तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : पूर्व मेदिनीपुर जिला मुख्यालय तमलुक में सेंटर फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स एंड सेक्युलरिज्म (सीपीडीआरएस) की तमलुक शाखा द्वारा तमलुक शहर के जेलखाना चौराहे पर एक नागरिक बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में देश और विदेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के विभिन्न मामलों का उल्लेख किया गया और इसके खिलाफ नागरिक आंदोलन और मानवाधिकार आंदोलन को मजबूत करने का आह्वान किया गया।
वक्ताओं ने बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों पर हाल के हमलों और हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने के उनके प्रयासों पर चिंता व्यक्त की। बैठक की अध्यक्षता संगठन की तमलुक शाखा के अध्यक्ष डॉ. ललित खांडा ने की I
अन्य वक्ताओं में आशीष हलधर, हेडमास्टर प्रशांत पडुई, सेवानिवृत्त अधिकारी सैयद मालेकुज्जमां, शिक्षक तपन कुमार जाना, प्रदीप दास, शेख जफरुल्लाह और अन्य उपस्थित थे।
.संगठन के अध्यक्ष डॉ. ललित कुमार खांडा ने कहा, भारत वह देश है जिसने 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार चार्टर पर हस्ताक्षर किये थे I
चार्टर के अनुसार, भारतीय संविधान स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, पूर्ण जीवन जीने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार आदि को मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता देता है।
लेकिन हमारे गरीब भारतीय वास्तव में इस संवैधानिक अधिकार का कितना आनंद ले सकते हैं? आज दुनिया में लगभग हर जगह यही तस्वीर है।
ऐसी ही एक स्थिति में, देशव्यापी मानवाधिकार आंदोलन को मजबूत करने के लिए आज तमलुक शहर के जेलखाना चौराहे पर एक सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया गया। हमारा संगठन हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर धार्मिक कट्टरपंथियों के हमलों की निंदा करता है। और इस घटना के आधार पर हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने का प्रयास बहुत चिंता का विषय है।
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