रूस यूक्रेन शांति वार्ता सऊदी अरब के रियाद में शुरू

वार्ता में ईयू व यूक्रेन शामिल नहीं होने से हड़कंप- भारत को क्या फायदा होगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति का टैरिफ, अवैध प्रवासियों को हटाने की कार्रवाई के बाद अब रूस यूक्रेन युद्ध रुकवाने पर फोकस
भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था तेल आधारित है, शांति समझौते से रूस पर लगे प्रतिबंध हटेंगे तो भारत को बहुत फायदा होगा- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जैसा कि कयास लगाए जा रहे थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद दुनिया बदलने की और अग्रसर होगी, क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी प्रचार अभियान में बहुत सारे वादे किए थे जिन्हें वह क्रमवार पूरे करते जा रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अब 18 फरवरी 2025 को सऊदी अरब के रियाद में बैठक रखी है जिसमें रूस, अमेरिका के विदेश मंत्री शामिल हुए हैं। यूक्रेन व यूरोपीय संघ को इस बैठक से अलग रखा गया है, जिससे हड़कंप मचा हुआ है, अनेक ईयू सदस्य देश अलग-अलग राग अलाप रहे हैं। बता दें रूस और यूक्रेन के बीच लगभग तीन सालों से चल रहा युद्ध अब समाप्त हो सकता है। दोनों देशों के बीच शांति समझौते के लिए अमेरिका और रूस सऊदी अरब में बैठक चल रही है। सुलह की संभावना के बीच सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई है।

रूस-यूक्रेन शांति समझौते से रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी और इसकी संभावना भर से ही तेल की कीमतें नीचे जा रही हैं। ट्रंप ने दुनिया के देशों पर जो टैरिफ लगाया है, उससे भी आर्थिक विकास धीमा होने और ऊर्जा की मांग कम होने की आशंका है। तेल की कीमतों पर इन चिंताओं का भी असर देखने को मिल रहा है, तेल की कीमत लगातार गिर रहा है। वैश्विक क्रूड ट्रेडमार्क ब्रेंट रूस-यूक्रेन को बीच शांति से भारत को क्या होगा फायदा? भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी 85 प्रतिशत से अधिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते से भारत को बहुत फायदा मिलने वाला है, क्योंकि रूस भारत का शीर्ष कच्चा तेल सप्लायर है।

एक जानकारी के मुताबिक, दिसंबर 2024 में भारत के कुल कच्चा तेल आयात में रूसी तेल का हिस्सा 31 प्रतिशत था, वहीं नवंबर 2024 में यह 36 प्रतिशत था। रूसी तेल पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को रूस से साथ तेल व्यापार में दिक्कतें आ रही हैं। एक दिक्कत खरीदे गए तेल के भुगतान का भी है, लेकिन अगर रूस पर लगे प्रतिबंध हटते हैं तो भारत को फायदा होगा। भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था तेल आधारित है जिस पर तेल की कीमतों में गिरावट और उछाल का भारी असर देखने को मिलता है। अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो भारत में महंगाई बढ़ जाती है और अगर घटती हैं तो महंगाई में भी नरमी देखने को मिलती है।

तेल जब सस्ता होता है तो पेट्रोल-डीजल का दाम भी गिरता है जिससे वस्तुओं के परिवहन की लागत कम होती है। परिवहन लागत कम होने से वस्तुओं के दाम में भी कमी देखने को मिलती है और महंगाई दर कम है। चूँकि अमेरिकी राष्ट्रपति टैरिफ, अवैध प्रवासियों को हटाने की कार्रवाई के बाद अब रूस, यूक्रेन युद्ध रुकवाने पर फोकस कर रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, रूस यूक्रेन शांति वार्ता सऊदी अरब के रियाद में शुरू है। वार्ता में यूरोपियन संघ व यूक्रेन शामिल नहीं होने से हड़कंप, शांति समझौते से भारत को क्या फायदा होगा?

साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति के रूस यूक्रेन युद्ध रोकने के फैसले पर संशय को पांच पॉइंट में समझने की करें तो, एक रिपोर्ट के अनुसार माना जा रहा है कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि ट्रंप साल के आखिरी तक रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रुकवा सकते हैं, न कि ईस्टर तक। खैर हमें ये भी समझना होगा कि इस युद्ध को रोकना इतना भी आसान नहीं है, जितना ट्रंप समझ रहे हैं, क्योंकि एक तरफ ट्रंप और पुतिन तो सीजाफायर के लिए हामी भर रहे हैं, लेकिन यूक्रेन और यूरोप इसमें अगर-मगर कर रहे हैं, ऐसे में इस खबर को 5 प्वॉइंट्स में समझेंगे कि इस युद्ध को खत्म होने में अभी और कितने दिन लगेंगे?

