वाराणसी। हिंदू धर्म में माघ माह को त्योहारों का महीना कहा जाता है, क्योंकि इस महीने में सकट चौथ, षटतिला एकादशी, मौनी अमावस्या और गुप्त नवरात्रि जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं। इस दौरान वसंत पंचमी का पर्व भी इस माह में ही पड़ता है, जो संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उनकी उपासना करने से साधक की खुशियों में वृद्धि होती हैं। पंचांग की मानें तो हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाई जाती है।
इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में घर, मंदिरों व शिक्षा से जुड़े सभी संस्थानों में मां सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। यह दिन विद्यार्थियों के लिए और भी खास माना गया है। बता दें मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत, और रचनात्मकता की देवी कहा जाता है, देवी की उपासना से विद्यार्थियों के कला कौशल में निखार और ज्ञान में वृद्धि होती हैं।
कब है वसंत पंचमी? : पंचांग के अनुसार इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
सरस्वती पूजा मुहूर्त : इस साल 2 फरवरी 2025 को वसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि के समय देवी सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।
शुभ योग : पंचांग के मुताबिक 2 फरवरी को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का निर्माण होगा, जिस पर शिव और सिद्ध योग का संयोग रहेगा। इस तिथि पर सूर्य मकर राशि में रहेगें। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 मिनट तक रहेगा। अमृतकाल रात 20:24 से 21:53 मिनट तक है।
सरस्वती पूजा की सामग्री : वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए सामग्री में आप मां शारदा की तस्वीर, गणेश जी की मूर्ति और चौकी व पीला वस्त्र शामिल करें। इसके अलावा पीले रंग की साड़ी, माला, पीले रंग का गुलाल, रोली, एक कलश, सुपारी, पान का पत्ता, अगरबत्ती, आम के पत्ते और धूप व गाय का घी भी शामिल करें। वहीं कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू और चंदन, अक्षत, दूर्वा, गंगाजल रखना न भूलें।
वसंत पंचमी पूजा विधि : वसंत पंचमी के दिन पूजा के लिए पूजा स्थान पर एक चौकी लगाएं। उस पर पीला साफ वस्त्र बिछाएं। माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें। देवी को पीले रंग के वस्त्र, फूल, रोली, केसर और हल्दी व चंदन अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं और दीया जलाएं। मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। अब आरती करके प्रसाद वितरित कर दें।
बसंत पंचमी के दिन करें अमृत स्नान : इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। और महाकुंभ का आयोजन 12 वर्ष के बाद किया जाता है। हालांकि इस बार महाकुंभ के अवसर पर बन रहे योग पूरे 144 वर्ष के बाद बने हैं। महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत महत्व होता है और बसंत पंचमी के दिन भी अमृत स्नान होगा। बसंत पंचमी को संगम नगरी में गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से अमृत स्नान के लाभ के साथ-साथ विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा भी प्राप्त होगी और विद्या, बुद्धि और विवेक बढ़ेगा।
पतझड़ की शुरुआत : बसंत का मौसम आने पर पेड़ अपने पुराने पत्ते गिराकर नए पत्ते लाते हैं, वैसे ही हमें भी बुरी आदतें छोड़नी चाहिए। हमें नई चीजें सीखनी चाहिए। हमें जीवन में नई शुरुआत करनी चाहिए। हमें पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। ज्ञान हमारे जीवन में उजाला लाता है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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