अशोक वर्मा “हमदर्द” की कहानी : पति का शक

अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। शादी के तीन साल बाद पति के मन में ख्याल आया कि उसकी पत्नी उससे कुछ छुपा रही है। उसे ऐसा लगने लगा कि शायद उसकी पत्नी का ध्यान कहीं और है या वो किसी और के साथ ज्यादा बातें करती है। इस शक को अपने दिल में दबाए रखने की बजाय उसने सोचा कि एक बार पत्नी की परीक्षा ली जाए। एक दिन वह जल्दी घर लौटा और देखा कि पत्नी रसोई में खाना बना रही थी। उसने नाटक किया कि उसे अचानक किसी जरूरी काम से बाहर जाना है और कहकर दरवाजा जोर से बंद कर दिया। दरवाजा बंद करते ही उसने चुपचाप खिड़की के पास छिपकर पत्नी की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया।

कुछ ही देर बाद उसने देखा कि पत्नी ने फटाफट फोन उठाया और किसी से बातें करने लगी। उसकी आवाज धीरे-धीरे खुश और उत्साहित होने लगी। वह हंसी-मजाक में व्यस्त थी, और उसका चेहरा चमक रहा था। पति के दिल में शक और बढ़ गया। उसने सोचा, “किससे इतनी हंसी-मजाक कर रही है? क्या सच में उसका कोई अफेयर है?” यह सोचते ही उसका शक बढ़ने लगा, और उसके अंदर का गुस्सा भी बढ़ गया। उसने खुद को रोक नहीं पाया और दरवाजा खोलकर अंदर आ गया।

उसकी पत्नी उसकी ओर देख कर चौंक गई और फोन तुरंत काट दिया। पति ने बिना कुछ कहे ही फोन छीन लिया और देखा कि उसने अपनी मां से बातें की थी। फोन में मां के नाम के साथ ढेर सारी चैट्स और कॉल लॉग्स थे। पत्नी ने रोते हुए कहा, “तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं रहा? मैं अपनी मां से बात कर रही थी कि कैसे तुम्हें रोज के खाने में कुछ नया बनाकर खुश कर सकूं। वे मेरे सबसे अच्छे सलाहकार हैं!”

पति शर्मिंदा हो गया और धीरे से बोला, “मुझे माफ कर दो। मैंने बिना सोचे-समझे शक कर लिया।” पत्नी ने उसकी आंखों में प्यार से देखा और बोली, “हर रिश्ते की नींव भरोसे पर होती है। अगर तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं है, तो ये रिश्ता कैसे मजबूत रहेगा?” उस दिन से पति को यह सबक मिला कि रिश्तों में शक की जगह नहीं होनी चाहिए। हर परिस्थिति को समझने और भरोसा बनाए रखने की जरूरत होती है।

इस घटना के कुछ दिन बाद बेटे की मां को भी पूरे किस्से का पता चला। जब उन्हें यह मालूम हुआ कि उनके बेटे ने बिना सोचे-समझे अपनी पत्नी पर शक किया, तो उनका दिल टूट गया। उन्होंने सोचा, “कैसे मेरा अपना ही बेटा इतनी छोटी सोच रख सकता है? वो अपनी ही पत्नी, जो उसे दिल से प्यार करती है, उस पर इतना बड़ा शक कर बैठा!”

एक दिन मां ने बेटे को अपने पास बुलाया और गहरी सांस लेकर कहा, “मुझे ये सब सुनकर बहुत दुख हुआ। क्या मैंने तुझे इसी दिन के लिए पाला था कि तू अपनी पत्नी, जो हमारी घर की बहू है और इस घर को अपनी मेहनत से सहेज रही है, उस पर यूं शक करेगा? क्या इतना भी नहीं सीखा कि भरोसा ही हर रिश्ते की बुनियाद होती है?”

