कोलकाता : बंगाल में निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ विधानसभा चुनाव होने को लेकर पिछले कई दशकों से सवाल उठते रहे हैं। हिंसा, बूथों पर कब्जा, साइंटिफिक रिगिंग, मतदाताओं को धमकाने की बातें हों या फिर पंचायत चुनाव से लेकर स्थानीय नगर निकाय चुनावों और लोकसभा या फिर विधानसभा, हर चुनाव में ऐसे बातें सुनने को मिलती हैं। दरअसल वामपंथियों के शासनकाल में साइंटिफिक रिगिंग की बातें खूब होती थीं, जिसमें सुनियोजित तरीके से विपक्षी दलों को पता लगे बिना ही एकतरफा वोटिंग हो जाती थी। उल्लेखनीय है कि चुनाव कर्मी से लेकर पीठासीन अधिकारी तक दल विशेष के लिए काम करते थे। ऐसे में बंगाल में पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती हुआ करती थी।
आज भी इस स्थिति में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए इस बार चुनाव आयोग ऐसी व्यवस्था बनाने पर जोर दे रहा है, जिससे पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराया जा सके। विधानसभा चुनाव में फर्जी मतदाताओं की पहचान एवं चुनाव प्रक्रिया के ब्योरे को तत्काल सामने लाने के लिए आयोग अपने बूथ मोबाइल एप का पूरी तरह से इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है। दरअसल चुनाव आयोग के अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि इस एप से पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनाव कराने में काफी मदद मिलेगी।