क्वाड शिखर सम्मेलन अमेरिका डेलावेयर में भारत का आगाज

क्वॉड शिखर सम्मेलन में बैठे चार यार- दुनियां नें देखा सकारात्मक परिणाम रूपी चमत्कार
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान की जबरदस्त बॉन्डिंग- सफल द्वपक्षीय बैठकें, इंडो पेसिफिक सुरक्षा व अहम समझौता से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर अमेरिका की मेजबानी में डेलावेयर अर्कमेरे अकादमी अमेरिका में संपन्न हुए चौथे क्वॉड शिखर सम्मेलन पर पूरी दुनियां की नजरें लगी हुई थी, जो काफी सफल रहा। भारतीय समय अनुसार दिनांक 22 सितंबर 2024 को अर्ली मॉर्निंग 1.30 बजे व अमेरिकी समय अनुसार शनिवार 21 सितंबर 2024 को शाम 4 बजे शिखर सम्मेलन शुरू हुआ था, जिसमें स्वास्थ्य जलवायु परिवर्तन, उभरती टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, आतंकवाद विरोधी देशाें में सहयोग पर चर्चा निर्धारित थी, जिसका सकारात्मक सफल परिणाम देखने को मिला। इसके पूर्व 21 सितंबर 2024 को देर रात क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय पीएम के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पीएम बाइडन के आवास ग्रीनविले पहुंचे, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ने उनका स्वागत किया। बाइडन ने ऑस्ट्रेलिया के पीएम और जापान के पीएम को भी डेलावेयर स्थित अपने घर पर आमंत्रित किया। यह मुलाकात अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से कुछ समय पहले हो रही है, इसलिए इस दौरे का खास माना जा रहा है। शिखर सम्मेलन की बैठक में आए भारत, अमेरिका सहित ऑस्ट्रेलिया, जापान में भी द्वपक्षीय चर्चाएं की। इस सम्मेलन से विस्तारवादी देश को बेचैनी होना लाजिमी भी है क्योंकि…

(1) यह मंच भारत को वैश्विक सप्लाई चैन से जोड़कर सेमीकंडक्टर, 5जी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबो रिएक्टर जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद कर रहा है।
(2) चार विकसित देश के यारों की बैठक पर विश्व की नजरे थी, क्योंकि साउथ ईस्ट एशिया इंडो पेसिफिक क्षेत्र पर इसकी पकड़ ढीली पड़ने लगेगी व भारत के कद प्रतिष्ठा व महत्व में बढ़ोतरी होगी। चूंकि क्वाड शिखर सम्मेलन डेलावेयर में भारत का आगाज हुआ, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, क्वॉड शिखर सम्मेलन में बैठे चार यारों को दुनियां ने देखे, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान की जबरदस्त बॉन्डिंग, सफल द्वपक्षिय बैठक इंडो पेसिफिक सुरक्षा व अहम समझौता से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी।

साथियों बात अगर हम क्वाड शिखर सम्मेलन के सफल परिणामों व भारतीय पीएम के संबोधन की करें तो, क्वाड शिखर सम्मेलन में भारतीय पीएम ने कहा, हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व तनावों और संघर्षों से घिरा हुआ है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का मिलकर साथ चलना पूरी मानवता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम सभी नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। मुक्त, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है। हमने साथ मिलकर स्वास्थ्य, सुरक्षा, महत्वपूर्ण उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी पहल की हैं।

हमारा संदेश स्पष्ट है- क्वाड यहाँ रहने, सहायता करने, साझेदारी करने और पूरक बनने के लिए है। मैं एक बार फिर राष्ट्रपति बाइडेन और अपने सभी साथियों का अभिवादन करता हूं, बधाई देता हूँ। हमें 2025 में क्वाड लीडर्स समिट का आयोजन भारत में करने में खुशी होगी। पीएम ने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वैश्विक मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान निकालना चाहते हैं। खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वकालत करते हैं। 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन भारत में करने में हमें बहुत खुशी होगी। पीएम ने कहा कि क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए वेलमिंगटन से बेहतर जगह नहीं हो सकती। आगे कहा, मुझे अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान इस क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने में बेहद खुशी हो रही है, आपके नेतृत्व में, 2021 का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इतने कम समय में, हम हमारे सहयोग को हर दिशा में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाया है। आपने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं क्वाड में आपकी मजबूत प्रतिबद्धता और योगदान के लिए तहे दिल से बहुत धन्यवाद देता हूं।

