डोनाल्ड ट्रंप बनाम यूरोपीय यूनियन

यूक्रेन जंग मुद्दे पर 15 यूरोपियन देशों की लंदन में डिफेंस सम्मिट- नाटो तुर्की यूरोपीय यूनियन के प्रेसिडेंट शामिल!
ट्रंप-यूरोप में मतभेदों के बीच, यूरोपीय यूनियन अध्यक्ष भारत के साथ पीँगे बनाने को आतुर? रूस का तंज भारत की शरण में पूरा यूरोप? भारत की अहम भूमिका- अधिवक्ता के. एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया का हर देश यह महसूस कर रहा है कि अमेरिका में ट्रंप शासन आने के बाद दुनिया की परिस्थितियों में परिवर्तन हो रही है, ट्रंप के अमेरिकी फर्स्ट के विजन के कारण ट्रंप तेजी से ऐसी परिस्थितियों लाने को आतुर हैं, ताकि अमेरिका की आर्थिक स्थिति मजबूत हो, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो, यूक्रेन की खनिज में हिस्सेदारी तथा रूस के साथ दोस्ती की पीँगे बढ़ाना, व्हाइट हाउस में ट्रंप जेलेंस्की विवाद इत्यादि इसी का ही एक हिस्सा माना जा सकता है, तो उधर 27 देश का संगठन यूरोपीय यूनियन, नाटो, तुर्की इत्यादि पूरी स्थिति को समझ रहे हैं, क्योंकि ईयू को पूरी प्रक्रिया में अलग- थलग किया जा रहा है।

नतीजा यह है कि शुक्रवार 28 फरवरी 2025 को व्हाइट हाउस में ज़ेलेंसकी व ट्रंप की गहमा गहमी के बाद जैलेंसकी जब सीधे ब्रिटेन लंदन पहुंचे तो उन्हें हाथों-हाथ लिया गया, ईयू नाटो तुर्की उसके साथ खड़े दिखे जबकि दो अन्य देश विरोध कर रहे थे। लंदन में यूरोपीय यूनियन देशों का यूक्रेन जंग मुद्दे पर डिफेंस समिट हुआ, जिसमें यूक्रेन की मदद की बात की गई व अमेरिका को युद्ध समझौता प्लान देने पर बातचीत हुई। संयोगवश उसी दौरान यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष 27-28 फरवरी 2025 को भारत दौरे पर थी, जहां विदेश मंत्री व पीएम से सफल चर्चा के बाद रूस ने तंज कसा कि यूरोप भारत की शरण में जा रहा है।

अर्थात भारत का रुतबा बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, ऐसा मेरा मानना है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, ट्रंप बनाम यूरोपीय यूनियन, यूरोपीय देशों में मतभेदों के बीच यूरोपीय यूनियन अध्यक्ष भारत के साथ पीँगे बढ़ाने को आतुर? रूस का तंज, भारत की शरण में पूरा यूरोप? जिससे भारत की अहम भूमिका हो गई है।

साथियों बात अगर हम यूरोपीय यूनियन के चर्चा में आने व यूक्रेन को समर्थन करने की करें तो जेलेंस्की के सपोर्ट में कई यूरोपीय देश यूरोप के कई नेताओं ने जेलेंस्की के लिए अपना समर्थन जताया है। नॉर्वे, नीदरलैंड, पोलैंड, यूरोपीय यूनियन, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी जेलेंस्की के लिए समर्थन जताया।जेलेंस्की शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने व्हाइट हाउस पहुंचे थे। जहां दोनों के बीच तीखी बहस हो गई। ट्रम्प-वेंस और जेलेंस्की एक-दूसरे की तरफ उंगली दिखाते नजर आए। ट्रम्प ने कई बार जेलेंस्की को फटकार भी लगाई। उन्होंने कहा कि वो तीसरा विश्वयुद्ध कराने का जुआ खेल रहे हैं।

जेलेंस्की ने कहा कि जब आप युद्ध में होते हो, तो सबके साथ परेशानियां होती हैं।भविष्य में इस युद्ध का असर अमेरिका पर भी पड़ेगा। ट्रम्प यह सुनकर झुंझला गए और उन्होंने कहा कि हमें मत बताइए कि हमें क्या महसूस करना चाहिए। यूक्रेन जंग के मुद्दे पर यूरोपीय देशों की डिफेंस समिट लंदन में हुई। इस बैठक में 15 देशों के राष्ट्र प्रमुख, तुर्की के विदेश मंत्री, नाटो के महासचिव, यूरोपीय संघ और यूरोपीय काउंसिल के प्रेसिडेंट शामिल हुए। ब्रिटिश पीएम ने गले लगाकर जेलेंस्की का स्वागत किया ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने दो बार यूक्रेनी राष्ट्रपति को गले लगाया।

