विजन 2047 के लिए प्रत्येक भारतीय की जन-भागीदारी से ही टीम इंडिया सफल होगी
मुख्य सचिवों रूपी टीम इंडिया का खुले दिमाग से चर्चा के लिए एक साथ आना, विजन 2047 के लिए मील का पत्थर साबित होगा- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जिस तेजी के साथ भारत प्रौद्योगिकी, विज्ञान, स्पेस सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से नए इनोवेशन व नवाचार सृजित कर आगे बढ़ रहा है। उसे देखकर दुनियाँ हैरान है व समझ गई है कि भारत अपने लक्ष्य विजन 2047 की डेड लाइन से पहले ही पूरा कर लेगा व विकसित भारत बन विश्व की नंबर एक अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जिससे विश्वगुरु का दर्जा पाने से कोई नहीं रोक सकता, जिसका पहिया लग चुका है व तेजी से रणनीतियां बनाकर क्रियान्वयन किया जा रहा है। उसी कड़ी में दिनांक 13-15 दिसंबर 2024 को भारत के विभिन्न मंत्रालय के मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन 15 दिसंबर 2024 को माननीय पीएम के संबोधन से हुआ जिसमें सम्मेलन में मुख्य रूप से जिन व्यापक विषयों पर चर्चा की उसके अंतर्गत छह क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया, विनिर्माण, सेवा, ग्रामीण गैर-कृषि, शहरी, नवीकरणीय ऊर्जा और परिपत्र अर्थव्यवस्था को चिन्हित किया गया है। विकसित भारत के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास केंद्रों के रूप में शहरों का विकास, निवेश के लिए राज्यों में आर्थिक सुधार और मिशन कर्मयोगी के माध्यम से क्षमता निर्माण पर चार विशेष सत्र भी किए।
इसके अलावा, भोजन के दौरान कृषि में आत्मनिर्भरता : खाद्य तेल और दालें, वृद्ध आबादी के लिए देखभाल अर्थव्यवस्था, पीएम सूर्य घर : नि:शुल्क बिजली योजना कार्यान्वयन और भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित विचार- विमर्श किया। सम्मेलन में प्रत्येक विषय के अंतर्गत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को भी प्रस्तुत किया, ताकि राज्यों में पारस्परिक शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा सके। सम्मेलन में सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, वरिष्ठ अधिकारी, क्षेत्र विशेषज्ञ तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे चूँकि मुख्य सचिव रूपी टीम इंडिया का मंथन हुआ, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, मुख्य सचिवों रूपी टीम इंडिया का खुले दिमाग से चर्चा के लिए एक साथ आना विजन 2047 के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
साथियों बात अगर हम भारत के मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन 13-15 दिसंबर 2024 के आगाज की करें तो, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझेदारी को और अधिक बढ़ावा देने की दिशा में यह एक और महत्वपूर्ण कदम हुआ इस सम्मेलन में राज्यों के साथ साझेदारी में एक साझा विकास एजेंडा और सुसंगत कार्रवाई के लिए प्रारूप तैयार करने और उसे लागू करने पर बल दिया। यह उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल पहलों को बढ़ाने और ग्रामीण एवं शहरी दोनों आबादी के लिए स्थायी रोजगार के अवसरों का सृजन करते हुए भारत के जन सांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने हेतु सहयोगी कार्रवाई के लिए आधार तैयार करेगा। सम्मेलन में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, नीति आयोग, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और क्षेत्र विशेषज्ञों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर, चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन उद्यमिता, रोजगार और कौशल को बढ़ावा देना- जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना विषय पर केंद्रित था, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनुसरण करने हेतु सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और रणनीतियों को शामिल किया।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन को 15 दिसंबर 2024 की शाम समापन संबोधन की करें तो, रविवार को राज्यों से कहा कि वे ऐसा वातावरण बनाएं जहां स्टार्ट-अप्स आसानी से बढ़ सकें, साथ ही सरकारी नियमों को सरल बनाएं, जो आम नागरिकों के लिए अक्सर कठिन होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों को शासन के तरीके में सुधार करना चाहिए ताकि नागरिकों की सक्रिय भागीदारी बढ़ सके। सुधार प्रदर्शन और बदलाव पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है और लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देना भी जरूरी है। स्वास्थ्य क्षेत्र पर पीएम ने कहा कि मोटापा देश के लिए बड़ी चुनौती बन गया है और इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उनका मानना था कि एक फिट और स्वस्थ भारत ही विकसित भारत बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को 2025 तक तपेदिक (टीबी) मुक्त किया जा सकता है और इस लक्ष्य में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का अहम रोल होगा।
