वाराणसी। हिंदू धर्म में पति-पत्नी का एक साथ पूजा में बैठना अनिवार्य माना गया है। कहते हैं कि पति को कभी भी किसी पूजा में अपनी पत्नी के बिना नहीं बैठना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। यही बात पत्नी पर भी लागू की जाती है। लेकिन कई बार इस पर सवाल उठता है कि पूजा में पत्नी को अपने पति के किस ओर बैठना चाहिए? पूजा में पत्नी का पति के किस ओर बैठना शुभ माना गया है? आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी को सदैव पूजा में अपने पति के दाएं हाथ की ओर बैठना चाहिए। पूजा में पत्नी का इस तरह से बैठना शुभ माना जाता है।
साथ ही यज्ञ, होम, व्रत, दान, स्नान, देवयात्रा तथा विवाह इत्यादि कर्मों में भी पत्नी का अपने पति के दाएं हाथ की ओर आसन ग्रहण करना शुभ माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस बात का ध्यान रखकर उपरोक्त कर्मों का सही फल प्राप्त किया जा सकता है। कहते हैं कि बैठने की दिशा उचित नहीं होने पर शुभ कर्मों का फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता। कहा जाता है कि यज्ञ, होम, व्रत, दान, स्नान, देवयात्रा तथा विवाह इत्यादि कर्मों को विधि पूर्वक करना जरूरी है। इन सबके बीच पति-पत्नी के बैठने की दिशा का विशेष रूप से ख्याल रखा जाना चाहिए।
इसके अलावा, किसी पूजनीय व्यक्ति के चरण छूते समय, सोते समय और भोजन करते समय के बारे में भी पति-पत्नी की दिशा का निर्धारण किया गया है। कहते हैं कि चरण छूने, सोने और भोजन करने की क्रिया के वक्त पत्नी का सही स्थान पति के बाएं हाथ की ओर है। माना जाता है कि इन कार्यों में दिशा का पालन करने से अच्छा फल प्राप्त होता है। ध्यान रहे कि दिशा के भूल जाने को किसी तरह का अपराध नहीं माना गया है। बल्कि इससे उस कर्म का अत्यधिक फल प्राप्त होने की बात कही गई है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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