अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। महात्मा गांधी का नाम सुनते ही हमारे मन में सत्य, अहिंसा और सादगी की एक छवि उभर आती है। गांधी सिर्फ एक ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार हैं, जो आज भी न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित करता है। उनके जीवन के आदर्श, उनकी सोच और उनके सिद्धांत हमें यह सिखाते हैं कि कैसे हम अपने समाज और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। गांधीजी के विचार किसी विशेष समय के लिए सीमित नहीं थे; वे सार्वभौमिक और कालातीत हैं, जिनसे आज की दुनिया को भी सीखने की जरूरत है।
गांधीजी के विचारों की बुनियाद सत्य और अहिंसा पर आधारित थी। उनके लिए सत्य केवल बोलने का साधन नहीं था, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका था। सत्य उनके जीवन में हर फैसले, हर कर्म और हर संवाद का आधार था। उनका मानना था कि जीवन में सच्चाई का पालन करना न केवल व्यक्तियों के बीच संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा में ले जाता है। गांधीजी का जीवन स्वयं एक उदाहरण था कि किस प्रकार सत्य के साथ जीकर महान बदलाव लाए जा सकते हैं।
अहिंसा गांधीजी के जीवन का दूसरा महत्वपूर्ण स्तंभ था अहिंसा, उनके अनुसार, हिंसा से कभी भी स्थायी समाधान नहीं निकलेगा। हिंसा से अस्थायी जीत तो प्राप्त की जा सकती है, परंतु इसके परिणाम स्वरूप समाज में वैमनस्यता, क्रोध और नफरत का बीज बोया जाता है। गांधीजी ने अहिंसा को केवल शारीरिक हिंसा के विरोध में नहीं रखा, बल्कि मानसिक और भावनात्मक हिंसा के विरोध में भी इसका उपयोग किया। उनका यह सिद्धांत सिखाता है कि शांति और प्रेम से बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है।
गांधीजी की सादगी और स्वावलंबन भी सादा जीवन उच्च विचार को दर्शाता है। गांधीजी के जीवन में सादगी एक महत्वपूर्ण आदर्श था। उनके वस्त्र, उनके आचरण और उनका जीवन-शैली हमें यह सिखाती है कि बाहरी आडंबर से अधिक आंतरिक शुद्धता और ईमानदारी का महत्व है। उन्होंने सदैव सादगी को अपनाया, ताकि वे जनता के साथ सहज रूप से जुड़ सकें और उन्हें यह एहसास दिला सकें कि महान कार्य करने के लिए भौतिक संसाधनों की प्रचुरता की आवश्यकता नहीं होती। स्वावलंबन भी गांधीजी के विचारों का प्रमुख हिस्सा था। उनके अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति और समाज को आत्मनिर्भर होना चाहिए। उन्होंने खादी को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।
जिससे भारतीयों में आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की भावना जगी। यह विचार आज के समय में भी प्रासंगिक है, जब पूरी दुनिया आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में प्रयास कर रही है। गांधी का विश्व पर प्रभाव है अगर उनके मूल आदर्शों पर सब चलें तो आज पूरा विश्व जो मार काट में लगे है सब शांति दूत नजर आयेंगे।
महात्मा गांधी का प्रभाव भारत तक सीमित नहीं रहा। उनके विचार और आंदोलन ने वैश्विक स्तर पर लोगों को प्रेरित किया। अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ, अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान मार्टिन लूथर किंग जूनियर और दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला ने गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया।
उनके विचारों ने यह सिद्ध कर दिया कि अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से बिना हथियारों और युद्ध के भी बड़ी से बड़ी राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। आज के समय में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता पर नजर डाला जाए तो यह आज की दुनिया जहां हिंसा, असहिष्णुता और आतंकवाद का बोलबाला है वहां गांधीजी के विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उन्होंने जो संदेश दिया, वह सिर्फ एक युग या एक देश के लिए नहीं था, बल्कि वह पूरी मानवता के लिए था। आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और सामाजिक विभाजन जैसी समस्याओं से जूझ रही है, तब गांधीजी के सिद्धांत एक मार्गदर्शन के रूप में हमारे सामने आते हैं।
गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत आज के समय में राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है। उनके स्वावलंबन और स्वदेशी के विचार आज के समय में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। उनकी सादगी और सच्चाई की शिक्षा हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में बाहरी चीजों से अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक शांति और सच्चाई का पालन है।
गांधी केवल एक नाम नहीं हैं, वे एक विचार हैं, एक आदर्श भावना हैं। उनके विचारों की शक्ति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी। सत्य, अहिंसा, सादगी, और स्वावलंबन के उनके सिद्धांत हमें यह सिखाते हैं कि कैसे हम अपने जीवन और समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आज की दुनिया को गांधीजी के विचारों से न केवल सीखने की जरूरत है, बल्कि उन्हें अपने जीवन में अपनाने की भी आवश्यकता है, ताकि हम एक बेहतर और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण कर सकें।
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