कोलकाता : बंगाल में चुनावी घमासान को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। चुनाव पूर्व सर्वे बीजेपी को बेहतर स्थिति में बता रहे हैं लेकिन अहम यह है कि क्या वाकई बीजेपी इतनी मजबूत हो चुकी है कि पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज हो सके। सीएनएक्स के एक सर्वे में यह तो कहा गया है कि बीजेपी को पिछले चुनावों के मुकाबले कहीं ज्यादा वोट मिलेंगे लेकिन बंगाल पर जीत के लिए इतने नाकाफी होंगे। इस सर्वे में कहा गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का वोटिंग पर्सेंटेज बढ़कर 40 फीसदी हो गया था। यह सीधे-सीधे सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए खतरनाक हालात थे। तब से अब तक बीजेपी की राजनीतिक गतिविधियां बंगाल में और आक्रामक हुई हैं। मौजूदा सर्वे बताता है कि बीजेपी के वोटर बेस में साल 2016 के विधानसभा चुनावों के अनुपता में 26 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है।
सीटों के मामले में पीछे बीजेपी : इतना होने पर भी सीटों की गणित में बीजेपी पीछे छूट रही है। यहां टीएमसी ने अपनी बढ़त कायम रखी है। सीएनएक्स के सर्वे के अनुसार, टीएमसी को 151 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं बीजेपी 117 सीटें लेकर दूसरे नंबर पर रहने वाली है। कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन को 24 सीटें मिलने की बात कही जा रही है, अन्य को 2 सीटें मिल सकती हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं।
कांग्रेस-लेफ्ट के साथ से फायदा : इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि तृणमूल कांग्रेस अगर कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के साथ हाथ मिला लेती है तो वह बीजेपी के मुकाबले और भी बेहतर स्थिति में पहुंच जाएगी। काफी समय से तृणमूल के अंदर इस गठबंधन की मांग उठ रही है। लेकिन ऐसा होगा नहीं। लिहाजा चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि बंगाल में किसकी सरकार बनेगी।