नए भारत, आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना में भ्रष्टाचार की शून्य सहिष्णुता, पारदर्शी व्यवस्था तथा नागरिकों की मुख्य सहभागिता की प्रतिबद्धता लक्षित करना जरूरी
भ्रष्टाचार की शून्य सहिष्णुता लाने प्रशासकीय नजरिए में पारदर्शी व्यवस्था तथा नागरिकों की मुख्य सहभागिता जरूरी – अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर राजनीतिक भ्रष्टाचारियों को कड़ा संदेश देने के लिए दुनियाँ की न्यायपालिकाएं अब कमर कस चुकी है। जिसका सटीक उदाहरण बुधवार दिनांक 18 दिसंबर 2024 को देर शाम फ्रांस के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से स्पष्ट होता है। बता दें फ्रांस की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को भ्रष्टाचार और प्रभाव के दुरुपयोग के मामले में दोषी ठहराते हुए उनकी एक साल की जेल की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ऑफ कसेशन ने बुधवार को इस मामले पर अपना अंतिम फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया, सजा और दोष अब अंतिम हैं। भारत में कुछ महीनों से नए भारत, आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल भारत, प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में झंडे गाड़ रहे भारत, 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था इत्यादि अनेक मिशन को लेकर खूब चर्चाएं हो रही है।
टीवी चैनलों पर डिबेट हो रहे हैं जो इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। और हो भी क्यों ना क्योंकि यह विजन हमारे पीएम का ड्रीम विजन है। हम अक्सर प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विजन 2047 का जिक्र सुनते हैं, जो हमारे देश के स्वतंत्रत भारत का 100वाँ साल होगा और हमारे उपरोक्त सभी विजन का एक डेडलाइन निर्धारित साल है। हम आज से ही इन योजनाओं में सक्रिय हो गए हैं कि 2047 में हमारा भारत कैसा होगा।
साथियों इस नए भारत में एक बात को प्राथमिकता देना तात्कालिक अनिवार्य है, वह है भ्रष्टाचार को जीरो सहिष्णुता में लाना! क्योंकि यही वह कड़ी है जो प्राथमिकता से सभी योजनाओं, नीतियों और लक्ष्यों को बाधित कर देती है, साथियों जो विकास की योजनाएं चलती है उसमें एक छोटी टेबल से लेकर अंतिम मुख्य टेबल तक का रोल होता है। एक आम आदमी का काम भी एक छोटी टेबल से लेकर मुख्य टेबल तक होता है। परंतु इस बीच में भ्रष्टाचार का दीमक मलाई को चट कर जाता है जिसका दुष्परिणाम आम आदमी को ही भुगतना पड़ता है, पूरा बोझ इमानदार टैक्सपेयर पर पड़ता है, हमने बुधवार दिनांक 18 दिसंबर 2024 को देर शाम आई रिपोर्ट में देखे कि ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, जिसमें कॉरपोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स और एसटीटी शामिल हैं, 19.21 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 20.32 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। 1 अप्रैल से 17 दिसंबर, 2024 के बीच कुल 3.39 लाख करोड़ रुपए के रिफंड जारी किए गए हैं, इसे कायम रखने के लिए इस भ्रष्टाचार रूपी दीमक को प्रशासनिक सख्ती, पारदर्शी व्यवस्था और नागरिकों की मुख्य सहभागिता रूपी दवाई से मिटाने में आसानी होगी।
हमारे कुछ टेबल वाले अपवाद साथियों को भी सोचना होगा कि, भ्रष्टाचार के नशीले अहसास में रास्ते गलत पकड़ लिए और इसीलिए भ्रष्टाचार की भीड़ में हमारे साथ गलत साथी, संस्कार, सलाह, सहयोग जुड़ते गये। जब सभी कुछ गलत हो तो भला उसका जोड़, बाकी, गुणा या भाग का फल सही कैसे आएगा? तभी भ्रष्टाचार से एक बेहतर हमें अपने परिवार की दुनिया बनाने के प्रयासों के रास्ते में भारी रुकावट पैदा हो रही है, इसका कारण है खोटी कमाई। इसीलिए हम नए भारत, आत्मनिर्भर, भारत 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था का भारत बनाने के लिए इस दीमक की बीमारी पर योजना बद्ध तरीके से रणनीतिक रोडमैप बनाकर काम करना होगा ताकि भ्रष्टाचार की शून्य सहिष्णुता हो सके।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार समाप्त करने पर काम करने की करें तो शासन प्रशासन इस दिशा में अनेक योजनाएं, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 30 सालों के बाद संशोधन कर नए प्रावधान शामिल कर भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 कर उनमें अनेक प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिसमें ऐसी कार्रवाई में व्यक्तिगत और कारपोरेट संस्थानों के लिए भी प्रभावी रोकथाम की व्यवस्था की गई है। परंतु मेरा मानना है कि उसके बाद भी यह दीमक अपनी खुराक बराबर निकाल ही रहा है। साथियों अब समय आ गया है कि इस दीमक के छिद्रों को ढूंढकर उनकी खुराक बंद करने की व्यवस्था की जाए, जो नए और आत्मनिर्भर भारत की नीव के पहियों में से एक साबित होगी।
