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वाराणसी। ज्योतिष शास्त्र में मांगलिक योग, कालसर्प योग, केमद्रुम जैसे अशुभ योगों में विषकन्या योग भी शामिल है। विषकन्या योग को सभी अशुभ योगों में प्रमुख में कह सकते हैं। इस योग के होने से सबसे ज्यादा परेशानी वैवाहिक जीवन में देखा जाता है। इसलिए विवाह के समय इस योग की जांच जरूर करनी चाहिए।
इन स्थितियों में बनता है विषकन्या योग : अश्लेषा या शतभिषा नक्षत्र में जन्म हो और उस दिन रविवार के साथ द्वितीया तिथि भी हो तो विषकन्या योग बनता है।
कृतिका, विशाख़ा या शतभिषा शतभिषा नक्षत्र हो और उस दिन रविवार के साथ द्वादशी तिथि भी मौजूद हो तब यह योग बनता है।
अश्लेषा, विशाखा या शतभिषा नक्षत्र हो औऱ साथ में मंगलवार और सप्तमी तिथि भी हो तब विषकन्या योग निर्मित होता है।
अश्लेषा नक्षत्र शनिवार के दिन कन्या का जन्म हो और साथ में द्वितीया तिथि भी हो तो यह अशुभ योग कुंडली में होता है।
शतभिषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन द्वादशी तिथि में किसी कन्या के जन्म होने पर उस कन्या की कुंडली में यह अशुभ विषकन्या योग बनता है।
शनिवार के दिन कृतिका नक्षत्र हो साथ में सप्तमी या द्वादशी तिथि हो तब विषकन्या योग प्रभावी होता है।
कुंडली में शनि लग्न में, सूर्य पंचम भाव में और मंगल नवम भाव में होने पर भी ‘विषकन्या योग का निर्माण होता है।
कुंडली के लग्न में कोई पाप ग्रह बैठा है और अन्य शुभ ग्रह जैसे चंद्रमा, शुक्र, गुरु, बुध कुंडली छठे, आठवें या बारहवें घर में हों तब विषकन्या योग बनता है।
किसी कन्या की कुंडली में छठे स्थान पर कोई पाप ग्रह जैसे शनि, राहु, केतु किसी अन्य दो शुभ ग्रहों के साथ युति बनाए तो यह विषकन्या योग बनाता है।
इसके अलावा यदि किसी कन्या की जन्मकुंडली के सप्तम स्थान में कोई भी पाप ग्रह राहु, केतु, शनि, मंगल बैठा हो और उसे इनमें से कोई दूसरा ग्रह आमने-सामने बैठकर देख रहा हो ता विषकन्या योग प्रभावी होता है।
विषकन्या योग हमारे जीवन में बहुत नकारात्मक प्रभाव लाते है। इस योग से पीड़ित जातक को अपने जीवन में अशुभ फलो की प्राप्ति होती है।
विष कन्या योग के प्रभाव : मानसिक अशांति और अस्थिरता, स्वास्थ्य समस्याएँ, विशेष रूप से त्वचा या रक्त विकार।
रिश्तों में समस्याएँ : करियर और धन संबंधी बाधाएँ, अचानक दुर्घटनाएँ या अप्रत्याशित संकट।
उपाय :
1) भगवान शिव की पूजा करें – नियमित रूप से रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
2) राहु और शनि के उपाय करें- राहु के लिए ॐ राहवे नमः मंत्र और शनि के लिए शनि चालीसा का पाठ करें।
3) चंद्रमा को मजबूत करें- मोती रत्न धारण करें और सोमवार का व्रत करें।
4) दान करें- गरीबों को काले तिल, सरसों का तेल और काले वस्त्र दान करें।
5) गाय को हरा चारा खिलाएँ- इससे नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं।
ज्योतिर्विद रत्न और दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो 99938 74848
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