वाराणसी। जीवित्पुत्रिका (जितिया) व्रत 25 सितम्बर बुधवार को, संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और सुखी निरोग जीवन की कामना के लिए किया जाता है। जीवित्पुत्रिका हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है।
जीवित्पुत्रिका व्रत के विषय में पण्डित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति उनकी लंबी आयु और सुखी निरोग जीवन की कामना के लिए किया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत वे सौभाग्यवती स्त्रियां रखती हैं, जिनको संतान होती हैं इसके साथ ही जिनके संतान नहीं होते वह भी संतान की कामना और संतान की लंबी आयु के लिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान से निर्जल रहकर रखती हैं।
इस वर्ष आश्विन मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 24 सिंतबर मंगलवार दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शरू होगी और 25 सिंतबर बुधवार दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 सिंतबर बुधवार को होगी। इसलिए इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को किया जाएगा। जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 26 सितंबर गुरुवार सुबह सूर्य पूजन कर किया जाएगा।
इस व्रत को जितिया, जिउतिया या जीमूतवाहन के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश जी, भगवान श्रीकृष्ण जी एवं सूर्य नारायण जी की पूजा अर्चना की जाती है। इस व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। धर्मग्रंथों के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण जी ने अपने पुण्य कर्मों को अर्जित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था, इसलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरुप भगवान श्रीकृष्ण जी संतान की रक्षा करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गन्धर्वराज जीमूतवाहन की कृपा से गरुड़ ने नागों को न खाने का भी वचन दिया था। बुधवार 25 सिंतबर अष्टमी तिथि का श्राद्ध भी होगा।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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