(1) रूस यूक्रेन का युद्ध रोकना इतना आसान इसलिए भी नहीं है, क्योंकि यूक्रेन की बैकिंग करने वाले कई देश हैं, जो यूक्रेन को पीछे से सहायता कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर हैं, हाल ही में स्टार्मर ने कहा है कि वो यूक्रेन के लिए अपनी सेना भेजने को तैयार हैं। स्टार्मर ने कहा कि ब्रिटेन रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को बढ़चढ़ समर्थन करता रहेगा।

(2) इन्हीं सहायता के कारण अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि वो अमेरिका के कहने पर पुतिन से शांति वार्ता के लिए तभी मिलेंगे जब अमेरिका और यूरोपीय नेताओं में एक साझा योजना पर सहमति बन जाएगी।
(3) वहीं जेलेंस्की की दूसरी शर्त है कि कि यूक्रेन नाटो में रहना चाहता है और वह रूस के कब्जा किए गए क्षेत्रों को मान्यता नहीं देगा, जब अमेरिका जेलेंस्की की इन शर्तों को मानेगा तभी वो शांति समझौते के लिए तैयार होंगे।

(4) एक तरफ अमेरिका यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को खत्म करने की कोशिश में जुटा है, मगर उसके इस कदम से यूरोप में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस स्टार्मर ने कहा है कि वह सोमवार को इस मुद्दे पर पेरिस में आयोजित एक शीर्ष बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद ही कोई यूक्रेन कोई फैसला लेगा। इससे साफ समझा जा सकता है कि 20 तक इस युद्ध को रोकना मुमकिन नहीं है। इस बैठक में जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, इटली, पोलैंड, स्पेन और डेनमार्क के शीर्ष नेता एक मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं।

(5) इतना ही नहीं, इस युद्ध को ना रोकने के लिए जेलेंस्की को ताकत देने वाले नाटो का भी कम रोल नहीं है। दरअसल, नाटो यूक्रेन को अपने संगठन में शामिल करने के लिए बार-बार कह रहा है, लेकिन उसको शामिल नहीं कर रहा है। साथ ही वो बराबर सैन्य शक्ति भी दे रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि 20 फरवरी यानी ईस्टर डे तक ये समझौता करना काफी मुश्किल है।

साथियों बात अगर हम युद्ध विराम या समाप्ति की संभावना से कच्चे तेलों की कीमतों में भारी गिरावट व उससे भारत को फायदे की करें तो, रूस और यूक्रेन के बीच लगभग तीन सालों से चल रहा युद्ध अब समाप्त हो सकता है! दोनों देशों के बीच शांति समझौते के लिए अमेरिका और रूस सऊदी अरब में मिलने वाले हैं। सुलह की संभावना के बीच सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई है। रूस-यूक्रेन शांति समझौते से रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी और इसकी संभावना भर से ही तेल की कीमतें नीचे जा रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के देशों पर जो टैरिफ लगाया है, उससे भी आर्थिक विकास धीमा होने और ऊर्जा का मांग कम होने की आशंका है।

तेल की कीमतों पर इन चिंताओं का भी असर देखने को मिल रहा है। लगातार गिर रहा वैश्विक क्रूड ट्रेडमार्क ब्रेंट, वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड सोमवार को 20 सेंट या 0.2 प्रतिशत गिरकर 74.59 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के अधिकारियों ने यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस के साथ बातचीत शुरू कर दी है और उसके बाद से ही ब्रेंट क्रूड की कीमतों में चार सत्रों 3.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, अमेरिका का वेस्ट टेक्सास क्रूड सोमवार को 23 सेंट या 0.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ 70.51 डॉलर प्रति बैरल पर था। पिछले चार सत्रों में डब्लूटीआई में 3.8 प्रतिशत की गिरावट आई है और सोमवार को यह 70.12 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया।

30 दिसंबर के बाद डब्लूटीआई में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रविवार को कहा कि वो यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने पर चर्चा करने के लिए बहुत जल्द रूसी राष्ट्रपति से मिल सकते हैं। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अमेरिका और रूस आने वाले दिनों में सऊदी अरब में मिलकर युद्ध समाप्त करने पर चर्चा करने वाले हैं। 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू करने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें उसके तेल निर्यात पर चोट करना भी शामिल था। रूसी तेल पर प्रतिबंध से समुद्र के जरिए रूस की तेल सप्लाई बहुत कम हो गई, शांति समझौते से रूसी तेल पर लगे प्रतिबंध हटेंगे जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा मिल सकता है।

साथियों बात अगर हम शांति प्रक्रिया बैठक में यूक्रेन व यूरोपीय संघ के सदस्यों को नहीं बुलाने पर नाराजी की करें तो, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना, किसी भी वार्ता के परिणाम उनके लिए अस्वीकार्य होंगे। उन्होंने साफ किया है कि अगर कीव को इस वार्ता में शामिल नहीं किया गया तो वार्ता व्यर्थ ही जाएगी। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत कीथ केलॉग सुरक्षा गारंटी संबंधी चर्चा के लिए कीव आएंगे। बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ रूसी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे, रूसी प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव शामिल होंगे। यूक्रेन को इस वार्ता में शामिल नहीं किया गया है, जो कि अमेरिकी नीति में बदलाव का संकेत है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि रूस यूक्रेन शांति वार्ता सऊदी अरब के रियाद में शुरू- वार्ता में ईयू व यूक्रेन शामिल नहीं होने से हड़कंप- भारत को क्या फायदा होगा? अमेरिकी राष्ट्रपति का टैरिफ, अवैध प्रवासियों को हटाने की कार्रवाई के बाद अब रूस यूक्रेन युद्ध रुकवाने पर फोकस। भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था तेल आधारित है, शांति समझौते से रूस पर लगे प्रतिबंध हटेंगे तो भारत को बहुत फायदा होगा।

(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)

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