नवरात्रों में अपनी राशि के अनुसार देवी दुर्गा के कौन से रूप को क्या अर्पण और किन मंत्रो से पूजन करें आइये जानते हैं

वाराणसी। इस बार शरद् नवरात्र आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा का आरम्भ गुरुवार को हस्त नक्षत्र, ऐन्द्र योग, किस्तुघ्न करण तथा कन्या राशि के गोचर काल के समय में हो रहा है। आइए जानिए अपनी राशि अनुसार देवी दुर्गा के कौन से रूप को क्या अर्पण और किन मंत्रो से पूजन करें।

मेष राशि : शिव आराधना करें। स्कंद माता की विशेष पूजा करें। माता को लाल चंदन, लाल पुष्प और सफेद मिष्ठान अर्पण करें।

वृष राशि : ‘ॐ गं गणपतये नम:’ का जाप करें। माता के महागौरी स्वरुप की विशेष पूजा करें। पंच मेवा, सुपारी, सफेद चंदन, सफेद पुष्प चढ़ाएं।

मिथुन राशि : श्री सूक्तम् का 11 पाठ रोज करें। माता ब्रह्मचारिणी रुप की पूजा करें। केला, पुष्प, धूप से माता की पूजा करें।

कर्क राशि : श्रीगणेश चालीसा का पाठ करें। माता के शैलपुत्री रुप का पूजन करें। सफेद बताशे, चावल, दूध, दही माता को अर्पण करें।

सिंह राशि : आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। मां कुष्मांडा को विधि-विधान से पूजन करें। तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कपूर से आरती करें।

कन्या राशि : दुर्गा चालीसा के 7 पाठ रोज करें। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। फल, गंगाजल मां को अर्पण करें।

तुला राशि : रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। माता के महागौरी स्वरुप का पूजन करें। दूध, दही, चावल, चुनरी चढ़ाएं और घी के दीपक से माता की आरती करें।

वृश्चिक राशि : शिव पूजन, रुद्राभिषेक करें। माता दुर्गा के स्कंदमाता रूप की पूजा करें। लाल, फूल, गुड, चावल और लाल चंदन के साथ माता पूजा करें।

धनु राशि : गुरु चरित्र का पाठ करें। गुरु पूजन करें। माता के चंद्रघंटा रूप की पूजा करें। हल्दी, केला, केसर, पीले वस्त्र तिल का तेल, पीले फूल माता को अर्पण करें।

मकर राशि : गायत्री मंत्र का जाप करें। माता दुर्गा के कालरात्रि रूप का पूजन करें। सरसों का तेल का दिया, पुष्प, चावल, कुमकुम और सूजी का हलवा माता को अर्पण करें।

कुंभ राशि : सुंदरकांड का पाठ करें, मां कालरात्रि का पूजन करें। पुष्प, कुमकुम, तेल का दीपक और ऋतु फल माता को अर्पण करें।

मीन राशि : ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ एवं माता बगलामुखी मंत्र का जाप करें। मां चंद्रघंटा का हल्दी, दूध,चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें।

नवरात्रों के दिनों में किन बातों का खास ख्याल रखें : नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए। व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए। काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।

अगर नवरात्रि में कलश की स्थापना करते हैं और अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इस समय घर को खाली छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहिए। इन दिनों में नींबू काटना अशुभ होता है। विष्णु पुराण के अनुसार मां दुर्गा के इन नौ दिनों में दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए और रात्रि में भूमि पर सोना चाहिए इससे व्रत रखने का उचित फल नहीं मिलता। किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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