हम सभ भारतीय एक ही दिशा में एक एक कदम चलते हैं तो एक साथ 142.8 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं
विश्व को भारत की 142.8 करोड़ जनसंख्या का बुद्धि कौशल, कार्यबल शुभ संकल्प दिख़ाने का समय आ गया है- जनसंख्या वृद्धि की सकारात्मक सोच- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत में गूंज रहे नारों बाटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं का आगाज पूरी दुनियाँ के हर देश में हो रहा है, लोग अपने-अपनी सोच से इसका अर्थ निकाल रहे हैं। मैंने 2 दिसंबर 2024 को सुबह सोशल मीडिया में एक हमारे मुस्लिम भाई के विचार सुने तो उनकी बुद्धि का लोहा माना, उन्होंने कहा यह दोनों नारे हमारे पूरे भारत की जाति, धर्म, मतभेद, दंगे फसाद भुलाकर एक होने के लिए है, ताकि हम भारत को विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, विकसित देश व वैश्विक गुरु बना सके। अगर हम आपस में ही जाति धर्म में उलझे रहे तो विजन 2047 कभी पूरा नहीं होगा, इसलिए यह दोनों नारे सटीक बैठ रहे हैं इसका अर्थ एक और एक ग्यारह से लगाएं, जाति, धर्म, समुदाय से जोड़कर ना देखे!! बस, मैं उनका अर्थ पारदर्शिता से समझ गया व इस पर आलेख बनाने की तैयारी कर रिसर्च किया।
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या भारत की है (1) भारत-142.86 करोड़ (2) चीन-142.57 करोड़ (3) अमेरिका -34.43 करोड़ (4) इंडोनेशिया- 27.38 करोड़ (5) पाकिस्तान- 23.14 करोड़ इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, 142.8 करोड़ जनसंख्या एक-एक कदम चलते हैं तो 142.8 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं तभी विश्व को जीत सकेंगे आइए एक और एक ग्यारह बने- बटेंगे तो कटेंगे, एक है तो सेफ हैं, पूरे भारत के परिपेक्ष में सकारात्मक सोचें। भारत के बड़े बुजुर्गों, बुद्धिजीवियों, कौशलता निपुण विद्वानों कुशल नेतृत्व धारक मनीषियों के विचारों का हमारे देश में अण्खुट खज़ाना है, हालांकि इनकी वैचारिक शक्ति का प्रयोग और क्रियान्वयन भी संस्कारों की जननी भारत माता के गोद में किया जाता है। परंतु वर्तमान समय में हमारे भारतवर्ष में जो एक विषय जोरों से चर्चा में है, उस पर बहुत गंभीरता से हर देशवासी को सकारात्मक सोचना होगा यह विषय है! 142 करोड़ जनसंख्या के कार्यबल, बुद्धि कौशल और शुभ संकल्प का संपूर्ण क्षमता के साथ दोहन करना।
साथियों यह विषय अगर हर भारतीय नागरिक जिसमें राजनैतिक शासन-प्रशासन, पक्ष विपक्ष, सभी के समझ में आ गया व उसका क्रियान्वयन पूर्ण स्केल के साथ करना शुरू हुआ तो दुनियाँ की कोई ताकत भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ विकसित देश बनाने में नहीं रोक सकती।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम जापान के टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन 2024 में भाग लेने के दौरान भारतीय समुदाय से बातचीत की करें तो उन्होंने कहा था आज हिन्दुस्तान से 130 करोड़ लोग और मैं जापान में बैठे हुए लोगों की भी आंखों में वही देख रहा हूं 130 करोड़ देशवासियों का आत्मविश्वास संकल्प, सपने और इस 130 करोड़ सपनों को पूर्ण करने का ये विराट सामर्थ्य परिणाम निश्चित लेके रहेगा दोस्तों। हमारे सपनों का भारत हम देख के रहेंगे। आज भारत अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपनी संस्थाओं के अपने खोये हुए विश्वास को फिर से हासिल कर रहा है।
साथियों बात अगर हम कुछ अवधि से चर्चाओं में चल रहे विषय जाति आधारित जनगणना और जनसंख्या नियंत्रण कानून की करें तो हालांकि नीतिगत फैसला अभी नहीं हुआ है। परंतु अभी जरूरत है वर्तमान जनसंख्या स्थिति को संज्ञान में लेकर उसके कार्यबल, बौद्धिक कौशलता का उपयोग करने के रणनीतिक रोडमैप बनाने की, क्योंकि भारत माता की मिट्टी के गुण इतने प्रभावी हैं कि यहां हर नागरिक में किसी न किसी कौशलता बुद्धिमता का गुण समाया हुआ है! बस! जरूरत है उसे तराशने की, उचित ट्रेनिंग देने की, जिसमें अगर हम सफल हो जाते हैं तो रोज़गार मांगने वाला रोजगार सृजनकर्ता बन जाएगा। 142.8 करोड़ लोगों के हाथों में काम होगा तो हम भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच क्या? 25 ट्रिलियन डॉलर तक की अर्थव्यवस्था भी ले जाने की क्षमता रखते हैं!
