आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 की कवायद शुरू

11 वर्गों से प्री बजट कंसल्टेशन शुरू-1 फरवरी 2025 को बजट पेश होने की संभावना
बजट 2025 इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रित होने की संभावना- हर वर्ग के सुझाव पर गंभीरता से विचार करने की उम्मीद
जनभागीदारी की भावना को बढ़ावा देने समावेशी विकास के साथ भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति में बदलने में आम जनता हितधारकों के सुझाव जरूरी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के हर देश को विकसित देश बनाने का मुख्य आधार उस देश का बजट दस्तावेज है, जो उस देश की वित्तीय रणनीति का दस्तावेज होता है। अर्थात उस देश के शासन को विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग से देश चलाने के लिए पैसों का इंतजाम कर जरूरत के अनुसार उन्हें उसका एलोकेशन, बजट ही करता है जो अति चुनौती भरा कार्य है, क्योंकि मैं टैक्सेशन क्षेत्र से हूं तो मैं बजट का गहराई से विश्लेषण कर उसकी चुनौतियों को नजदीकी से देखता हूं, क्योंकि किस तरह और कैसे दो माह पूर्व से ही बजट की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है व अति गोपनीयता से बजट बनाया जाता है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि भारत में 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट की कवायत 6 दिसंबर 2024 से शुरू हो चुकी है। 6 दिसंबर को अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों के साथ व 7 दिसंबर 2024 को किसानों व उनके प्रतिनिधियों के साथ माननीय वित्तमंत्री व वित्त मंत्रालय के सहयोगियों बैठक के संपन्न हुई।

अब 30 दिसंबर को भारतीय इंडस्ट्री व कौशलता क्षेत्र एजुकेशन व हेल्थ केयरों के जानकारों के साथ बैठक कर उनके सुझाव व विचार जान जाएंगे। अर्थात करीब 11 अलग-अलग क्षेत्रों से बैठकें की जाएगी। फिर नोटिफिकेशन जारी कर आम जनता से सुझाव मांगे जाएंगे। फिर बजट लिखना शुरू किया जाएगा, जिसमें 1 फरवरी 2025 तक के अंतिम 10 दिनों पूर्व बजट बनाने वाली टीम का नाता दुनिया से कट जाता है, यानी गुप्त रूप में बजट बनाया जाता है। जिसमें किसी भी प्रकार के संचार माध्यमों से उनका नाता बिल्कुल नहीं होता। चूँकि बजट 2025-26 पर माथापच्ची दिनांक 6 दिसंबर 2024 से शुरू हो चुकी है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 की कवायद शुरू, 11 वर्गों से प्री बजट कंसल्टेशन शुरू, 1 फरवरी 2025 को बजट पेश होने की संभावना।

साथियों बात अगर हम 6 दिसंबर 2024 को अर्थशास्त्रियों वित्त विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक की करें तो, बजट 2025-26 की तैयारी शुरू हो गई है और इसको लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। बजट एक फरवरी, 2025 को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। 6 दिसंबर यानी शुक्रवार से वित्तमंत्री ने बजट-पूर्व परामर्श यानी प्री-बजट कंसलटेशन शुरू कर दिया है। वित्त मंत्रालय में बजट बनाने की प्रक्रिया के तहत कई सालों से ये परंपरा चली आ रही है, कंसलटेशन की इस सीरीज के तहत 6 दिसंबर को देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के साथ पहली बैठक की गई है। अब 30 दिसंबर को भारतीय इंडस्ट्री के प्रमुख और सोशल सेक्टर के गणमान्य व्यक्तियों, खास तौर से एजूकेशन और हेल्थकेयर के हितधारकों के परामर्श के साथ बजट पूर्व परामर्श खत्म होगा। 2025-26 के आम बजट पर उनके विचार मांगे जाएंगे और कुल सुझावों और सिफारिशों को इन बैठकों में वित्तमंत्री के अलावा वित्त राज्यमंत्री, वित्त सचिव और निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग, सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और वित्तीय सेवा सचिव की मौजूदगी रहेगी।

