Allegations of corruption in tablet distribution in Bengal schools, demand for investigation

बंगाल के स्कूलों में टेबलेट वितरण में भ्रष्टाचार के आरोप, जांच की मांग

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सरकारी तौर पर एक और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। राज्य और राज्य-प्रायोजित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के संघ ने उच्च माध्यमिक छात्रों के लिए टेबलेट खरीदने के लिए आवंटित धन के कथित दुरुपयोग की जांच की मांग की है। इस मामले में व्यापक जांच की जरूरत जताई गई है, ताकि दोषियों का पता लगाया जा सके।

‘एडवांस्ड सोसाइटी फॉर हेडमास्टर्स एंड हेडमिस्ट्रेसेज’ (एएसएफएचएम) ने राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि वह इस मामले की साइबर क्राइम के दृष्टिकोण से उचित जांच कराए।

संघ ने मांग की कि भविष्य में प्रधानाध्यापकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रखा जाए, ताकि ऐसे विवादों के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव और परेशानियों से बचा जा सके।

एएसएफएचएम ने अपने पत्र में चिंता जताई है कि टेबलेट खरीदने के लिए प्रत्येक प्लस-टू छात्र के लिए आवंटित दस हजार रुपये कई छात्रों तक नहीं पहुंचा है, खासकर पूर्व मेदिनीपुर जिले में। संघ ने इसे ‘महत्वपूर्ण चिंता का विषय’ बताया है और इसे शिक्षा विभाग के ‘बांग्लार शिक्षा पोर्टल’ की सुरक्षा में खामी का संकेत भी कहा है।

एएसएफएचएम के महासचिव चंदन माइती का कहना है कि यह दुरुपयोग तभी हो सकता है, जब छात्र डेटा और बैंकिंग जानकारी वाले डेटाबेस से छेड़छाड़ की गई हो। उन्होंने बताया कि ‘तरुणेर स्वप्न’ योजना के तहत ओटीपी-आधारित लॉगिन सूची को अंतिम रूप देने की पुष्टि करता है, लेकिन यह बैंक विवरण में बदलाव या फर्जी छात्र प्रोफाइल बनाने से नहीं रोकता, जो प्रधानाध्यापकों के नियंत्रण से बाहर है।

यानी इस भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जी छात्रों की सूची बनाई गई है, ताकि धन को गबन किया जा सके।

हाल ही में पूर्व मेदिनीपुर में चार प्रधानाध्यापकों के खिलाफ आरोप लगे हैं कि उन्होंने असली छात्रों के बजाय अन्य खातों में धन हस्तांतरित किया। इसी तरह की घटनाएं मालदा और पूर्व बर्दवान जिलों से भी सामने आई हैं।

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि लाभार्थियों की सूची की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

एएसएफएचएम ने प्रधानाध्यापकों पर लगाए गए आरोपों पर चिंता जताई है और इस मामले में उन पर लगाए गए आरोपों को अनुचित बताया है। संघ का कहना है कि जुलाई 2024 में उन्होंने छात्र खातों में अनधिकृत बदलाव की शिकायत की थी, लेकिन उन्हें सर्वर समस्या बताकर टाल दिया गया था।

संघ ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि इन विवादों के कारण प्रधानाध्यापकों पर मानसिक दबाव पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें गैर-शैक्षणिक योजनाओं और गतिविधियों से मुक्त रखा जाए, क्योंकि उनके पास इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक संसाधन और अनुभव नहीं हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × two =