बेटे ने सिर झुका लिया। उसकी आंखों में शर्मिंदगी थी, लेकिन मां के शब्दों में अभी भी गुस्से का समंदर उमड़ रहा था। उन्होंने कठोर लहजे में कहा, “तू तो मेरा बेटा है, पर आज मुझे तुझ से घृणा हो रही है। मुझे लगा था कि मेरी बहू इस घर में आकर मेरे लिए बेटी जैसी होगी, लेकिन तूने उसे दिल से अपनाने के बजाय उस पर शक किया। ऐसे कमजोर रिश्ते के लिए मैंने तुझे कभी नहीं पाला।”

इतना कहकर मां ने बेटे को एक ओर कर दिया और उसकी पत्नी को पास बुलाया। बहू की आंखों में आंसू थे, और वह भी सिर झुकाए खड़ी थी। मां ने उसे गले से लगाते हुए अपने प्यार से चूम लिया, जैसे कोई अपनी बिछड़ी हुई बेटी को पाकर तड़प से चूम ले। उन्होंने कहा, “बेटी, तुझ पर जो बीती है, मैं समझ सकती हूं। तू मेरी बेटी जैसी है और आगे से कभी भी इस घर में तुझे किसी शक या नफरत का सामना नहीं करना पड़ेगा। मैं तेरे साथ हूं।”

बहू ने सास के गले लगते हुए आंसू पोंछे और मुस्कुराते हुए बोली, “मां, आपकी ये ममता मेरे लिए दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।” मां ने उसे अपनी बाहों में थामे हुए बेटे की ओर देखा और कहा, “अगर तू रिश्ते को निभाना सीखना चाहता है, तो अपनी बीवी से सीख। शायद तब तुझे भरोसे और प्यार की अहमियत समझ आए।”

बेटा अब अपनी मां के सामने मूक खड़ा था, उसे अपनी गलती का अहसास हो चुका था। उसने झुके सिर से मां से माफी मांगी और धीरे से अपनी पत्नी का हाथ थाम लिया। उस दिन से उसने अपने रिश्ते को एक नए सिरे से समझना और निभाना सीख लिया और इस बार मां के सिखाए सबक को हमेशा के लिए अपने दिल में बसा लिया।

उस घटना के बाद लड़का अपने आप में बदलने की कोशिश करने लगा। उसने सोचा कि जिस रिश्ते में विश्वास नहीं होता, वो कभी पूरी तरह से फल-फूल नहीं सकता। उसने समझ लिया कि उसकी शक करने की आदत ने न केवल उसकी पत्नी को दुख पहुंचाया बल्कि उसकी मां को भी निराश किया।

एक शाम वह अपनी पत्नी के पास आया और उसके हाथों को थामकर कहा, “मुझे माफ कर दो। मैंने जो किया, उसके लिए मैं खुद को कभी माफ नहीं कर सकता। तुमने अपना सब कुछ छोड़कर इस घर को अपना मान लिया और मैंने तुम पर शक करके इस रिश्ते को चोट पहुंचाई। मैं सच में बहुत शर्मिंदा हूं।”

पत्नी उसकी आंखों में गहरे पश्चाताप और सच्चाई का भाव देख रही थी। उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “शादी का मतलब एक-दूसरे का साथ देना होता है। गलतियां हम सभी से होती हैं, लेकिन अगर इंसान अपनी गलती को समझकर उसे सुधारने का वादा करे, तो रिश्ते मजबूत हो सकते हैं। मैं तुम्हें माफ करती हूं।”

पति ने उसकी बात सुनकर राहत की सांस ली और फिर वादा करते हुए कहा, “अब से मैं अपने दिल में कोई शक नहीं आने दूंगा। मैं तुम्हें इस रिश्ते को और हमारे परिवार को पूरी सच्चाई और ईमानदारी से निभाऊंगा। अब कभी ऐसा नहीं करूंगा, ये मेरी तुम्हें कसम है।”

यह सुनकर पत्नी की आंखें भीग गईं। उसने पति के हाथ को हल्के से दबाया और कहा, “मुझे तुम्हारा यही विश्वास चाहिए था। मैं तुम्हारे साथ इस रिश्ते को निभाने के लिए तैयार हूं, लेकिन हमें दोनों को एक-दूसरे पर भरोसा करना होगा।”

उस दिन के बाद दोनों ने अपने रिश्ते में एक नई शुरुआत की। पति ने शक की आदत को हमेशा के लिए छोड़ दिया और हर दिन अपने परिवार में प्यार और विश्वास के बीज बोने लगा। उसकी मां ने भी अपने बेटे को फिर से अपनाया और दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता देखने का सपना पूरा होते देखा।

इस तरह एक गलतफहमी और गलती से सीखते हुए, पति-पत्नी ने अपने रिश्ते को न केवल मजबूत बनाया, बल्कि उसमें प्यार और सम्मान का भी एक नया अध्याय जोड़ दिया। अब वे दोनों हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ देने का वादा कर चुके थे और उनका रिश्ता पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और खूबसूरत हो गया।

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