अमेरिकी चुनावीं जंग चरम पर पहुंची- नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख तय है
अमेरिका में अर्ली वोटिंग 4 नवंबर 2024 तक होगी, अभी तक 4.1 करोड़ से अधिक अर्ली वोटिंग होना दर्शाता है चुनावी सक्रियता में वोटरों की रुचि चरम पर है- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने 4 जून 2024 को अपना निर्णय सुनाया था, अब बारी दो महत्वपूर्ण राज्यों महाराष्ट्र में झारखंड की है जहां 20 नवंबर 2024 को मतदान व 23 नवंबर 2024 को परिणाम आने हैं। परंतु पूरे दुनियाँ की नजरें इन दिनों अमेरिका में दो दिनों के बाद यानि 5 नवंबर 2024 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर लगी हुई है। बता दें कि अर्ली वोटिंग जो अभी 4.3 करोड़ से अधिक हो चुकी है व 4 नवंबर 2024 को इसकी अंतिम तिथि है, फिर सीधा अंतिम चुनाव होगा।चूँकि नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख तय है, इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, व्हाइट हाउस की रेस, कौन होगा विनिंग फेस, डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस।
साथियों बात अगर हम 5 नवंबर 2024 को अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की करें तो अमेरिका में वॉइट हाउस की रेस अंतिम चरण में पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। 5 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले ही 4.1 करोड़ से अधिक अमेरिकी अपने मतपत्र डाल चुके हैं। तमाम चुनाव सर्वेक्षणों के नतीजों को देखते हुए इसे हाल के इतिहास में सबसे कठिन चुनावों में से एक कहा जा रहा है। इस साल वॉइट हाउस की रेस अमेरिका में सबसे असामान्य में से एक रही है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी बहस में बुरे प्रदर्शन के बाद पार्टी के भारी दबाव के चलते राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रेसिडेंशियल रेस से अपना नाम वापस ले लिया था।
इसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को अपना उम्मीदवार बनाया था। कमला हैरिस ने पार्टी उम्मीदवार बनने के बाद से ही सभी सर्वेक्षणों में डोनाल्ड ट्रंप को कड़ी टक्कर दी है। हालांकि, दोनों के बीच का अंतर मामूली रह गया है। अमेरिका में चुनाव 5 नवम्बर मंगलवार को होंगे। अमेरिका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी नागरिक नवम्बर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को मतदान करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाला उम्मीदवार 20 जनवरी को पद की शपथ लेता है और अगले चार साल वॉइट हाउस में सेवा देगा।अमेरिका में चुनाव के बाद 5 नवम्बर को ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, लेकिन यह पता लगने में कई दिन लग सकते हैं कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा।
आम तौर पर मीडिया हाउस अपने पास मौजूद आंकड़ों के आधार पर चुनाव की रात या अगले दिन राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की घोषणा करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार 270 या उससे अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करता है, तो उसे चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा। साल 2020 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 3 नवम्बर को मतदान हुआ था। इसके चार दिन बाद पेंसिल्वेनिया के परिणाम की पुष्टि होने के बाद जो बाइडन को विजेता घोषित किया गया था। राज्य से बाइडन को 20 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिले थे, जिसके उनके कुल वोटो की संख्या जीत के जरूरी 270 को पार कर गई थी। साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन ने चुनाव के अगले दिन सुबह ट्रंप से हार स्वीकार कर ली थी। 6 जनवरी 2025 तक कांग्रेस को चुनावी वोटों की गिनती के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की आधिकारिक घोषणा करनी होगी।
