कोलकाता। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की बिना शर्त रिहाई और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग को लेकर कोलकाता के रानी रासमणि एवेन्यू में भाजपा एवं पश्चिम बंगाल के विरोधी दल के नेता शिवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में एक विशाल जन सभा का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साधु, संत और सनातनी एकत्रित हुए।
मंच से पश्चिम बंगाल के नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भारत माता की जय का नारा देते हुए कहा कि सभी हिंदुओं को एक होने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ”कोलकाता के रासमणि एवेन्यू में जनसभा करने के लिए टीएमसी और दूसरे संगठनों को किसी को इजाजत नहीं लेनी पड़ती है। मगर हमें कुछ भी करने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति लेनी पड़ती है। बांग्लादेश में जैसे मोहम्मद यूनुस हैं, बंगाल में वैसी ही ममता हैं।”
”बांग्लादेश ये भूल रहा है कि कभी भारत ने ही उसको बनाया था और आज वह बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है। राजनीति बाद में होगी पहले हम हिंदू है।”
वहीं जन सभा में शामिल आचार्य संजय शास्त्री ने कहा, ”आज कोलकाता ने सिंह दहाड़ देख ली, आगे यह और भी दहाड़ देखेगा। पहले प्रतिवाद, फिर प्रतिरोध, अगर उससे भी काम न बने तो प्रतिशोध होता है, अब इस रास्ते पर हम लोग चलेंगे।
चिन्मय प्रभु बांग्लादेश के हिंदुओं का आवाज बने थे, उनको गलत तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि बांग्लादेश में कोई कानूनी राज नहीं, बल्कि जंगल राज चल रहा है। उनको समय के साथ पता चल जाएगा कि आखिर सनातनी क्या है। भारत सरकार से हम अनुरोध करेंगे कि बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाए।”
आगे कहा, ”हम 16 लोगों का प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश के डिप्टी हाई कमीशन के पास गया था, जहां कई चीजों पर बात की गई। संत समाज की तरफ से हम भारत सरकार से गुहार लगाएंगे कि बांग्लादेश हिंदुओं की भूमि है, हमने उस मिट्टी में जन्म लिया है।
हमारे, आपके पूर्वजों ने भी बांग्लादेश की धरती पर ही जन्म लिया है, तो उस मिट्टी पर हमारा अधिकार हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं को सुरक्षा दिया जाए। अगर संभव हो तो बांग्लादेश में हिंदुओं को अलग से जमीन देकर उनको वहां बसाया जाए।”
वहीं इस मामले में अपनी बात रखते हुए स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज ने कहा, ”हम लोगों ने कहा था कि जितने बंगाली हिन्दू हैंं, वह एकत्रित हों, बांग्लादेश के विषय को लेकर हम लोगों ने केंद्र सरकार से भी बात की है, कि वह कुछ करें। आशा है कि 15 दिन में कुछ सकारात्मक खबर मिलेगी। अगर इस पर कुछ नहीं हुआ, तो हम लोग लाखों की संख्या में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर बंद कर देंगे।
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