Junior doctors in Bengal sat on a sit-in protest in front of Swasthya Bhavan overnight

बंगाल के जूनियर डॉक्टर बना रहे हड़ताल वापस लेने की योजना

कोलकाता, चार अक्टूबर : पश्चिम बंगाल के प्रदर्शनकारी कनिष्ठ चिकित्सक शुक्रवार को अपना ”काम रोको” अभियान खत्म कर सकते हैं और जल्द सामान्य ड्यूटी शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, आरजी कर अस्पताल में सहकर्मी महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या मामले में न्याय तथा अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सूत्रों ने बताया कि बृहस्पतिवार रात को शुरू शासी निकाय की बैठक आज सुबह संपन्न हुई। बैठक में कनिष्ठ चिकित्सकों ने शुक्रवार दोपहर एक रैली निकालने का फैसला किया। इस दौरान वे ”पूर्ण काम रोको” अभियान वापस लेने की घोषणा कर सकते हैं।

एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, ”आज सुबह शासी निकाय की बैठक संपन्न हुई। हमने फिलहाल काम बंद रखने का फैसला किया है, लेकिन हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। हम जानते हैं कि बड़ी संख्या में मरीज हर दिन सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं।”

कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों ने आम मरीजों की परेशानियों को देखते हुए उनसे अपना पूर्ण ‘काम रोको’ अभियान वापस लेने का अनुरोध किया था।

चिकित्सक ने कहा, ”दोपहर में हम एक रैली आयोजित करने की योजना बना रहे हैं और पूर्ण काम रोको अभियान को वापस लेने के बारे में अपने निर्णय की घोषणा कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वे उनकी मांगों को लागू करने के संदर्भ में राज्य सरकार के लिए एक समय सीमा तय करने की योजना बना रहे हैं, जिसके बाद वे वादे पूरे होने तक ”अनिश्चितकालीन अनशन” शुरू करेंगे।

उन्होंने कहा, ”खासकर विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सकों पर हो रहे हमलों के मद्देनजर हम राज्य सरकार को हमारी मांगों को पूरा करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करने की योजना बना रहे हैं। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो हम आमरण अनशन शुरू करेंगे।”

सरकारी कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागर दत्ता अस्पताल में एक मरीज के परिवार द्वारा चिकित्साकर्मियों पर हमले की घटना के बाद कनिष्ठ चिकित्सकों ने एक अक्टूबर को फिर से ‘काम रोको’ अभियान शुरू किया था।

इससे पूर्व कनिष्ठ चिकित्सकों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को सहकर्मी चिकित्सक से बलात्कार एवं हत्या के विरोध में 42 दिन तक काम बंद किया था।

हालांकि राज्य के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने 21 सितंबर को अपनी हड़ताल समाप्त कर दी तथा सुरक्षा और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आवश्यक सेवाएं बहाल कर दीं।

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