साथियों बात अगर हम 7 दिसंबर 2024 को कृषि हित धारकों प्रतिनिधियों विशेषज्ञों से बैठक की करें तो शनिवार को बजट से पहले होने वाली बैठकों के क्रम में किसान प्रतिनिधियों और कृषि हितधारकों के साथ बैठक की। इस दौरान किसानों ने सरकार से सस्ता दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराने, कम कर लागू करने और पीएम- किसान आय सहायता को दोगुना करने, किसानों की मुख्य मांगों में कृषि ऋणों पर ब्याज दर को एक प्रतिशत तक कम करना और वार्षिक पीएम- किसान किस्त को 6 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 12 हज़ार रुपए करना शामिल था। हित धारकों ने इसके अलावा कराधान सुधार प्रस्तावों के तहत कृषि मशीनरी, उर्वरक, बीज और दवाओं पर जीएसटी छूट की मांग की, बैठक में दो घंटे तक विभिन्न प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा हुई।

इस दौरान वित्तीय राहत, बाजार सुधार और रणनीतिक निवेश जैसी कृषि क्षेत्र की कई चुनौतियों का समाधान करने पर विचार किया गया। भारत कृषक समाज के चेयरमैन ने कृषि उत्पादकता और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की जरूरत पर जोर दिया। पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कीटनाशक पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का अनुरोध किया। राष्ट्रीय कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए चना, सोयाबीन और सरसों जैसी विशिष्ट फसलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आठ वर्षों के लिए सालाना 1000 करोड़ रुपए की लक्षित निवेश रणनीति का प्रस्ताव रखा।

साथियों बात अगर हम केंद्रीय बजट तैयार करने की करें तो यह बहुत कठिन और बाहरी बैठकों, सुझावों के अतिरिक्त 5 चरणों में होता है जिसकी गतिविधियां बहुत पहले शुरू हो जाती है। हमें 1 फरवरी को बजट मिल जाता है लेकिन इसके पीछे कितनी मेहनत और कठिनाई शामिल है। हितधारक समूहों में कृषि एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योग; उद्योग, अवसंरचना और जलवायु परिवर्तन; वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार; सेवा और व्यापार क्षेत्र; सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधि एवं विशेषज्ञ; ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधि और अर्थशास्त्री शामिल होते है। हित धारक समूहों के प्रतिनिधियों ने आगामी बजट के लिए कई सुझाव जिनमें एमएसएमई की मदद के लिए हरित प्रमाणी करण की व्‍यवस्‍था करना, शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम, आयकर को तर्कसंगत बनाना, नवाचार क्‍लस्‍टरों का निर्माण करना, घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बेहतर करने के लिए योजनाएं बनाना, इत्‍यादि शामिल है आते हैं। वित्त मंत्री ने प्रतिभागियों द्वारा अपने बहुमूल्य सुझावों को साझा करने के लिए उनका धन्यवाद किया जाता है और आश्वासन दिया जाता कि बजट 2025-26 तैयार करते समय इन सुझावों पर सावधानी पूर्वक विचार किया जाएगा।

बता दें कि आगामी बजट के लिए बैठकों का सिलसिला लगातार जारी है। इससे पहले वित्त मंत्री ने सोशल सेक्टर जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पानी और साफ-सफाई की व्यवस्था से जुड़े जानकारों के साथ मुलाकात करती है। वहीं, इससे सेवा एवं व्यापार क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ भी प्री-बजट होंगी। केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 के लिए लोगों से विचार और सुझाव आमंत्रित करेंगी, जिसे अगले साल फरवरी में पेश किया जाएगा। जिसके लिए माय गोव प्लेटफार्म से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे। जनभागीदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए, आर्थिक मामलों का विभाग वित्त मंत्रालय बजट बनाने की प्रक्रिया को सहभागी और समावेशी बनाने के लिए हर साल नागरिकों से सुझाव आमंत्रित करता है, जो भारत को समावेशी विकास के साथ वैश्विक आर्थिक महाशक्ति में बदलने में मदद कर सकते हैं।