सबसे पहले उन्होंने जेलेंस्की के लंदन पहुंचने पर गले लगाकर उनका स्वागत किया, फिर डिफेंस समिट में जेलेंस्की के पहुंचने पर दूसरी बार गले लगाया।इससे पहले जब जेलेंस्की शनिवार को इंग्लैंड पहुंचे तो सड़कों पर लोगों ने जेलेंस्की के सपोर्ट में जोरदार नारे लगाए। स्टार्मर ने उन्हें रिसीव किया और कहा कि आपको पूरे ब्रिटेन का सपोर्ट हासिल है। हम आपके और यूक्रेन के साथ खड़े हैं, भले ही इसमें कितना भी वक्त क्यों न लग जाए। जेलेंस्की ने इस सपोर्ट के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। यूक्रेन के सपोर्ट के मुद्दे पर यूरोपियन यूनियन के अंदर भी दरार नजर आ रही है। स्लोवाकिया के पीएम रॉबर्ट फिको का कहना है कि वो यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य तौर पर मदद नहीं देंगे।

यूक्रेन कभी भी सैन्य ताकत के दम पर रूस को बातचीत के टेबल पर नहीं ला पाएगा। इससे पहले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने भी जेलेंस्की के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का सपोर्ट किया है। व्हाइट हाउस में दोनों के बीच हुई बहस के बाद उन्होंने ट्रम्प को मजबूत और जेलेंस्की को कमजोर कहा था। उन्होंने ट्रम्प का धन्यवाद भी किया था। ब्रिटेन ने यूक्रेन को 24 हजार करोड़ का लोन दिया। इसके लिए शनिवार को ब्रिटिश पीएम स्टार्मर और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने समझौते पर साइन किए।

साथियों बात अगर हम व्हाइट हाउस में ट्रंप से गहमा गहमी के बाद जैलेंसकी सीधे लंदन यात्रा पर पहुंचने की करें तो पीएम स्टार्मर ने कहा हमारी कोशिश यूक्रेन को मजबूत स्थिति में लाना है। हम यूक्रेन के लिए अपना समर्थन दोगुना कर रहे हैं। स्टार्मर ने कहा कि समिट में शामिल नेताओं ने यूक्रेन के लिए सैन्य सहायता जारी रखने और रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने पर सहमति जाहिर की है। किसी भी शांति वार्ता में यूक्रेन को शामिल किया जाना चाहिए।

स्टार्मर का कहना है कि किसी भी समझौते में रूस को शामिल करना जरूरी होगा, लेकिन रूस ने इससे पहले कई बार समझौतों का उल्लंघन किया है, ऐसे में हमें यह तय करना होगा कि यूक्रेन को दी जाने वाली गारंटी पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। आगे के संघर्ष से बचने के लिए गारंटी की जरूरत है। इस बैठक से पहले स्टार्मर ने कहा था कि ब्रिटेन, फ्रांस और यूक्रेन मिलकर रूस-यूक्रेन जंग को रोकने के प्लान पर काम करने के लिए राजी हुए हैं। ये प्लान अमेरिका के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि ये प्लान तभी काम करेगा जब अमेरिका अपनी सुरक्षा गारंटी पर टिका रहेगा।

साथियों बात अगर हम यूक्रेन जंग मुद्दे पर हुए डिफेंस समिट में अन्य देशों की प्रतिक्रिया की करें तो, बैठक के बाद किसने क्या कहा,
(1) उर्सुला वॉन डेर लेयेन : यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष ने कहा कि हमें यूरोप को तत्काल हथियारबंद करना होगा। हमें डिफेंस निवेश बढ़ाना होगा। यह यूरोपीय यूनियन की सुरक्षा के लिए जरूरी है। हमें फिलहाल सबसे खराब हालात के लिए तैयार रहना चाहिए। इसे लेकर 6 मार्च को यूरोपीय परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा।

(2) मार्क रूटे : नाटो के महासचिव ने कहा कि यूरोपीय देश सुरक्षा के लिए खर्च और यूक्रेन को सपोर्ट बढ़ाने के लिए कदम उठाएंगे। अभी तक कोई शांति समझौता नहीं हुआ है, लेकिन हमें इसके लिए तैयार रहना होगा और यह तय करना होगा कि यूरोपीय देश सुरक्षा गारंटी के साथ मदद करने के लिए तैयार हैं।

(3) डोनाल्ड टस्क : पोलैंड के राष्ट्रपति ने कहा कि ‘यूरोप जाग गया है’ और अब यूक्रेन के लिए समर्थन और यूरोपीय यूनियन के ईस्ट बॉर्डर को मजबूत करने पर एक स्वर में बोल रहा है।
(4) ओलाफ शोल्ज : जर्मन चांसलर ने कहा कि आज की बैठक काफी महत्वपूर्ण थी। यह रूसी हमले से जूझ रहे यूक्रेन के लिए यूरोप का समर्थन जाहिर करने का मौका था।

