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महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में अमृत स्नान जैसे महासंयोग से दुनिया होगी खुशहाल
महाकुंभ पर महाशिवरात्रि एक महासंयोग, इस दिन आसमान में सात ग्रह परेड करते दिखाई देंगे, जो अद्भुत दुर्लभ भौगोलिक घटना है
महाशिवरात्रि पर महाकुंभ संगम स्नान कई मायनों में अहम होने की मान्यता है, इस दिन सात ग्रहों के परेड से विश्व में शांति सद्भाव व खुशहाली होगी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चल रहे इस अद्भुत महाकुंभ समागम जिसमें मेरा मानना है 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि के दिन तक करीब 70 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके होंगे! श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई होनें की संभावना प्रबल है इसका मतलब है कि भारत की करीब 60 प्रतिशत जनता ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। संभावित रूप से अपने पापों का विसर्जन भी कर दिया है जिसका अंतिम अवसर दिनांक 26 फरवरी 2025 को है। हालांकि महाशिवरात्रि का महाकुंभ से महासंयोजन बन रहा है जिससे महाशिवरात्रि के दिन ही अंतिम स्नान कर महाकुंभ का समापन होगा।
एक आध्यात्मिक जानकार के अनुसार त्रिवेणी में स्नान तो कभी भी कर सकते हैं परंतु महाकुंभ संयोग शिवरात्रि के संगम के दिन जैसा पुण्य नहीं मिलेगा, ऐसी मान्यता है। महाशिवरात्रि पर आलेख लिखने के लिए मैं चार दिनों से रिसर्च कर रहा हूं तो मैंने पाया यह त्यौहार किसी एक राज्य या देश तक सीमित नहीं है, यह पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक राज्यों व विदेशों में भी मनाया जाता है, जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे। चूँकि महाकुंभ पर महाशिवरात्रि एक महासंयोग है, इस दिन आसमान से सात ग्रह परेड करते दिखाई देंगे, जो अद्भुत दुर्लभ व भौगोलिक घटना है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में अमृत स्नान जैसा महासंयोग है जिससे दुनिया खुशहाल होगी।
साथियों बात अगर हम महाशिवरात्रि महापर्व को जानने की करें तो,हिन्दुओं के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्व रखता है, हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है, इस साल यह पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।महाशिवरात्रि को शिव की महान रात के रूप में मनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।महाशिवरात्रि का उपवास रखने की प्रथा काफी सालों से चली आ रही है। कुछ लोग इस व्रत के दौरान पूरा दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करते, वहीं कुछ भक्त फल, दूध और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करते हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त पूरे श्रद्धा भाव से भोले नाथ की पूजा अर्चना करते हैं।
भोलेनाथ को इस दिन बेलपत्र दूध, फल और मिठाई अर्पित की जाती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। कहा जाता है कि इस एक दिन व्रत रखने से पूरे साल की गई शिव पूजा के समान फल की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साल 2025 में महाकुंभ के साथ महाशिवरात्रि का विशेष योग बन रहा है। यह एक अद्भुत संयोग है जो 144 साल बाद आता है। महाकुंभ और महाशिवरात्रि दोनों ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार हैं। महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि है और इसी दिन महाकुंभ का आखिरी स्नान भी होगा। इस दिन संगम तट पर विशाल स्नान और पूजा का आयोजन होगा।
साथियों बात अगर हम महाशिवरात्रि अनेक राज्यों व विदेशों में भी विधि विधान से मनाए जाने की करें तो महाशिवरात्रि तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में स्थित अन्नामलाईयर मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन पूजा की विशेष प्रक्रिया गिरिवलम या गिरि प्रदक्षिणा है, जो पहाड़ी की चोटी पर शिव के मंदिर के चारों ओर नंगे पैर 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा है। भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर जैसे कि वाराणसी और सोमनाथ, महाशिवरात्रि पर विशेष रूप से लोग दर्शनार्थ आते हैं। वे मेलों और विशेष आयोजनों के लिए भी स्थल के रूप में काम करते हैं।