साथियों बात कर हम अमेरिका में 4 नवंबर 2024 तक चलने वाली तेज अर्ली वोटिंग की करें तो, अमेरिका में चुनावी रेस अक्सर कुछ सूबों की लड़ाई भी कही जाती है। अमेरिका के 50 सूबों में से अधिकतर में किसी एक दल के रजिस्टर्ड मतदाताओं की बहुलता के कारण उनके नतीजे प्रत्याशित ही होते हैं। ऐसे में कई सूबों का रंग लाल (रिपब्लिकन) है या नीला (डेमोक्रेट), यह लगभग तय ही है। मगर कुछ सूबे पर्पल (बैंगनी) स्टेट्स कहे जाते हैं यानी ऐसे राज्य जहां रिपब्लिकन व डेमोक्रैटिक पार्टी के वोटर लगभग बराबर हैं। स्विंग स्टेट को जीतना उम्मीदवार के लिए चुनौती। राष्ट्रपति पद के किसी भी उम्मीदवार के लिए इन बैटल ग्राउंड स्टेट्स या स्विंग स्टेट को जीतना ही सबसे बड़ी चुनौती होता है।
क्योंकि यह ऐसे सूबे हैं जहां नतीजे रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टियों के बीच पाले बदलते रहे हैं। हर उम्मीदवार इन सूबों में ही प्रचार पर खास ध्यान देता है। कमला हैरिस औऱ डोनाल्ड ट्रंप के बीच चल रहे चुनावी मुकाबले में इस बार एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन पैनसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना समेत 7 सूबों को निर्णायक कहा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ताजा आंकड़े बताते हैं कि जॉर्जिया पैनसिल्वेनिया और एरिजोना जैसे स्विंग सूबों में मतदाताओं ने अर्ली वोटिंग में खासा उत्साह दिखाया है। इनमें भी बड़ी संख्या महिलाओं की है। एरिजोना में जहां रिपब्लिकन पार्टी के मतदाताओं ने बड़ी संख्या में डाक मतों का इस्तेमाल किया है, वहीं पैनसिल्वेनिया में डाक मतों का इस्तेमाल करने वालों में डेमोक्रेटिक पार्टी के पंजीकृत वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। स्विंग स्टेट्स में अर्ली वोटिंग के आंकड़े न केवल उम्मीदवारों की चुनावी ताकत की बानगी दिखाएंगे, बल्कि इस बात के भी संकेत भी दे देंगे कि दोनों में से कौन अंतर को पाट सकेगा देखना होगा।
साथियों बात अगर हम अमेरिका व भारत में होने वाले आम चुनाव में अंतर की करें तो, भारत और अमेरिका के चुनाव में सबसे बड़ा अंतर तो ताकतवर दफ्तर के लिए उम्मीदवारों के चयन में ही नजर आ जाता है। भारत में चुनावी बहुमत हासिल करने वाले दल के सांसद जिसे अपना नेता चुनते हैं वो प्रधानमंत्री बनता है। वहीं अमेरिका में कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी का खुद ऐलान करता है। जीत जाए तो वही राष्ट्रपति बनता है। अर्थात अमेरिका में जनता राष्ट्रपति पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार के नाम पर वोट देती है। राष्ट्रपति पद का दावेदार अपनी पार्टी चुनने के साथ ही शुरुआत में अपने चुनाव के लिए खुद ही फंड भी जुटाता है और प्रचार भी करता है। उसकी लोकप्रियता और जन समर्थन का पलड़ा तौलने के बाद रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी उसकी पीठ पर हाथ रखती है। यानी अपने अधिवेशन में औपचारिक तौर पर उसकी उम्मीदवारी पर मुहर लगाती हैं। अमेरिका में चुनाव के लिए मतदान की व्यवस्था लगभग वैसी ही है जैसी भारत में होती है। अर्थात मतदान एक निर्धारित केंद्र पर किया जाता है। इसके अलावा डाक से भी लोग वोट देते हैं। अंतर है तो बस अर्ली वोटिंग मतलब तय तिथि से पूर्व मतदान का। साल 2020 में कोविड काल में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने डाक मतपत्रों का इस्तेमाल किया। इसके बाद से डाक-मतपत्र सुविधा को लेकर रुझान बढ़ा है। अमेरिका में अर्ली वोटिंग यानी तय मतदान तिथि से पहले भी एक नियत अवधि में वोट दे सकते हैं। इसके तहत 4.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने मत डाले हैं। इनमें एक बड़ी संख्या उनकी है जिन्होंने बूथ पर जाकर वोट दिया, जबकि कई ने डाक मतों का उपयोग किया। अर्ली वोटिंग 4 नवंबर तक चलेगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर 2024- व्हाइट हाउस की रेस, कौन होगा विनिंग फेस, ट्रंप या हैरिस। अमेरिकी चुनावी जंग चरम पर पहुंची- नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख तय है। अमेरिका में अर्ली वोटिंग 4 नवंबर 2024 तक होगी, अभी तक 4.1 करोड़ से अधिक अर्ली वोटिंग होना दर्शाता है चुनावी सक्रियता में वोटरों की रुचि चरम पर है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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