‘हिन्दी साहित्य में हाशिए का स्वर : दशा और दिशा’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, पुस्तक लोकार्पण व राहुल सांकृत्यायन सम्मान समारोह सम्पन्न

नैहाटी। 22 दिसंबर 2024, रविवार को नैहाटी म्युनिसिपैलिटी के समरेश बसु कक्ष में गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार व बर्ड एण्ड वकेट कल्चरल लेगेसी प्रोजेक्ट, कैलिफोर्निया(यू. एस. ए.) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण सहित ‘राहुल सांकृत्यायन सम्मान-2024’ समारोह का आयोजन संपन्न हुआ। ‘हिन्दी साहित्य में हाशिए का स्वर : दशा और दिशा’ विषय पर आधारित इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही थी पदार्पण पत्रिका की संपादक, गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार की सचिव एवं ‘पडाव’ साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था की अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. इंदु सिंह।

संगोष्ठी में सम्माननीय वक्ताओं में उपस्थित थें- पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, बारासात हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार, युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया एट वर्कले (यू.एस.ए.), साउथ एशिया डिपार्टमेंट के फूलब्राईट फेलो एण्ड सिनियर लेक्चरर, डॉ. अभिजीत पॉल, हरि सिंह महाविद्यालय, हवेली (खड़गपुर), बिहार के असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ. सुनील कुमार, महाबोधि महाविद्यालय (बी.एड) बिहार के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंजनी कुमार सुमन, कुल्टी कॉलेज, कुल्टी, पश्चिम बंगाल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गुलनाज बेगम, जगद्दल श्री हरि उच्च विद्यालय, जगद्दल पश्चिम बंगाल के सहायक शिक्षक, डॉ. कार्तिक कुमार साव, रामकृष्ण मिशन आवासीय महाविद्यालय, नरेंद्रपुर, कोलकाता के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरदीप साव, श्री अग्रसेन महाविद्यालय, डालखोला, उत्तर दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजू कुमार एवं बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल, के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बिक्रम कुमार साव।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रकृति के प्रतीक नन्हे पौधे पर जलार्पण कर किया गया। संगोष्ठी का स्वागत वक्तव्य, गारुलिया मिल हाई स्कूल (एच.एस.) के सहायक शिक्षक डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने दिया। उन्होंने स्वागत वक्तव्य में सभी अतिथि विद्वानों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए विषय का प्रवर्तन किया।

वक्तव्य सत्र में डॉ. बिक्रम कुमार साव ने कहा कि ‘हाशिए का साहित्य प्रतिरोध का साहित्य है। यह प्रतिरोध साहित्य में संवेदनाओं को जिलाए रखने की कवायद है। जीवन में घटित दो घटनाओं का उदाहरण देकर उन्होंने साहित्य अध्ययन और रचने के प्रति विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

डॉ. राजू कुमार ने ‘साहित्य में हाशिए के वर्ग को परिभाषित करते हुए वर्ग भेद के षड्यंत्रों सहित हाशिए के समाज की स्थिति को ‘अबला-सबला’ अर्थात् शक्तिशाली और शक्तिहीन के आधार पर श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।’

डॉ. अमरदीप साव ने उपन्यास साहित्य के आधार पर ध्यानाकर्षित करते हुए कहा कि ‘सत्ता, शक्ति, संपत्ति का अंतर ही समाज में हाशिए और गैर हाशिए के अस्तित्व को स्थापित करता है।’

डॉ. कार्तिक कुमार साव ने हाशिए वर्ग के समस्त समाज, विशेष रूप से स्त्री, कृषक, किन्नर कि स्थिति-परिस्थिति से संबंधित आंकड़ा युक्त वक्तव्य प्रस्तुत किया।

डॉ. गुलनाज बेगम ने स्त्री और किन्नर वर्ग विशेष पर चिंता प्रकट करते हुए उनके भावनात्मक दोहन पर श्रोताओं को सोचने और विचार ने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिर्फ हाशिए पर बातचीत करना, बदलाव नहीं ला सकता। जब तक कि हम उनके भावों-संवेदनाओं से नहीं जुड़ते।

डॉ. अंजनी कुमार सुमन ने शायराना अंदाज में अपने वक्तव्य का आरंभ करते हुए कहा कि हाशिए का जीवन एक अभिशाप है, यह अभिशाप विरोध के माध्यम से ही दूर हो सकता है, यह विरोध बोलकर, लिखकर हम दर्ज कर सकते हैं।

डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि हाशिए का स्वर सिर्फ साहित्य में ढूंढ़ने से उसका मूल्य अधूरा रह जाएगा। समाज में भी जो हाशिए के लक्षण हैं उसके प्रति भी आवाज उठाने की आवश्यकता है, संस्थागत भेद-भाव, व्यवस्था, कार्यप्रणाली, शिक्षाप्रणाली, न्यायप्रणाली सभी स्थानों में व्याप्त हाशिए की स्थिति के लिए आवाज बुलंद करने का समय आ गया है।

