आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 सराहनीय, परंतु अब भ्रष्टाचार को आतंकवाद का पर्याय मानना अत्यंत जरूरी
शासकीय व प्रशासकीय तंत्र में संतरी से मंत्री तक चपरासी से उच्च अफसर तक अगर त्रैमासकीय भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन करें तो जीरो टॉलरेंस की गारंटी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र।
वैश्विक स्तर पर आतंकवाद व भ्रष्टाचार दुनिया के हर देश को दीमक की तरह चाटकर बर्बादी के आलम तक पहुंचा रहे हैं, इसलिए हर देश इस महामारी से ग्रस्त है परंतु मेरा मानना है कि यह बात हर किसी के मन में होगी कि बिना किसी उच्चस्तरीय सहयोग से यह दोनों बीमारियां पनपेगी नहीं, जैसे कोविड -19 को मिटाने एक वैक्सीन का सहारा लिया गया, उसी तरह आतंकवाद और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए उसकी जड़ तक जाना होगा, जो ऐसा कर रहे हैं वही लोग आपस में त्रैमासिक सम्मेलन कर भ्रष्टाचार बिल्कुल नहीं करने का हाल ढूंढे, तो इस महामारी को जीरो टॉलरेंस तक पहुंचा जा सकता है, जो भ्रष्टाचार हर जगह, एक चपरासी से लेकर बड़े ऑफिसर तक वह संत्री से लेकर मंत्री तक होने को कहा जाता है, हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हो सकते हैं। अगर यही आपस में त्रैमासिक सम्मेलन कर इसे जीरो टॉलरेंस तक पहुंचाने का प्रण ले तो भ्रष्टाचार करने वाले की हिम्मत नहीं होगी, क्योंकि 10 से 50 प्रतिशत तक कमीशन चलने के आरोप जन सभाओं में नेता लोग ही लगाते रहते हैं, यह सभी जानते हैं।
जैसे अभी आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 में सभी विशेषज्ञ बैठकर विचार विमर्श कर रहे हैं, वैसे ही भ्रष्टाचार पर भी इस तरह का सम्मेलन होना चाहिए। मेरा मानना है कि आतंकवाद व भ्रष्टाचार को एक ही परिभाषा के दायरे में लाना जरूरी हो गया है यदि दोनों समाप्त हो जाएंगे तो भारत एक बार फिर त्रेतायुग की ओर चल पड़ेगा और सोने की चिड़िया कहलाएगा। चुकी आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 को शुरू हो गया है इसलिए मेरा मानना है कि इसी तर्ज पर भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन भी रखना चाहिए जो त्रैमासिक स्तर पर हो। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 सराहनीय है, परंतु अब भ्रष्टाचार को आतंकवाद का पर्याय मानना अत्यंत ज़रूरी हो गया है।
साथियों बात अगर हम नई दिल्ली में शुरू आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 की करें तो एनआईए के तत्वावधान में गुरुवार से दिल्ली में दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन शुरू हो गया है, केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा सम्मेलन के उद्घाटन कर संबोधन। सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों और आतंकवाद से उत्पन्न खतरों पर विचार विमर्श हो रहा है। पीएम के नेतृत्व में भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। सरकार आतंकवाद की बुराई को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।वार्षिक सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों और आतंकवाद से उत्पन्न खतरों पर विचार-विमर्श हो रहा है। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान आतंकवाद-निरोधी जांच में अभियोजन और बदल रहे कानूनी ढांच पर भी चर्चा हो रही है। अनुभवों और बैस्ट प्रैक्टिसिस को साझा किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने खुद सोशल साइट एक्स पर ट्वीट कर इस सम्मेलन के बारे में बताया कि सरकार अपनी शून्य सहनशीलता की नीति के साथ आतंक मुक्त भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने लिखा था कि दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन भारत के सुरक्षा गढ़ को मजबूत करने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय को और बढ़ाएगा। उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियों और अवसरों से जुड़े मुद्दों पर भी इस सम्मेलन के दौरान चर्चा होगी। इसके साथ ही इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग और देशभर में विभिन्न आतंकवाद-निरोधी गतिविधियों पर भी चर्चा होगी। सम्मेलन में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की रणनीतियों सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों भी विचार-विमर्श होगा। सम्मेलन का मुख्य फोकस संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण की भावना में आतंकवाद के खतरे के खिलाफ समन्वित कार्रवाई करना है और इसके लिए चैनल स्थापित करके विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना है। अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग और रणनीतियों पर की जाएगी चर्चा। एनआईए द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी, कानून, फोरेंसिक और प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ आतंकवाद से निपटने के लिए कानूनी ढांचे, अभियोजन चुनौतियों और उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए।
चर्चाओं में भारत भर में सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग और रणनीतियों पर भी चर्चा की। हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना है उद्देश्य गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024 का मुख्य फोकस संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की भावना में आतंकवाद के खतरे के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए चैनल स्थापित करके विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना है। बैठक का उद्देश्य भविष्य की नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करना भी है। दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों पर विचार-विमर्श और चर्चाएं केंद्रित होंगी। जिनमें आतंकवाद-रोधी जांच में अभियोजन और कानूनी ढांचा विकसित करना, अनुभवों और अच्छे तरीकों को साझा करना, उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियां और अवसर, अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग और भारत भर में विभिन्न आतंकवाद-रोधी थिएटरों में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की रणनीतियां शामिल हैं।
