अनुराधा वर्मा “अनु”, कोलकाता। वैवाहिक जीवन का उद्देश्य प्रेम, सहयोग और परस्पर सम्मान पर आधारित होता है, लेकिन कभी-कभी विभिन्न कारणों से इसमें खटास और तनाव उत्पन्न हो जाते हैं। यह तनाव एक छोटे से मुद्दे से शुरू होकर बड़े विवादों का रूप ले सकता है। आज के आधुनिक जीवन में, जहां सामाजिक और व्यक्तिगत अपेक्षाएं तेजी से बदल रही हैं, वैवाहिक संबंधों में क्लेश का सामना करना असामान्य नहीं है। आइए समझते हैं कि वैवाहिक जीवन में क्लेश के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं और उनका समाधान कैसे संभव है। वैवाहिक जीवन में सबसे बड़ी समस्या संचार की कमी है। कई बार पति-पत्नी एक-दूसरे की भावनाओं को ठीक से नहीं समझ पाते या अपनी भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते। इसके कारण गलतफहमी उत्पन्न होती है।
नियमित और स्पष्ट बातचीत करना बेहद जरूरी है। दोनों को एक-दूसरे की बात को ध्यान से सुनने की आदत डालनी चाहिए। कठिनाई के समय भावनाओं को खुलकर व्यक्त करें, लेकिन तर्कसंगत और धैर्यपूर्वक बात करें। वैवाहिक जीवन में अहंकार एक बड़ा बाधक है। किसी एक साथी का हमेशा सही साबित होने की कोशिश करना या दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति, क्लेश का कारण बनती है। विवाह एक साझेदारी है, जिसमें अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आपसी समझ और सहनशीलता से किसी भी विषय को हल करने की कोशिश करनी चाहिए। ‘मैं सही हूँ’ से अधिक महत्वपूर्ण है ‘हम साथ में सही हैं’।
अभी हाल के दिनों में अक्सर बहुएं अपनें सास को डायन तक कहने से नहीं चूकती, उन्हें वो सास बेकार लगती है जो काफी उम्मीदें और स्नेह से बहु लाती हैं, वो सास जिसे अपना बेटा सौप देती है, आज की परिस्थिति में अब बेटे की मां बहु लाने में डरने लगी है! कुछ के लिए तो विवाह बंधन एक कॉन्ट्रेक्ट मैरिज की तरह हो गया है जहां तनिक बात पर सात जन्मों की कहावत खत्म हो जाती है और उल्टे बिना किसी कसूर के लड़का पक्ष को दोषी ठहराकर उससे पैसों की मांग की जाती है जिसमें लड़की पक्ष के लोगों की अहम भूमिका होती है। वो अपने लड़की के चाल चरित्र से वाकिफ होने के बाद भी बेटी का पक्ष लेकर उस लड़के के जीवन को बर्बाद करने से नहीं चूकते है और अन्ततः इन सबका जीवन बुढ़ापे में नरकमय हो जाता है जब उस लड़की के घर में कोई बहु आती है।
दूसरी तरफ भौतिक सुख पाने की कामना और दूसरों की तुलना और आर्थिक समस्याएं भी वैवाहिक जीवन में तनाव का प्रमुख कारण होती हैं। खर्च और बचत के प्रति भिन्न दृष्टिकोण, उधारी या आय की असमानता जैसे मुद्दे तनाव पैदा कर सकते हैं। वित्तीय मामलों पर पारदर्शिता आवश्यक है। बजट बनाना और वित्तीय निर्णयों में एक-दूसरे की सहमति लेना बहुत महत्वपूर्ण है। एक व्यवस्थित वित्तीय योजना दोनों के लिए लाभकारी हो सकती है। व्यस्त जीवन शैली के कारण आजकल लोग एक-दूसरे को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इसके कारण उनके बीच भावनात्मक दूरी बन जाती है।एक-दूसरे के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताना आवश्यक है। चाहे वह एक साथ भोजन करना हो या सप्ताहांत पर एक छोटा सा सैर-सपाटा, एक-दूसरे को समय देना और रिश्ते को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
यदि किसी एक साथी को दूसरे पर संदेह हो, तो इसका असर उनके संबंधों पर गहराई से पड़ता है। यह स्थिति धीरे-धीरे रिश्ते को कमजोर बना देती है। विश्वास किसी भी रिश्ते की नींव होता है। यदि कोई समस्या हो, तो उसे खुलकर बातचीत के माध्यम से सुलझाएं। पारदर्शिता बनाए रखना और ईमानदारी से अपने विचार साझा करना रिश्ते को मजबूत करता है। कभी-कभी परिवार के सदस्यों का अत्यधिक हस्तक्षेप भी वैवाहिक जीवन में क्लेश का कारण बनता है। पति-पत्नी के निजी मामलों में माता-पिता या रिश्तेदारों की दखलअंदाजी तनाव उत्पन्न करती है।पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ मिलकर ऐसे मामलों को सुलझाना चाहिए। बाहरी हस्तक्षेप को कम करना चाहिए और एक-दूसरे के निजी स्थान का सम्मान करना चाहिए। कई बार पति-पत्नी की एक-दूसरे से अपेक्षाएं असंगत होती हैं, जिससे उनमें निराशा और असंतोष उत्पन्न होता है।
यथार्थवादी और स्पष्ट अपेक्षाएं स्थापित करें। एक-दूसरे की सीमाओं और आवश्यकताओं को समझें और उनका सम्मान करें। अगर किसी भी साथी को किसी प्रकार की असंगति महसूस होती है, तो उसे तुरंत संबोधित करें। कार्यभार, स्वास्थ्य समस्याएं या व्यक्तिगत जीवन के अन्य तनाव भी वैवाहिक जीवन में क्लेश का कारण बन सकते हैं। तनावग्रस्त व्यक्ति सामान्य स्थिति में सोचने और व्यवहार करने में कठिनाई का अनुभव करता है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना आवश्यक है। योग, ध्यान और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना तनाव को कम करने में सहायक होता है।
साथी को भी भावनात्मक सहयोग देना आवश्यक है। कई बार पति-पत्नी अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते, जिससे उनके बीच दूरी बढ़ जाती है। अपने साथी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ें और उसे अपने दिल की बात बताएं। कभी-कभी छोटी-छोटी बातें भी बड़े विवादों को समाप्त कर सकती हैं।
पति-पत्नी की पृष्ठभूमि, संस्कृति या विचारधाराओं में भिन्नता भी क्लेश का कारण बन सकती है। एक-दूसरे की संस्कृति और विचारधाराओं का सम्मान करना जरूरी है। सहमति और सामंजस्य से जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।
वैवाहिक जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए प्रेम, समझदारी और सहनशीलता की आवश्यकता होती है। क्लेश किसी भी रिश्ते का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन सही संचार, आपसी सम्मान और समाधान की दिशा में सकारात्मक दृष्टिकोण से इन्हें दूर किया जा सकता है। यदि समस्याएं गंभीर रूप धारण कर लें, तो कभी-कभी परामर्श लेना या किसी पेशेवर मार्गदर्शन का सहारा लेना भी लाभकारी हो सकता है।
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