कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के विधायक ज्योतिप्रिय मल्लिक (बालू) वर्तमान में जेल में बंद हैं। बावजूद इसके, वे अभी भी आवश्यक खाद्य निगम (एसेंशियल कमोडिटीज सप्लाई कॉर्पोरेशन) के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। राशन वितरण घोटाला को लेकर दक्षिण बंगाल में जांच और कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन उत्तर बंगाल की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
ऐसा होने पर एक बार फिर राशन वितरण घोटाले का मास्टर माइंड फिर से सत्ता पक्ष के साथ अपनी चाले चलने लगा है। विदेशों तक फैले इस घोटाले की तार को लेकर माना जा रहा है कि इस घोटाले से प्राप्त धन को दुबई की रियल एस्टेट संपत्तियों में निवेश किया गया था।
ईडी सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय एजेंसी ने विदेश मंत्रालय से मदद मांगी है। मंत्रालय के जरिए ईडी यूएई सरकार से संपर्क स्थापित कर दुबई में बसे भारतीयों से पूछताछ को सुचारु बनाना चाहती है। इस मामले में गिरफ्तार पहले व्यक्ति, कोलकाता के कारोबारी बकीबुर रहमान, ने हाल ही में दुबई में पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अदालत से जमानत की अर्जी दाखिल की थी। लेकिन ईडी ने इस अर्जी का विरोध किया।
ईडी का कहना है कि जमानत की शर्तों के अनुसार रहमान देश से बाहर नहीं जा सकते। ईडी के अनुसार, पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने का कारण महज एक बहाना था, जबकि उनका असली इरादा दुबई में अपनी संपत्तियों को संभालने का था।
पिछले साल रहमान की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उनके 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का पता लगाया था। इनमें दुबई में उनके नाम पर दो आलीशान फ्लैट शामिल हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और उत्तर 24 परगना जिलों में 51 एकड़ जमीन के कई टुकड़े और कोलकाता में नौ फ्लैट (कुल मिलाकर सात हजार वर्ग फीट) उनके नाम पर दर्ज हैं।
रहमान को राज्य के पूर्व खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का करीबी माना जाता है। मल्लिक को भी पिछले साल इसी राशन वितरण घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। वर्तमान में मल्लिक का इलाज कोलकाता के एक निजी अस्पताल में चल रहा है, जहां उन्हें हाल ही में प्रेसिडेंसी सेंट्रल जेल से स्थानांतरित किया गया है।
ईडी मामले की तह तक जाने के लिए दुबई में संपत्तियों और वहां बसे भारतीयों के साथ संभावित संलिप्तता की जांच को प्राथमिकता दे रही है। पिछले साल 27 अक्टूबर को राशन घोटाले के मामले में ईडी ने ज्योतिप्रिय मल्लिक को उनके सॉल्ट लेक स्थित घर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्रीमंडल में बनाए रखा था।
हालांकि, फरवरी 2024 में मल्लिक परिवार के अनुरोध पर उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। इसके बावजूद, वे खाद्य विभाग के अधीन आवश्यक खाद्य निगम के अध्यक्ष पद पर कैसे बने रहे, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आवश्यक खाद्य निगम राज्य में खाद्यान्न संग्रह, भंडारण, वितरण और आपूर्ति जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार है। निगम की वेबसाइट पर अभी भी ज्योतिप्रिय मल्लिक का नाम अध्यक्ष के रूप में दर्ज है। विभाग के कई अधिकारी इस बात पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से बच रहे हैं।
उनका मानना है कि अध्यक्ष पद पर मल्लिक को बनाए रखना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का निर्णय था, और इस पर सवाल उठाना उनके फैसले का विरोध करना होगा।2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिप्रिय मल्लिक को खाद्य मंत्री बनाया गया था।
उस समय उन्होंने निगम के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, 2021 में उन्हें खाद्य विभाग से हटाकर वन विभाग का मंत्री बना दिया गया। इसके बाद, नवंबर 2021 में मुख्यमंत्री ने उन्हें आवश्यक खाद्य निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर दिया।
विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए थे। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मल्लिक को अध्यक्ष बनाए रखने के निर्णय की आलोचना की थी। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तर्क दिया कि मल्लिक की खाद्य विभाग में लंबी अनुभवशीलता के कारण उन्हें इस पद पर बनाए रखा गया था।ज्योतिप्रिय मल्लिक को हाल ही में सांस से संबंधित समस्या के कारण अस्पताल ले जाया गया था। इलाज के बाद उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया है।
इस बीच, उनके परिवार ने उनकी जमानत के लिए कानूनी प्रयास तेज कर दिए हैं। मामला इस समय संवेदनशील बना हुआ है और विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ सरकार की भी आलोचना हो रही है कि आखिर क्यों एक जेल में बंद व्यक्ति को इतने महत्वपूर्ण पद पर बनाए रखा गया।
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