर्थ यही लगाया गया कि शहर की समस्याओं की उन्हें जानकारी है और समय आने पर वे इसे अवश्य पूरा करेंगे।
कहना मुश्किल है कि रेल मंत्री के आश्वासन का कितना फायदा भाजपा को हुआ क्योंकि चुनाव तो आखिरकार भाजपा ही जीती थी लेकिन सच्चाई यही है कि रेल इलाके की समस्याओं को लेकर संबंधित क्षेत्र के लोगों की अभी भी ढेरों शिकायतें हैं, जिसका अहसास विभिन्न राजनीतिक दलों को है। मंगलवार को शहर पहुंचे रेल मंत्री पीयूष गोयल लोगों की नब्ज पकड़ने में किस हद तक सफल हुए हैं, इसका फैसला भी भविष्य ही करेगा।