कर्नाटक में महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे बहुत भव्यता के साथ मनाया जाता है। उत्साही भक्त पूरी रात जागते हैं और अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं। धर्मस्थल मुरुदेश्वर, गोकर्ण, नंजनगुड, माले मडेश्वर हिल्स, कडु मल्लेश्वर, कोटिलिंगेश्वर, मायलारालिंगेश्वर जैसे लोकप्रिय मंदिर स्थलों में राज्य और अन्य पड़ोसी राज्यों से भक्तों की भीड़ उमड़ती है।आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पंचरामस में विशेष पूजा आयोजित की जाती है। अमरावती के अमरारामम, भीमावरम के सोमारामम, द्रक्षरामम , समरलाकोटा के कुमाररामम और पलाकोल्लू के क्षीरारामम।
शिवरात्रि के तुरंत बाद के दिनों को 12 ज्योतिर्लिंग स्थलों में से एक, श्रीशैलम में ब्रह्मोत्सवलु के रूप में मनाया जाता है। वारंगल में रुद्रेश्वर स्वामी के 1000 स्तंभों वाले मंदिर में महाशिवरात्रि उत्सव आयोजित किया जाता है। श्रीकालहस्ती, महानंदी, यागंती, अंतरवेदी, कट्टामांची, पट्टीसीमा, भैरवकोना, हनमकोंडा कीसगुट्टा वेमुलावाड़ा, पनागल, कोलानुपका सहित अन्य स्थानों पर विशेष पूजा के लिए भक्त उमड़ते हैं। शिवरात्रि पर यात्राएँ कंभलापल्ले के पास मल्लय्या गुट्टा, रेलवे कोडुरु के पास गुंडलकम्मा कोना, पेन्चलाकोना, भैरवकोना, उमा महेश्वरम सहित अन्य स्थानों पर आयोजित की जाती हैं। मंडी शहर में लगने वाला मंडी मेला महाशिवरात्रि समारोह के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि क्षेत्र के सभी देवी-देवता, जिनकी संख्या 200 से अधिक है, महाशिवरात्रि के दिन यहां एकत्रित होते हैं।
कश्मीर शैव धर्म में महाशिवरात्रि : कश्मीर के हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है और इसे कश्मीरी में “हेराथ” कहा जाता है, यह शब्द संस्कृत शब्द हरारात्रि से लिया गया है जिसका अर्थ है हरा की रात (शिव का दूसरा नाम)। उदाहरण के लिए हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाने वाला शिवरात्रि, उनके द्वारा फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी या तेरहवीं को मनाया जाता है, न कि देश के बाकी हिस्सों की तरह चतुर्दशी या चौदहवीं को।
नेपाल : महाशिवरात्रि नेपाल में एक राष्ट्रीय अवकाश है और पूरे देश में मंदिरों में विशेष रूप से पशुपतिनाथ मंदिर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। हजारों भक्त पास के प्रसिद्ध शिव शक्ति पीठम में भी जाते हैं। पूरे देश में पवित्र अनुष्ठान किए जाते हैं। महाशिवरात्रि को टुंडीखेल में सेना मंडप में आयोजित एक शानदार समारोह के बीच नेपाली सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। राजधानी काठमांडू में, सड़क अवरोध का प्रावधान है जहां बच्चे पैसे के बदले में लोगों या वाहन को गुजरने से रोकने के लिए रस्सियों और तारों का उपयोग करते हैं। शिव के उपासक पूरी रात जागते हैं और कुछ लोग मारिजुआना भी पीते हैं क्योंकि माना जाता है कि शिव एक शौकीन धूम्रपान करने वाले थे और इस दिन मारिजुआना धूम्रपान को ‘शिव को प्रसाद’ या ‘शिव बूटी’ लेना कहा जाता।
पाकिस्तान : एक प्रमुख मंदिर जहां शिवरात्रि मनाई जाती है वह कराची में श्री रत्नेश्वर महादेव मंदिर है जिसके शिवरात्रि उत्सव में 25,000 लोग शामिल होते हैं। शिवरात्रि की रात, कराची में हिंदू उपवास करते हैं और मंदिर जाते हैं। बाद में चनेसर गोठ से भक्त शिव की मूर्ति को स्नान कराने के लिए पवित्र नदी से जल लेकर मंदिर आते हैं। पूजा सुबह 5 बजे तक की जाती है, उसके बाद आरती की जाती है। फिर भक्त फूल, अगरबत्ती , चावल, नारियल और एक दीया लेकर महिलाओं के साथ नंगे पांव समुद्र की ओर चलते हैं, जिसके बाद वे अपना उपवास तोड़ने के लिए स्वतंत्र होते हैं। वे बाद में नाश्ता करते हैं, जो मंदिर की रसोई में बनाया गया होता है।
दक्षिण एशिया के बाहर : महा शिवरात्रि नेपाल और भारत के शैव हिंदू प्रवासियों के बीच मुख्य हिंदू त्योहार है। इंडो-कैरिबियन समुदायों में हजारों हिंदू कई देशों के चार सौ से ज़्यादा मंदिरों में खूबसूरत रात बिताते हैं, शिव को विशेष झाल (दूध और दही, फूल, गन्ना और मिठाई का प्रसाद) चढ़ाते हैं।
मॉरीशस : मॉरीशस में हिंदू गंगा तलाव, एक गड्ढा-झील की तीर्थयात्रा पर जाते हैं।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में अमृत स्नान जैसे महासंयोग से दुनिया होगी खुशहाल। महाकुंभ पर महाशिवरात्रि एक महासंयोग, इस दिन आसमान में सात ग्रह परेड करते दिखाई देंगे, जो अद्भुत दुर्लभ भौगोलिक घटना है। महाशिवरात्रि पर महाकुंभ संगम स्नान कई मायनो में अहम होने की मान्यता है, इस दिन सात ग्रहों के परेड से विश्व में शांति सद्भाव व खुशहाली होगी।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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