साथियों अगर हम वैश्विक रचना पर नजर घूमांए तो हमारा एक राज्य यूपी, दुनियाँ के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देशों के पांचवे देश के नम्बर में है, तो हम विचार करें कि, हमारे एक संयुक्त भारत में आज राज्य 35 हैं तो हमसे बहुत छोटी जनसंख्या वाले देशों के नागरिकों के हाथ में काम है, और कौछलता है तथा उनका जीवन स्तर उच्चतर है, तो फिर भारत में तो अपेक्षाकृत अधिक बुद्धि कौशलता और कार्य करने की क्षमता और काबिलियत है! हम तो उनसे कई गुना आगे बढ़ सकते हैं, बस जरूरत है उसे तराशने की जो काम राजनीतिक कौशल बुद्धि और वैचारिक एकता के मंत्र को अपनाने पर क्रियान्वयन होगा, यानी वैश्विक स्तर पर एक है तो सेफ है, बटेंगे तो कटेंगे।
साथियों बात अगर हम 135 करोड़ साथियों के कार्यबल बुद्धि कौशलता के निखार की करें तो हालांकि अलग अलग मंत्रालयों के तहत कार्य योजनाएं चलाई जा रही है व कौशलता विकास मंत्रालय भी बना हुआ है परंतु मेरा एक सुझाव है जिस तरह से सेनाओं के तीनों अंगों के लिए एक पीडीएफ पद का सृजन कर नियुक्ति की गई है ठीक उसी प्रकार 142.8 करोड़ जनसंख्या के लिए अलग-अलग मंत्रालयों के तहत कार्यबल बुद्धि कौशल क्षमता का उपयोग करने बनाए गए अपने-अपने विभाग के रणनीतिक रोड मैप को एक सूत्रीय पद याने एक विशेष मंत्रालय बनाकर यानी तालमेल के लिए उस मंत्रालय का सृजन कर माननीय पीएम के अंतर्गत दिया जाए तो इस कार्य में तीव्रता से वृद्धि होगी और हमारी 142.8 करोड़ जनसंख्या की कार्यक्षमता और उनकी कौशल क्षमता के दोहन का अभूतपूर्व विकास होगा और हम शीघ्र ही लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे और आत्मनिर्भर बहुत तेज़ी से बनेंगे।
साथियों बात अगर हम जातिगत, राजनीतिक स्थिति आंदोलनों, आरक्षण की लड़ाई की करें तो मेरा मानना है कि अगर 142.8 करोड़ पूरी जनसंख्या को उनके कार्यबल और कौशलता का आभास करा कर उनको निख़ारा जाएगा तो उनको यह एहसास कराकर सफलता की चाबी उनको दी गई, तो उपरोक्त सभी मामलों का अंत होने की भी संभावना है, क्योंकि हर हाथ में रोजगार होगा तो जातीयता, आरक्षण, राजनीति, नकारात्मकता की ओर किसी का ध्यान नहीं जाएगा, हालांकि अगर हम इस मुद्दे को नकारात्मकता से संज्ञान में लेकर विश्लेषण करें तो नकारात्मक रिजल्ट ही निकलेगा इसीलिए हमें इस विषय को सकारात्मकता से संज्ञान में लेने की ज़रूरत है।
साथियों बात अगर हम कुछ कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा एक कार्यक्रम के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी 135 करोड़ जनसंख्या के बारे में कहा था कि आज़ादी का अमृत महोत्सव भारत के उज्ज्वल भविष्य और विश्व में भारत को उन्नत स्थान दिलाने के लिए मन में आशा जगाने, संकल्प लेने और अपने कार्यों से इन आशाओं को पूरा करने का है। उन्होंने कहा कि भारत 135 करोड़ की आबादी वाला देश है और अगर सभी 135 करोड़ भारतीय आज़ादी के अमृत महोत्सव में एक-एक संकल्प लें तो एक बहुत बड़ी शक्ति बन जाएगी। अगर हम सब भारतीय एक ही दिशा में एक एक कदम चलते हैं, तो हम सब एक साथ 135 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं। ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि हम आज़ादी के अमृत महोत्सव को प्रेरणा का एक स्रोत व चेतना जागृत करने का माध्यम बनाकर भारत के विकास का राजमार्ग बनाएं।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आइए एक और एक ग्यारह बने, बटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं, पूरे भारत के परिपेक्ष में सकारात्मक सोचें। हम सब भारतीय एक ही दिशा में एक-एक कदम चलते हैं तो हम सब एक साथ 142.8 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं। विश्व को भारत की 142.8 करोड़ जनसंख्या का बुद्धि कौशलता, कार्यबल शुभ संकल्प दिखाने का समय आ गया है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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