इस सम्मेलन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, आतंकवाद से निपटने से संबंधित मुद्दों से निपटने वाली केंद्रीय एजेंसियों और विभागों के अधिकारी तथा कानून, फोरेंसिक और प्रौद्योगिकी जैसे संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ भाग लिए। गृह मंत्रालय ने कहा कि वार्षिक सम्मेलन पिछले कुछ वर्षों में परिचालन बलों, तकनीकी, कानूनी और फोरेंसिक विशेषज्ञों तथा आतंकवाद से निपटने में लगी एजेंसियों के लिए एक बैठक बिंदु के रूप में उभरा है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों और आतंकवाद से उत्पन्न खतरों पर विचार विमर्श किया जाता है।
साथियों बात अगर हम आतंकवाद व भ्रष्टाचार को एक ही परिभाषा के दायरे में लाने की करें तो, मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि इसका क्रियान्वयन शीघ्र तात्कालिक किया जाए, जिसकी अभी से सीधे रणनीति बनाकर ऊपर से नीचे तक व 747 जिलों से 5410 से अधिक तहसीलों तक पैनी नजर रखकर ऐसा जाल बिछाया जाए, कि एक चपरासी भी 10 रुपए की रिश्वत लेने से डरे! जिस तरह से माननीय गृहमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ बॉडी लैंग्वेज दिखाते हैं वह अब धरातल पर तात्कालिक लाना जरूरी है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार अर्थव्यवस्था को खोखला करने का सटीक कारण बन सकता है, जिसे हमें शीघ्र जड़ से काटकर फेंकना है।
क्योंकि हमें अब जल्द 5वीं से 3री अर्थव्यवस्था पर आना है तो, सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार को जड़ से कटकर फेंकना होगा, जिसकी जवाबदेही हर शासकीय कर्मचारी व जनता को एक साथ उठना होगा। अगर भ्रष्टाचार समाप्त होगा तो, भारत फिर सोने की चिड़िया बन जाएगा, यह स्वप्न जरूर लगता है परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि यदि माननीय गृहमंत्री भ्रष्टाचारियों को उल्टा लटका कर सीधा करने वाले संबोधन को धरातल पर प्रयोग में शीघ्र लाएंगे तो इसकी गाज एक राज्य के कुछ जिलों में पड़ेगी, तो बाकी जिले अपने आप ठीक हो जाएंगे। चूंकि भारत को विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने, भ्रष्टाचार पर तात्कालिक सख़्ती से कदम उठाना अत्यंत जरूरी हो गया है।
साथियों बात अगर हम भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने की करें तो, नए भारत में एक बात को प्राथमिकता देना तात्कालिक अनिवार्य है। वह है भ्रष्टाचार को शून्य सहिष्णुता में लाना! क्योंकि यही वह कड़ी है जो प्राथमिकता से सभी योजनाओं, नीतियों और लक्ष्यों को बाधित कर देती है, साथियों जो विकास की योजनाएं चलती है उसमें एक छोटी टेबल से लेकर अंतिम मुख्य टेबल तक का रोल होता है। एक आम आदमी का काम भी एक छोटी टेबल से लेकर मुख्य टेबल तक होता है। परंतु इस बीच में भ्रष्टाचार का दीमक मलाई को चट कर जाता है जिसका दुष्परिणाम आम आदमी को ही भुगतना पड़ता है, पूरा बोझ इमानदार टैक्सपेयर पर पड़ता है, इसलिए इस भ्रष्टाचार रूपी दीमक को प्रशासनिक सख्ती, पारदर्शी व्यवस्था और नागरिकों की मुख्य सहभागिता रूपी दवाई से मिटाने में आसानी होगी।
हमारे कुछ टेबल वाले अपवाद साथियों को भी सोचना होगा कि, भ्रष्टाचार के नशीले अहसास में रास्ते गलत पकड़ लिए और इसीलिये भ्रष्टाचार की भीड़ में हमारे साथ गलत साथी, संस्कार, सलाह, सहयोग जुड़ते गए। जब सभी कुछ गलत हो तो भला उसका जोड़, बाकी, गुणा या भाग का फल सही कैसे आएगा? तभी भ्रष्टाचार से एक बेहतर हमें अपने परिवार की दुनिया बनाने के प्रयासों के रास्ते में भारी रुकावट पैदा हो रही है, इसका कारण है खोटी कमाई। इसीलिए हम नए भारत, आत्मनिर्भर, भारत 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था का भारत बनाने के लिए इस दीमक की बीमारी पर योजना बद्ध तरीके से रणनीतिक रोड मैप बनाकर काम करना होगा ताकि भ्रष्टाचार की शून्य सहिष्णुता हो सके।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार समाप्त करने पर काम करने की करें तो शासन प्रशासन इस दिशा में अनेक योजनाएं, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 30 सालों के बाद संशोधन कर नए प्रावधान शामिल कर भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 कर उनमें अनेक प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिसमें ऐसी कार्रवाई में व्यक्तिगत और कारपोरेट संस्थानों के लिए भी प्रभावी रोकथाम की व्यवस्था की गई है। परंतु मेरा मानना है कि उसके बाद भी यह दीमक अपनी खुराक बराबर निकाल ही रहा है। साथियों अब समय आ गया है कि इस दीमक के छेद को ढूंढकर उनकी खुराक बंद करने की व्यवस्था की जाए, जो नए और आत्मनिर्भर भारत की नींव के पहियों में से एक साबित होगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय कानूनों में आतंकवाद व भ्रष्टाचार को एक ही परिभाषा के दायरे में लाना समय की मांग। आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 7-8 नवंबर 2024 सराहनीय परंतु अब भ्रष्टाचार को आतंकवाद का पर्याय मानना अत्यंत जरूरी। शासकीय व प्रशासकीय तंत्र में संतरी से मंत्री तक, चपरासी से उच्च अफसर तक अगर त्रैमासकीय भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन करें तो जीरो टॉलरेंस की गारंटी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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