साथियों बात अगर हम अब छोटी से बड़ी टेबल वालों की करें तो अब उनकी भी जवाबदारी, जिम्मेदारी का सही, सचेत समय आ गया है कि हमारे पीएम की बात, ना खाऊंगा ना खाने दूंगा, के मंत्र को एकदम गंभीरता से लेकर उसको अमल करना शुरू कर देंगे तो टेबल वालों का भी नए और आत्मनिर्भर भारत बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान माना जाएगा, क्योंकि दीमक को वह अपने पास फटकने ही नहीं देंगे तो दीमक की मृत्यु होना निश्चित है, जिससे शून्य सहिष्णुता का मंत्र हम खुद ही पा लेंगे।
साथियों बात अगर हम माननीय केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा अनेकों संबोधनों में भ्रष्टाचारीयों को उल्टा लटकाकर सीधा करने की बात करने की करें तो, 20 सितंबर 2024 केंद्रीय गृह मंत्री ने साहिबगंज से पार्टी की परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की, इसके सभा को संबोधित किया। प्रदेश में पार्टी की सरकार बनाएं, भ्रष्टाचारियों को उल्टा लटकाकर सीधा करेंगे, परिवर्तन यात्रा पीएम के महान झारखंड, विकसित झारखंड के सपने को पूरा करने का मकसद लेकर आई है। परिवर्तन यात्रा झारखंड से घुसपैठियों को निकालने, माता-बहनों को सुरक्षा देने, युवाओं को रोजगार देने, आदिवासी दलित व पिछड़ों का कल्याण करने के लिए आई है। भ्रष्टाचार के मामले पर कहा इन भ्रष्टाचारियों को उल्टा लटका कर सीधा करने का काम करेंगे। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि इसका क्रियान्वयन शीघ्र तात्कालिक किया जाए, जिसकी अभी से सीधे रणनीति बनाकर टॉपअप से बॉटमअप तक व 747 जिलों से 5410 से अधिक तहसीलों तक पैनी नजर रखकर ऐसा जाल बिछाया जाए, कि एक चपरासी भी 10 रुपए की रिश्वत लेने से डरे! जिस तरह से माननीय गृहमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ बॉडी लैंग्वेज दिखाते हैं वह अब धरातल पर तात्कालिक लाना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम इस भ्रष्टाचार रूपी दीमक की करें तो यह केवल भारतीय ही नहीं वैश्विक समस्या भी है इसीलिए ही, अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस प्रतिवर्ष पूरे विश्व में मनाया जाता है। 31 अक्टूबर 2003 को संयुक्त राष्ट्र ने एक भ्रष्टाचार विरोधी समझौता पारित किया था और तभी से यह दिवस भी मनाया जाता है। पूरे विश्व में एक समृद्ध, मूल्य आधारित समाज को बनाए रखने के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य है। इस दिन सम्मेलन, भाषण, रैलियां, प्रदर्शनियां, नाटक आदि कई गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र और संबंधित सदस्य राज्यों के द्वारा भ्रष्टाचार से लड़ने की भावना के साथ आयोजित की जाती हैं।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय पीएमओ राज्यमंत्री द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी पीएम द्वारा दिए गए उस संबोधन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, जिसमें पीएम ने कहा, नया भारत अब भ्रष्टाचार को व्यवस्था के हिस्से के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। मंत्री जी ने कहा कि व्यवस्था को पारदर्शी, सक्षम और दुरुस्त बनाने के प्रयास तेज गति से चल रहे हैं। नए अधिनयम में रिश्वत लेने के साथ-साथ रिश्वत देने को भी अधिनियम में अपराध माना गया है। साथ ही, ऐसी कार्रवाइयों में व्यक्ति और कॉर्पोरेट संस्थाओं के लिए एक प्रभावी रोकथाम की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता, नागरिकों की सहभागिता और जवाबदेही लाना वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता है और इस बात का संकेत देश में उच्च संस्थानों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लोकपाल की संस्था को संचालित करने की इसकी निर्णायक पहल से मिलता है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और बेहिसाब धन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए, सरकार द्वारा पिछले वर्षों के दौरान कई पहलें की गई हैं। उन्होंने कहा कि 26 मई, 2014 को पीएम के रूप में शपथ लेने के शीध्र बाद, पीएम की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की पहली बैठक में काले धन का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में संशोधन, लोकपाल के पद की स्थापित और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एसीसी (नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति) के निर्णयों समेत सभी सरकारी फैसलों को तत्काल सार्वजनिक करने सहित अनेक सुधार किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों के दौरान 15 से अधिक कानूनों को समाप्त कर विभिन्न नियमों और विनियमों को सरल बनाया गया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतर्राष्ट्रीय गंभीर समस्या है भ्रष्टाचार नए भारत, आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना में भ्रष्टाचार की शून्य सहिष्णुता लाने प्रशासकीय नजरिए में पारदर्शिता व्यवस्था तथा नागरिकों की मुख्य सहभागिता जरूरी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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