साथियों बात अगर हम ट्रंप के जंग से दूर रहने की करें तो, अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि अगर कोई जंग छिड़ती है तो इससे अमेरिका दूर रहेगा। अब बड़ा सवाल उठता है कि यूक्रेन तो रूस से युद्ध लड़ नहीं पाएगा, तो फिर क्या यूरोपीय देश रूस से सीधा जंग लड़ेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने जेलेंस्की से मुलाकात से पहले यूरोप का प्रतिनिधित्व करने आए ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर कीर स्टार्मर से भी मुलाकात की थी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि पूरे यूरोप की रूस के साथ जंग छिड़ने जा रही है और उसका सेंटर पॉइंट यूक्रेन बनेगा।

वहीं इससे पहले उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों से भी मुलाकात की थी। इस दौरान भी दोनों नेता सहज स्थिति में नहीं थे। अमेरिका के युद्ध से पीछे हटने के बाद जेलेंस्की जंग में अकेले पड़ गए हैं। ऐसे में यूरोपियन यूनियन के देशों को साथ आना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें सबसे पहले यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी देनी होगी। हालांकि संभावना यह भी है कि अगर वह यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी देने पर सहमत होते हैं तो रूस यूरोपीय देशों पर हमले शुरू कर सकता है।

साथियों बात अगर हम यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष की 27-28 फ़रवरी 2025 को भारत यात्रा की करें तो, उनके इस यात्रा के में उनके साथ यूरोपीय संघ के कमिशनर के समूह भी थे। यह यूरोपीय संघ के कमिश्नर के समूह की भारत की पहली यात्रा थी और उर्सुला वॉन डेर लेयेन की भारत की तीसरी यात्रा थी। यूरोपीय संघ के कमिशनर के समूह, 27 सदस्य वाली यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों के आयुक्तों से बना है। यह पहली बार था कि यूरोपीय संघ के कमिशनर के समूह, यूरोप के बाहर का दौरा कर रहे थे। ईयू अध्यक्ष भारत यात्रा के दौरान, भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक भी नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। ईयू अध्यक्षा ने नई दिल्ली में पीएम के साथ बैठक की और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त वक्तव्य की मुख्य बिन्दु :

(1) भारत और यूरोपीय संघ 2025 में पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देंगे।
(2) दोनों, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु, जल, स्मार्ट और टिकाऊ शहरीकरण, कनेक्टिविटी और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार और गहरा करने पर सहमत।
(3) दोनों स्वच्छ हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा, अपतटीय पवन, टिकाऊ शहरी गतिशीलता, विमानन और रेलवे जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग तेज करने पर सहमत।

(4) दोनों भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) को साकार करने के लिए कदम उठाएंगे।
(5) आईएमईसी को 2023 में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक के दौरान प्रस्तावित किया गया था। इसका उद्देश्य संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के माध्यम से यूरोपीय संघ के देशों को भारत से जोड़ना है।
(6) कॉरिडोर में दो परियोजनाएं हैं : भारत और खाड़ी देशों के बीच एक पूर्वी समुद्री लिंक और अरब प्रायद्वीप को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी खंड।

भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की दूसरी बैठक 28 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। दोनों देशों के प्रतिनिधि ने इस बैठक की सह -अध्यक्षता की।
टीटीसी के बारे में :
(1) इसकी स्थापना अप्रैल 2022 में पीएम और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष द्वारा की गई थी।
(2) यह व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुख्य द्विपक्षीय मंच है।
(3) पहली बैठक मई 2023 में ब्रुसेल्स में आयोजित की गई थी।

भारत और यूरोपीय संघ के संबंध यूरोपियन यूनियन (ईयू) 27 यूरोपियन देशों का एक समूह है।
(1) भारत और यूरोपीय संघ ने 2004 में अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने पर सहमत हुए।
(2) यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
(3) 2023 में दोनों के बीच कुल व्यापार 124 बिलियन यूरो 2023 था।
(4) संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद यूरोपीय संघ भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।

(5) भारत, ईयू का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
(6) पिछले दशक में ईयू और भारत के बीच वस्तुओं का व्यापार लगभग 90पेर्सेंट बढ़ गया है।
(7) 2023 में, ईयू और भारत के बीच सेवाओं का व्यापार 59.7 बिलियन यूरो था।
(8)भारत में लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियाँ मौजूद हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप बनाम यूरोपीय यूनियन। यूक्रेन जंग मुद्दे पर 15 यूरोपियन देशों की लंदन में डिफेंस सम्मिट – नाटो तुर्की यूरोपीय यूनियन के प्रेसिडेंट शामिल! ट्रंप-यूरोप में मतभेदों के बीच, यूरोपीय यूनियन अध्यक्ष भारत के साथ पीँगे बनाने को आतुर? रूस का तंज भारत की शरण में पूरा यूरोप? भारत की अहम भूमिका!

(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)

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