Maha Chhath, a folk festival of faith, started withNahay-Khay

नहाए खाए से शुरू हुआ आस्था का लोकपर्व महाछठ

कोलकाता। सनातन धर्म में आस्था का लोकपर्व महाछठ का विशेष महत्व है। आज नहाए खाए के साथ महापर्व शुरू हो चुका है, जिसका समापन 8 नवंबर को होगा। इस खास मौके पर उगते सूरज और ढलते सूरज की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, विधि-विधानपूर्वक छठी मैया की भी आराधना की जाती है।

यह त्यौहार खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं, इसलिए इस पर्व नहीं बल्कि महापर्व कहा गया है।

लोग सालभर इस्तेमाल के आने का इंतजार करते हैं। इस त्यौहार में तरह-तरह के फल चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा, आटे से बनाया हुआ ठेका महाप्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है। साथ ही परिवार के सदस्यों के सुखी और संपन्न रहने की कामना की जाती है।

वहीं, मंगलवार यानी आज से नहाए खाए के साथ शुरू हो चुका है। बता दें कि यह त्योहार 4 दिन तक चलता है, लेकिन क्या आपने कभी एक बात गौर किया है कि नहाए खाए के दिन लौकी भात खाने की ही परंपरा क्यों है?

क्यों खाते हैं लौकी भात?

जो लोग छठ करते हैं, आज के दिन उनके घर पर लौकी भात बनता है। इसके अलावा, यह आपके ऊपर निर्भर है कि आप खाने में और क्या-क्या बनाएंगे, लेकिन इस दिन लौकी भात खाने का महत्व कुछ और ही है। दरअसल, छठ पूजा का व्रत 36 घंटे तक रखा जाता है, जोकि निर्जला होता है। शरीर में पानी की कमी होने लगती है, इसलिए लौकी और भात खाया जाता है, क्योंकि दोनों में ही पानी की मात्रा काफी अधिक होती है।

इसके साथ ही, पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है। नहाए खाए के दिन लौकी-भात खाने की परंपरा चली आ रही है। इसे पॉजिटिव और शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है। छठ पूजा के दौरान नहाए-खाए के अवसर पर जो भी चीज बनती है। वह बिना प्याज लहसुन के बनती है, कुछ लोग इस दिन कद्दू भी खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा, चने का दाल भी बनाया जाता है। जिसे घी से छौंक दिया जाता है। इस दिन केवल व्रती ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को सात्विक भोजन करना पड़ता है।

सेंधा नमक का इस्तेमाल

छठ पूजा में प्रसाद बनाने के लिए जो चूल्हे का प्रयोग किया जाता है, वह बिल्कुल साफ होना चाहिए। इस दिन महिलाएं केवल एक बार ही भोजन करती हैं। इसके बाद वह खरना में यानी अगले दिन प्रसाद खाती है, जिसके बाद उनके 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। नहाए खाए के दिन से भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Kolkata Hindi News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)

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