उन्होंने कहा कि भारत की पुरानी पांडुलिपियां हमारी धरोहर हैं और राज्यों को इन्हें डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। राज्यों से कहा कि वे छोटे शहरों में ऐसे स्थानों की पहचान करें, जहां उद्यमी बैंकिंग, रसद और अन्य सेवाओं का फायदा उठा सकें। उन्होंने ई-कचरे के पुनर्चक्रण की जरूरत पर भी बात की, क्योंकि डिजिटल समाज बढ़ने से यह समस्या और बड़ी हो सकती है। शहरों को आर्थिक विकास का केंद्र बनाने के लिए मानव संसाधन विकास पर काम करना चाहिए, और शहरी शासन, जल प्रबंधन और पर्यावरण के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले संस्थान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती शहरीकरण के साथ, हमें शहरी आवास की समस्या पर भी ध्यान देना होगा। यह सम्मेलन विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसमें यह बात भी सामने आई कि महिलाओं के नेतृत्व में होने वाले विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल सकता है।
सम्मेलन यह दर्शाता है कि भारत को मध्यम आय वाले से उच्च आय वाले देशों में बदलने के लिए उद्यमिता, कौशल और रोजगार के नए अवसरों पर काम करना जरूरी है और इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।विशेष रूप से टियर 2/3 शहरों में स्टार्ट-अप की तारीफ की, उन्होंने राज्यों से ऐसे इनोवेशन को प्रोत्साहित करने और ऐसा माहौल देने करने की दिशा में काम करने को कहा, जहां स्टार्ट-अप को मदद मिल सकें। उन्होंने राज्यों से छोटे शहरों में एंटरप्रेन्योरशिप के लिए सही जगह की पहचान करने और उन्हें बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने, लॉजिस्टिक्स और सुविधा प्रदान करने की पहल करने की अपील की। राज्यों को जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए शासन मॉडल में सुधार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंप्रूवमेंट परफॉर्मेंस और चेंज पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है और लोगों को सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी देना भी जरुरी है।
सर्कुलर इकोनॉमी के बारे में बात करते हुए पीएम ने कहा कि गोबर्धन कार्यक्रम को अब एक बड़े ऊर्जा संसाधन के रूप में देखा जा रहा है। ब्लॉकों और जिलों में तैनात सक्षम अधिकारी जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा सामाजिक, आर्थिक लाभ भी होगा। पीएम मोदी ने अधिकारियों को शहरों को आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए मानव संसाधन विकास के लिए काम करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने शहरी प्रशासन, जल और पर्यावरण प्रबंधन में स्पेशलाइजेशन के लिए इंस्टिट्यूट विकसित करने पर जोर दिया। बढ़ती शहरी गतिशीलता के साथ, उन्होंने पर्याप्त शहरी आवास उपलब्ध कराने पर जोर दिया। जिससे नए इंडस्ट्रियल एरिया में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बेहतर प्रोडक्टिविटी होगी। उन्होंने कहा, जिस तरह सभी क्षेत्रों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने अलग-अलग परिस्थितियों, वैचारिक मतभेदों और अलग-अलग तरीकों के बावजूद स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, उसी तरह प्रत्येक भारतीय को 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
अतः अगर हम उपलब्ध पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन 13-15 दिसंबर 2024 का आगाज- विजन 2047की टीम इंडिया का मंथन विजन 2047 के लिए प्रत्येक भारतीय की जन-भागीदारी से ही टीम इंडिया सफल होगी। मुख्य सचिवों रूपी टीम इंडिया का खुले दिमाग से चर्चा के लिए एक साथ आना, विजन 2047 के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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