डॉ. अभिजीत पॉल ने हाशिए पर पड़े हुए पर्यावरणीय समस्याओं पर बात रखते हुए कहा कि हम मानव साहित्य, भाव, विचार आदि की बातें तभी कर पाएँगें, जब हम मानव रूप में उपस्थित रहेंगे। जिस प्रकार से हम मानव, पर्यावरणीय समस्याओं को अनदेखी कर हाशिए पर धकेल दे रहे हैं, यह बहुत ही भयावह है।

डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि हाशिए का समाज का अर्थ किनारे कर दिए गये लोगों से लिया जाता है, चाहे वह किसी भी श्रेणी अथवा वर्ग का हो। हमें समझना होगा कि यह कर कौन रहा है। सीधी सी बात है व्यवस्था! जिसे सरकारें बनाती है और सरकार हम बनाते हैं। मूलतः हमें स्वयं को शिक्षित (सिर्फ डिग्री धारी होना नहीं) संवेदनशील, संस्कारित करना होगा। तभी हाशिए का समस्त वर्ग मुख्यधारा में शामिल हो पायेगा।

अध्यक्षीय वक्तव्य में सुप्रसिद्ध कथाकारा, लेखिका, संपादक, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. इंदु सिंह ने सभी वक्ताओं के वक्तव्यों का समर्थन करते हुए कहा कि हिन्दी में हाशिए की दशा-दिशा पर अगर हम बात करते हैं, तब पूरा समाज उस कटघरे में खड़ा हो जाता है। हिन्दी के कई साहित्यकारों ने साहित्य में हाशिए के स्वर को मुखरित किया है। प्रेमचंद, ओमप्रकाश बाल्मीकि, नागार्जुन जैसे रचनाकारों के विचारों को हमें आत्मसात करना होगा और उनके मार्गदर्शन में इसकी दिशा को निर्धारित करना होगा।

व्याख्यान सत्र के मध्य ही ‘राहुल सांकृत्यायन सम्मान’ समारोह व पुस्तक लोकार्पण किया गया। इस वर्ष ‘राहुल सांकृत्यायन सम्मान 2024’ से शिक्षक व कवि बैजनाथ कुमार ‘बैजू’ जी को सम्मानित किया गया। उन्हें श्रीफल, उत्तरीय, उपहार और सम्मान राशि एवं मानपत्र देकर ग्रंथागार के अध्यक्ष डॉ. मान बहादुर सिंह सहित मंचासीन विद्वत मंडली ने उनका मान बढ़ाया।

साहित्यिक व सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गये योगदान पर मानपत्र का वाचन डॉ. बिक्रम कुमार साव द्वारा किया गया। साथ ही डॉ. इंदु सिंह द्वारा लिखित ‘थेरी गाथा स्त्री अस्मिता’, माला वर्मा की यात्रा वृत्तांत पुस्तक – ‘अजरबैजान’ तथा डॉ. बिक्रम कुमार साव द्वारा संपादित पुस्तक ‘NEP 2020 Transformation of Education in India’ का लोकार्पण सभी सम्मानित विद्वतजनों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन कलिंपोंग गर्वनमेंट हाई स्कूल के असिस्टेंट मास्टर, उत्तम कुमार ठाकुर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रुद्रकांत द्वारा किया गया।

संगोष्ठी को सफल बनाने में कार्यक्रम के संयोजक रेबेका विटिंगटन, सह-संयोजक जीतेन्द्र जितांशु, पप्पू रजक, सुभाष कुमार साव, गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार के अध्यक्ष डॉ. मान बहादुर सिंह की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम में उपरोक्त गणमान्य सदस्य सहित राजकुमार साव, दिनेश दास, डॉ. विकास साव, श्याम रजक, राहुल सिंह, सावनी राम, प्रिति चौधरी, रूपा साव, धवन साव, स्नेहा साव, सोनाली तिवारी, अंजलि चौधरी, अंजलि चतुर्वेदी, कोमल साव, आयुषी रविदास, नेहा साव, मंदिरा कोईरी, मुक्ति दास, स्नेहा सिंह, अनुज पंडित, प्रियांशु राय, आनन्द साव, सुमित दास, स्वीटी साव, राकेश मिश्रा , मुस्कान साव, बरखा चौधरी, निशिका साव, ममता पांडे राहुल चौधरी, नंदनी रजक, अफजल रहमान, शंटु, रितेश, सुमन साव, शुभम साव, सुमन कुमारी राम, महक कुमारी साव, रोहन, रिक्की साव सहित विविध महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, शिक्षक व शोधार्थी उपस्थित रहें।

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