साथियों बात अगर हम बजट बनाने वाले स्टॉफ अधिकारियों की करें तो, बता दें कि 10 दिनों तक दुनिया से दूर अपने काम को अंजाम देने में जुटे कम से कम 100 अधिकारियों और कर्मचारियों को इस अवधि में अपने घर जाने की भी इजाजत नहीं होती है। बजट तैयार होने के दौरान वित्त मंत्री के बेहद वरिष्ठ और भरोसेमंद अधिकारियों को ही घर जाने की इजाजत होती है। जब तक बजट पेश नहीं हो जाता तब तक बजट तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़े लोगों की सुरक्षा-व्यवस्था के मद्देनजर इस दौरान वित्त मंत्रालय की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होती है। किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वित्त मंत्रालय में नहीं होता है। इस दौरान छपाई से जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों को भी बाहर आने या फिर अपने सहयोगियों से मिलने की भी मनाही होती है। अगर किसी विजिटर का आना बहुत जरूरी है तो उन्हें सुरक्षा कर्मियों की निगरानी में अंदर भेजा जाता है।

वित्त मंत्रालय में खुफिया विभाग से लेकर के साइबर सिक्योरिटी सेल सबका पहरा रहता है। इन 10 दिनों तक मंत्रालय के अंदर कोई भी मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है। केवल लैंडलाइन फोन के जरिए ही बातचीत हो पाती है। दरअसल, यह चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था इस लिए की जाती है ताकि देश के वित्तीय लेखा-जोखा को तैयार करने के दौरान कोई भी अंदरूनी जानकारी किसी भी तरह से लीक न हो सके। यह वजह है कि इस कार्य में जुटे सभी अधिकारी और कर्मचारियों को कड़ी निगरानी के बीच बाहर की दुनिया से दूर रहना पड़ता है। वित्त मंत्रालय में 10 दिन के लिए डॉक्टरों की एक टीम भी तैनात रहती है। ऐसा इसलिए ताकि किसी भी कर्मचारी के बीमार पड़ने पर उसे वहीं पर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। बीमार कर्मचारी को भी 10 दिनों के लिए अस्पताल में इलाज कराने की मनाही होती है।

यह इस बात का उदाहरण है कि देश का बजट तैयार करना आसान बात नहीं, बल्कि हर बारीकियों पर बेहद सतर्कता के साथ निगरानी की जाती है ताकि देश के बजट से जुड़ी जानकारियों पूरी तरह से गोपनीय रहें और इन्हें बजट पेश होने से पहले कोई न जान सके। बजट तैयार होने के दौरान आखिरी के 10 दिनों में इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी पाबंदी रहती है। जिन कंप्यूटरों पर बजट डॉक्यूमेंट मौजूद होता है, उनसे इंटरनेट और एनआईसी के सर्वर को डिलिंक कर दिया जाता है। इससे किसी भी प्रकार की हैकिंग का डर नहीं रहता है। इन कंप्यूटरों को केवल प्रिंटर और छपाई मशीन से कनेक्ट करके रखा जाता है। वित्त मंत्रालय के जिस हिस्से में प्रिंटिंग प्रेस स्थित है, वहां पर केवल चुनिंदा वरिष्ठ अधिकारियों को जाने की इजाजत होती है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करे तो हम पाएंगे कि आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 की कवायद शुरू-11 वर्गों से प्री बजट कंसल्टेशन शुरू-1 फरवरी 2025 को बज़ट पेश होने की संभावना। बजट 2025 इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्रित होने की संभावना- हर वर्ग के सुझाव पर गंभीरता से विचार करने की उम्मीद।जनभागीदारी की भावना को बढ़ावा देने, समावेशी विकास के साथ भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति में बदलने में आम जनता, हितधारकों के सुझाव जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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