चंदा तेरे कितने रूप!!!

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। चंद्रमा पूजनीय है क्योंकि हमारे शास्त्रों में चंदा को ब्रह्माजी का मानस पुत्र कहा गया है। चंद्रमा को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए सुहागिन स्त्रियां कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (करवा चौथ) को पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा से अपने सुहाग की लंबी उम्र का वर मांगती हैं। चूंकि चंद्रमा मन का भी कारक ग्रह है, अतः चांद का आशीर्वाद महिलाओं के चंचला स्वभाव को स्थिर भी करता है।

चंदा अपने एक रूप में ‘शापित’ भी है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि अपनी खूबसूरती के दर्प में चंद्रमा ने एक बार भादों मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के बेडौल उदर और निकले हुए दांतों का उपहास कर दिया था। तब गणेश जी ने उसे श्राप दिया था कि वह तिल-तिल कर घटते हुए समाप्त हो जाएगा और जो भी उसे उस दिन (कलंक चतुर्थी) चंद्रमा को देखेगा, उस पर झूंठा कलंक लग जायेगा।

भगवान गणेश के इस श्राप से भगवान कृष्ण तक नहीं बच पाये। एक बार भूलवश मुरलीधर ने कलंक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देख लिया था, तो उन पर भी स्वयमंतक मणि की चोरी का आरोप लग गया था। हालांकि बाद में भोलेनाथ की कठोर तपस्या करके चंद्रमा ने शंकर भगवान की जटाओं पर स्थान पाया और साथ ही लंबी आयु का वरदान भी पुनः प्राप्त कर लिया।

हमारे कवियों ने चंद्रमा का कुछ अलग ही रूप देखा है। उन्होंने कभी रूपवती नायिका की तुलना चंद्रमा से करते हुए उसे “चौदहवीं के चांद ” की उपमा दी है तो कभी उसे “पूर्णिमा” कहकर उसके रूप वर्णन में चार चांद लगाये हैं। किसी कवि ने चंद्रमा को बालक के रूप में अपनी मां से झिंगोला सिलाने का बाल- आग्रह करते हुए भी देखा है। सदियों से माताओं ने अपनी लोरी में चंदा को मामा कहा है तो बच्चों ने चंद्रमा में बुढ़िया को सूत काटते हुए देखा है।

वैज्ञानिक चंदा को बिल्कुल अलग रूप में देखते हैं। वे कहते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और यह उपग्रह पृथ्वी से लगभग 3,84, 400 किलोमीटर दूर है। वे यह भी कहते हैं कि चंद्रमा पर बिल्कुल अंधेरा है और वह सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होता है। उसकी सतह पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 6 गुना कम है तथा चंद्रमा, पृथ्वी का चक्कर लगभग 27 दिनों में पूर्ण करता है।

हमारे अपने चंद्रयान ने चंद्रमा पर पानी खोज निकाला था। अभी कुछ ही समय पूर्व चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सफल लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है। अब प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के नित नए राज दुनिया को उजागर कर रहा है।

विनय सिंह बैस, लेखक/अनुवाद अधिकारी

सुनते हैं कुछ लोग चंद्रमा पर जाने की एडवांस बुकिंग भी करा चुके हैं।
शास्त्रों, कवियों, वैज्ञानिकों द्वारा परिभाषित चंद्रमा के इतर एक मेरा खुद का भी चांद है जिसके चारों ओर मैं सदैव चक्कर काटता रहता हूँ। मेरे चंदा की मुझसे कोई भी शारीरिक और मानसिक दूरी नहीं है। उस चंदा का (गुरुत्व) आकर्षण इतना अधिक है कि मैं उस से दूर कभी जा ही नहीं पाता। मेरी चंदा मेरी लंबी आयु और आरोग्यता के लिये प्रतिवर्ष करवाचौथ का व्रत रखती है और मैं पूरे वर्ष उसके सौंदर्य और सतीत्व की आभा से आलोकित होता रहता हूं।
# करवाचौथ

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 − 4 =