43 वर्षों बाद भारत की सफल कुवैत यात्रा 21-22 दिसंबर 2024- भारत कुवैत रिश्ता सभ्यताओं, सागर व व्यापार व्यवहार के अतीत से जुड़ा है

कुवैत में लाखों भारतीयों के बीच मिनी हिंदुस्तान का जलवा- मैत्रीपूर्ण संबंध की जड़ें ऐतिहासिक है
मिशन कुवैत पर 43 वर्ष के बाद भारतीय पीएम का दौरा गेम चेंजर साबित होगा- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र।
वैश्विक स्तर पर भारत जिस तेज़ी के साथ विश्व पर नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, अगर नेतृत्व का विस्तार यूएन से लेकर पूरी दुनियाँ तक विस्तारित है तो भारत शीघ्र विश्व गुरु बन जाए तो इसमें किसी को अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि विजन 2047 के कारण भारत अपनी हर नीति को रणनीतिक तरीके से दूरगामी परिणामों को प्राप्त करने के लिए क्रियान्वयन कर रहा है जो रेखांकित करने वाली बात है। जहां एक ओर पीएम ने पूर्वोत्तर क्षेत्रों का अपने कार्यकाल में 65 से अधिक बार दौरा किया है, वहीं दूसरी ओर पापुआ न्यू गिनी से लेकर कुवैत यात्रा तक ऐसे अनेक देश है जहां चार पांच दशकों से कोई भारतीय पीएम नहीं गया है। वहां की यात्रा कर भारत के सामरिक रिश्तों और वहां रह रहे भारतीयों में भारत के प्रति अलख जगा रहे हैं जिसके दूरगामी परिणाम हमें आगे देखने को जरूर मिलेंगे जिसका सटीक उदाहरण माननीय पीएम की 21-22 दिसंबर 2024 कुवैत यात्रा रही जिसमें 10 लाख से अधिक भारतीयों ने पीएम की सभा में मिनी हिंदुस्तान का एक अहसास पैदा करा दिया जो रेखांकित करने वाली बात है। चूँकि मिशन कुवैत 43 वर्षों के बाद भारतीय पीएम का दौरा गेम चेंजर साबित होगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, 43 वर्षों के बाद भारत की कुवैत यात्रा 21-22 दिसंबर 2024 सफल रही। भारत कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं, सागर व व्यापार व्यापार व्यवहार के अतीत से जुड़ा हुआ है।

साथियों बात अगर हम पीएम के कुवैत दौरे को अति महत्वपूर्ण होने की करें तो, कुवैत वर्तमान में खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) की अध्यक्षता कर रहा है – जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान और कतर भी शामिल हैं, यह एकमात्र जीसीसी सदस्य देश है, जहां पीएम ने 2014 में पदभार संभालने के बाद से अब तक दौरा नहीं किया है। कोविड महामारी के कारण 2022 में प्रस्तावित यात्रा स्थगित कर दी गई थी। खाड़ी देश भारत के लिए प्रमुख व्यापार और निवेश साझेदार हैं,और नई दिल्ली की इन देशों के साथ मजबूत ऊर्जा साझेदारी भी है। कुवैत भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है। कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को तीन प्रतिशत तक पूरा करता है।

जिसका द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2023- 24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, इस यात्रा से भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच संबंधों को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारत मुक्त व्यापार समझौते के लिए जीसीसी के साथ बातचीत कर रहा है, इस यात्रा से भारत-कुवैत संबंधों को और अधिक मजबूती मिलेगी। यात्रा के दौरान, पीएम एक सामुदायिक कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत भी की और एक श्रमिक शिविर का भी दौरा किया, वह कुवैत के अमीर के विशेष अतिथि के रूप में 26वें अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन समारोह में भी शामिल।

साथियों बात अगर हम 43 वर्षों के बाद भारत के पीएम के कुवैत दौरे की करें तो, 43 साल बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री ने कुवैत की धरती पर कदम रखा है, उनसे पहले साल 1981 में इंदिरा गांधी कुवैत गई थीं। पीएम का कुवैत में ग्रांड वेलकम किया गया, इस दौरान उन्‍होंने दो खास शख्‍स से मुलाकात की जिनका जिक्र पीएम ने अक्‍टूबर में अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में की थी, इनक नाम अब्दुल्ला अल-बैरन और अब्दुल लतीफ अल-नसेफ है, इन्‍होंने महाभारत और रामायण का अरबी भाषा में अनुवाद किया है। पीएम ने मुलाकात की तस्‍वीरें साझा करते हुए कहा कि वह इनसे मिलकर काफी खुश हैं।

पीएम ने शनिवार को यहां कुवैत के दो नागरिकों से मुलाकात की और भारत के महत्वपूर्ण ग्रंथों रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद और प्रकाशन करने के उनके प्रयासों की सराहना की। पीएम ने दोनों ग्रंथों के अरबी संस्करणों की प्रतियों पर अपना ऑटोग्राफ भी दिया। पीएम कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निमंत्रण पर कुवैत यात्रा की है, यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 43 वर्षों में इस खाड़ी देश की पहली यात्रा है। पीएम ने कहा, भारत दुनियाँ के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों और यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं।

उन्होंने कहा कि भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है और व्यापार- कारोबार का है। भारत और कुवैत, अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ने ही नहीं, बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं, बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। पीएम ने कहा, जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई दी। हिज हाईनेस द क्राउन प्रिंस ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। उन्होंने कहा कि भारत के स्टार्टअप, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटीज से ग्रीन टेक्नोलॉजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए कटिंग एग्ज सॉल्यूशन बना सकते हैं।

भारत का स्किल्ड यूथ, कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है। भारत में आज दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। इसलिए भारत, दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। पीएम ने कहा, ‘आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है। भविष्य का भारत दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 43 वर्षों बाद भारत की सफल कुवैत यात्रा 21-22 दिसंबर 2024- भारत कुवैत रिश्ता सभ्यताओं, सागर व व्यापार व्यवहार के अतीत से जुड़ा है। कुवैत में लाखों भारतियों के बीच मिनी हिंदुस्तान का जलवा- मैत्रीपूर्ण संबंध की जड़े ऐतिहासिक है। मिशन कुवैत पर 43 वर्ष के बाद भारतीय पीएम का दौरा गेम चेंजर साबित होगा।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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