कोलकाता। अलीपुर कोर्ट में आर.जी. कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में आरोपित बिप्लव सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का दावा है कि बिप्लव सिंह और आर.जी. कर अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष के बीच नजदीकी संबंध थे।
हालांकि, बिप्लव के वकील ने इस दावे को नकारते हुए इसे निराधार बताया। उनका कहना है कि उनके मुवक्किल को अस्पताल से अभी भी व्यवसायिक काम के लिए सात लाख 60 हजार रुपये से अधिक की राशि बकाया है।
सीबीआई की ओर से अदालत में यह भी बताया गया कि बिप्लव की कंपनी ‘मा तारा ट्रेडर्स’ ने आर.जी. कर अस्पताल के अलावा कई अन्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की है। जांच में पाया गया कि बिप्लव ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिए बिना ही कई ठेके हासिल किए।
आर.जी. कर अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपर आख़्तर अली ने भी इस बारे में संदेह जताया था। उन्होंने आर.जी. कर में वित्तीय अनियमितताओं के मुद्दे को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में ईडी और सीबीआई से जांच की मांग की थी और अस्पताल में आपूर्ति के ठेकों में पक्षपात के आरोप लगाए थे।
बिप्लव के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल की संदीप घोष से कोई नजदीकी नहीं है। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि अगर उनके मुवक्किल का अस्पताल के अधिकारियों से कोई विशेष संबंध होता, तो इतनी बड़ी रकम बकाया नहीं होती।
बिप्लव की कंपनी ने एसएसकेएम अस्पताल, बांगुर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस और हावड़ा सदर अस्पताल जैसे संस्थानों में नियमित रूप से उपकरणों की आपूर्ति की है। यदि इन उपकरणों की गुणवत्ता में कोई खामी होती, तो अन्य अस्पतालों से भी शिकायतें आतीं, लेकिन ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।
सीबीआई के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि जांच अभी भी जारी है, और ऐसे में आरोपितों को जमानत दी गई तो वे भाग सकते हैं। इसलिए उन्होंने बिप्लव की जमानत का विरोध किया। सीबीआई के अधिकारी ने अदालत में बताया कि बिप्लव बिना टेंडर में भाग लिए ही ठेके हासिल कर लेते थे।
मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन अलिपुर कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है।
इस मामले में बिप्लव के साथ ही सुमन हाजरा और आशीष पांडे ने भी जमानत की अर्जी लगाई थी। अलीपुर कोर्ट में उनकी जमानत पर सुनवाई 12 नवंबर को होगी, जिसमें सीबीआई को अपना पक्ष लिखित में प्रस्तुत करना होगा।
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