क्या डीप स्टेट भारत पर बुरी नजर डाल रहा है? पिछले 3 वर्षों से संसद सत्र के आसपास विदेश की रिपोर्ट पर हंगामा क्या महज संजोग है?

डीप स्टेट पड़ोसी मुल्कों में सफल मगर अमेरिका में नाकाम! क्या अब भारत पर बुरी नजर?
पड़ोसी मुल्कों अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश का हाल हमने देखे क्या अब डीप स्टेट की बुरी नजर सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर है? अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते भारत के कद प्रतिष्ठा रुतबे मान सम्मान से पूरी दुनिया हैरान है, क्योंकि भारत का रणनीतिक लक्ष्य विजन 2047 के रोड मैप उम्मीद से कई गुना अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है तो स्वाभाविक है, इसकी गूंज पूरे विश्व में होगी। साफ तौर पर अगर 4 सज्जन होंगे तो 24 दुश्मन भी पैदा होते हैं, जो भारत की दिशा को अपने अनुसार बढ़ाना या रोकना या अपना पावर सृजित करते हैं। इस क्रिया को डीप स्टेट की संज्ञा दी गई है, इसे ऐसे समूह के रूप में देखा जाता है जो गोपनीय तरीके से अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए बिना लोकतांत्रिक रूप से चुने ही देश पर राज करने की कोशिश करते हैं या अपने तरीके, मनमर्जी से सत्ता को चलना चाहते हैं। पिछले तीन संसदीय सत्रों से हम लगातार देख रहे हैं कि संसद के सत्र नहीं चल पा रहे हैं, विधेयक ध्वनि मत से पारित हो रहे हैं, जो पूरा विश्व देख रहा है, जिसका कनेक्शन डीप स्टेट से जोड़ा जा रहा है।

दिनांक 5 दिसंबर 2024 को राज्यसभा की लाइव चल रही कार्यवाही में माननीय सभापति महोदय ने पहली बार डीप स्टेट शब्द का उल्लेख किया है। सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता राज्यसभा सदस्य ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखे जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश का हाल हमने देखे, क्या अब डीप स्टेट की सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर बुरी नजर की संभावना है! इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत का तेजी से विकास, हैट्रिक स्थाई सरकार से नकारात्मक सोच वाले समूह जिसमें भारत विरोधी अमेरिकी उद्योगपति भी शामिल है, 3 वर्षों से संसद सत्र अवधि के आसपास विदेश की रिपोर्ट पर हंगामा क्या सिर्फ संयोग है?

साथियों बात अगर हम भारत में डीप स्टेट की संभावना की करें तो, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा भारत डीप स्टेट के निशाने पर है, भारत में अपने एजेंटों की मदद से डीप स्टेट देश विरोधी हरकतों को समय-समय पर हवा देता रहता है।डीप स्टेट भारत में हजारों एनजीओ को भी घूमा-फिराकर वित्त पोषित करता है ताकि राजनीतिक गतिरोध और प्रशासनिक अस्थिरता का माहौल बनाए रखा जा सके हालांकि, भारत में डीप स्टेट की सक्रियता और असर को लेकर कोई पुख्‍ता सबूत सामने नहीं आए हैं, लेकिन राजनीतिक गतिरोधों के दौरान अक्‍सर यह बहस का हिस्‍सा बनता रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों को पश्चिमी ताकतों और डीप स्टेट की भारत को अस्थिर करने की साजिशों के बारे में आगाह किया जा चुका है। भारत इन ताकतों की आंखों की किरकिरी बनता जा रहा है, क्योंकि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से दुनिया के कई देश और कारोबारी परेशान हैं।

साल 2019 में भारत का शेयर बाजार सकल घरेलू उत्पाद अनुपात 77 प्रतिशत था जो 2023-24 में बढ़कर 124 प्रतिशत हो गया है, इसके अलावा वैश्विक बाजार में डॉलर के इस्तेमाल को कम करने के बीच भारतीय रुपये का प्रचलन बढ़ रहा है। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता (स्ट्रैटिजिक अटॉनमी) की मजबूत परंपरा को फिर से तरजीह दी जा रही है। इसलिए, भारतीय कारोबारी उद्योगपति के साथ ही सेबी जैसी बाजार नियामक संस्था पर हमला कर एलआईसी, एसबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों में दहशत फैला दी गई थी, उन ताकतों का मानना था कि भारतीय बाजार में उथल-पुथल का सीधा असर लाखों मध्यवर्गीय लोगों और निवेशकों पर पड़ेगा और अफातफरी मच सकती है, हालांकि, ऐसा नहीं हो सका और भारतीय बाजार ने इस रोलर कोस्टर को आसानी से पार कर लिया था।

साथियों बात अगर हम लगातार पिछले तीन वर्षों से बाधित होने के दिनांक 5 दिसंबर 2024 को उच्च सदन के सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों द्वारा सवाल उठाने की करें तो, भाजपा सांसद ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से ये क्या संयोग है? जब भारत की संसद का सत्र चलता है, तभी ये रिपोर्ट्स आती हैं। पूर्व में भारत के किसानों को लेकर रिपोर्ट सामने आई, तब भी संसद सत्र चल रहा था और इसी तरह पेगासस और हिंडनबर्ग रिपोर्ट भी लगभग उसी समय सामने आई, जब भारत की संसद का सत्र या तो चल रहा था या शुरू होने वाला था। अब बजट सत्र शुरू होने से पहले भारत के उद्योगों के बारे में अमेरिकी अटॉर्नी की रिपोर्ट आती है। क्या ये महज संयोग है या फिर ये किसी साजिश का हिस्सा है।

विगत लोकसभा चुनाव में रूस की सरकार ने भी साफ कहा था कि भारत के चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिश हो रही है। ये पहली बार हुआ, जब किसी सरकार ने देश के चुनाव में हस्तक्षेप की बात कही। हिंडनबर्ग की भ्रामक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने ने कहा कि 22 जुलाई से 09 अगस्त के बीच संसद का मानसून सत्र हुआ और 10 अगस्त को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई। वहीं 25 नवंबर से वर्तमान सत्र शुरू हुआ और 20 नवंबर को एक अमेरिकी कोर्ट में अटार्नी की रिपोर्ट जारी हुई। क्या यह एक महज संयोग है? भाजपा सदस्य ने कहा कि 20 जुलाई, 2023 को संसद सत्र की शुरुआत होने वाली थी और 19 जुलाई को मणिपुर का वीडियो सामने आया था। क्या यह सब महज एक संयोग था? उन्होंने एक के बाद कई रिपोर्टों का जिक्र करते हुए इसे भारत को अस्थिर करने की साजिश बताया। उच्च सदन में उनके भाषण के दौरान विपक्ष के कुछ सदस्यों ने इस बात पर एतराज जताया कि शून्यकाल में 3 मिनट से अधिक नहीं बोलने का प्रावधान होने के बावजूद वह अपनी बात रखे जा रहे हैं, इस पर राज्यसभा के सभापति ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और इस पर हर किसी के विचार आने चाहिए।

उन्होंने कहा, पूरे सदन को एकजुट रहना चाहिए अगर ऐसा कोई ट्रेंड है, ऐसी कोई पहल है, जो खतरनाक है, जो हमारी संप्रभुता के लिए खतरा है।इसके साथ ही उन्होंने सदस्य को अपनी बात पूरी करने की इजाजत दी। सभापति की अनुमति के बाद विपक्षी सदस्यों के तेज होते हंगामे के बीच सदस्य ने आगे कहा, विशेष कर पिछले तीन सालों में जब से विकसित भारत का लक्ष्य रखा गया है, विदेश की ऐसी बहुत सी गतिविधियां हैं, जो भारत की व्यवस्था के आर्थिक, नैतिक और सामाजिक पक्ष पर हमला कर रही हैं। उन्होंने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसे विदेशी सरकारों की फंडिंग है और इसके केंद्र में भारत भी है। इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इस रिपोर्ट से विवादित अमेरिकी कारोबारी जार्ज सोरोस का भी संबंध भी बहुत गहरा है।

साथियों बात अगर हम डीप स्टेट को गहराई से समझने की करें तो, डीप स्टेट क्या है? कहां से आया, क्या है मतलब और मकसद? कैंब्रिज डिक्शनरी के मुताबिक डीप स्टेट ऐसे समूह को कहा जाता है जो गोपनीय तरीके से अपने विशेष हितों को पूरा करने और उसकी रक्षा के लिए और लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने के बगैर देश पर राज करने के लिए काम करते हैं। डीप स्टेट शब्द को तुर्की डेरिन डिलेट (गहरा/गहन राज्य) का एक अनुवाद माना जाता है, राजनीतिक तौर पर समझें तो डीप स्टेट एक प्रकार की समानांतर सरकार है, इसको किसी देश में संभावित रूप से गुप्त और अनधिकृत ताकतों के नेटवर्क से बनी सत्ता के तौर पर देखा जाता है। डीप स्टेट किसी भी राज्य के राजनीतिक नेतृत्व से अलग स्वतंत्र रूप से अपने निजी एजेंडे और लक्ष्यों की खोज में काम करती है। पब्लिक स्फीयर में यह शब्द काफी ज्यादा नकारात्मक अर्थ रखता है और अक्सर इसका मकसद साजिश के सिद्धांतों से जुड़ा होता है।

अमेरिका में दोबारा लौट रहे ट्रंप युग के बीच डीप स्टेट शब्द काफी चर्चा बटोर रहा है, डीप स्टेट की थ्‍योरी में भरोसा रखने वालों के मुताबिक, ये चुने हुए प्रतिनिधियों के समानांतर चलने वाला एक सिस्टम है। इसमें मिलिट्री, इंटेलिजेंस और ब्यूरोक्रेसी के लोग भी शामिल होते हैं और सरकार से अलग अपनी नीतियां लागू करते या उसे प्रभावित करते हैं। स्पुतनिक इंडिया ने वैश्विक उद्योग सूत्रों के हवाले से बताया है कि डीप स्टेट का मकसद भारतीय संस्थानों और कारोबारियों में जनता का विश्वास कमजोर करना है। बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया के कई देशों के अलावा खुद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान साफ तौर पर यूएस डीप स्टेट की भूमिका देखी गई थी। अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने प्रचार के दौरान जानलेवा हमले के बाद सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर गंभीर चिंता जताई थी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि क्या डीप स्टेट भारत पर बुरी नजर डाल रहा है? पिछले 3 वर्षों से संसद सत्र के आसपास विदेश की रिपोर्ट पर हंगामा क्या महज संजोग है? डीप स्टेट पड़ोसी मुल्कों में सफल मगर अमेरिका में नाकाम! क्या अब भारत पर बुरी नजर! पड़ोसी मुल्कों अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश का हाल हमने देखे, क्या अब डीप स्टेट की बुरी नजर सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर?

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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