साथियों बात अगर हम क्वाड शिखर सम्मेलन में सदस्यों रूपी चार यारों के मिलने से चीन को बेचैनी की करें तो, बाइडन की कोठी में बैठें पीएम समेत क्वाड के 4 यार, चीन के लिए चक्रव्यूह! क्वाड ‘शुरू से चीन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होता आया है। बता दें कि इस समूह की स्थापना का मूल मंत्र समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करना रहा है। क्वाड से भारत को भी फायदा है, इस ग्रुप में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताक और बढ़ी है। अगर बात क्वाड को बनाने के पीछे की मकसद की करें तो इसका निर्माण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व को बनाए रखने के लिए किया गया था। इसका मकसद नियम आधारित व्यवस्था बनाना, नेविगेशन की स्वाधीनता और इंटरनेशनल लॉ का सम्मान करना भी है। वैसे तो क्वाड कोई सैन्य गठबंधन नहीं है फिर भी यह मालाबार जैसे सैन्य अभ्यास की सहूलियत देता है। असल में क्वाड को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का एक तरीका भी माना जाता है। जानकार मानते हैं कि क्वाड की वजह से चीन पर भारत की आर्थिक निर्भरता में कमी आई है।

क्वाड के देश भारत के वैश्विक व्यापार के लिए क्वाड के जरिए महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाती है। क्वाड के सप्लाई चेन से जुड़कर भारत अपनी उत्पादन क्षमता को और मजबूत कर रहा है। इस बीच चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर काफी दबाव बनाया, इसका नतीजा यह हुआ कि ऑस्ट्रेलिया ने इस संगठन से दूरियां बना ली थी। चीन ने बीते कुछ सालों में साउथ-ईस्ट एशिया में बेहद आक्रमक तरीके से अपना विस्तार किया है। इसका कुछ हद तक साउथ-ईस्ट एशिया के अलग-अलग देशों पर भी पड़ा है। भारत को भी इसकी जानकारी है। भारत भी बीते लंबे समय से चीन के प्रभाव को कम करने की दिशा में लगातार सकारात्मक बदलाव के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में क्वाड भारत को वैकल्पित कनेक्टिविटी वाली परियोजनाओं और क्षेत्रीय विकास के प्रयास करने के लिए और प्रेरित करता है। क्वाड के जरिए ही भारत की पहुंच महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी और कच्चे माल तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है। यह मंच भारत को वैश्विक सप्लाई चेन से जोड़कर सेमीकंडक्टर, 5जी आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद दे रहा है।

साथियों बात अगर हम 25 हज़ार भारतीयों से मुलाकात की करें तो, 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में पहला कार्यक्रम लॉन्ग आइलैंड में 16, हज़ार सीटों वाले नासाऊ वेटरंस मेमोरियल कोलिजीयम में सुबह 10 बजे से दोपहर 12बजे तक प्रवासी कार्यक्रम मोदी और यूएस, प्रोग्रेस टुगेदर हुआ, जहां भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित किया। आयोजकों के अनुसार, प्रवासी कार्यक्रम के लिए 25, हज़ार से अधिक लोगों ने टिकटों के लिए रजिस्ट्रेशन किया था। इस कार्यक्रम से भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच मजबूत संबंधों को मजबूती मिलेगी। बता दें कि प्रवासी समुदाय की अमेरिका-भारत संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके बाद दोपहर में पीएम अपने होटल में टेक्नोलॉजी, एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिकी व्यापार जगत के नेताओं से भी मुलाकात किए। बैठक के बाद, पीएम वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा, जो रात 10 बजे तक जारी रही।

साथियों बात अगर हम 23 सितंबर 2024 को वैश्विक संयुक्तराष्ट्र शिखर सम्मेलन में भाग लेने की करें तो, 23 सितंबर को पीएम भविष्य का संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन’ में हिस्सा लेंगे, जहां वे एक संक्षिप्त भाषण देंगे। शिखर सम्मेलन में भविष्य की वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ग्लोबल गवर्नेंस शामिल है। रविवार को जब भविष्य का शिखर सम्मेलन शुरू होगा, तब पीएम अप्रवासी रैली में मौजूद रहेंगे और 23 सितंबर की सुबह के सत्र में 72 वक्ताओं में से उन्हें 35 वें वक्ता के रूप में जगह मिली है। अगर उनसे पहले के सभी वक्ता अपने समय पर आते हैं, तो उनकी बारी दोपहर के आसपास (भारत में रात 9:30 बजे) होगी। वहीं, क्लाइमेट चेंज और सतत आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में पीएम की उपस्थिति वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती नेतृत्व क्षमता को दिखाती है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि क्वाड शिखर सम्मेलन अमेरिका डेलावेयर में भारत का आगाज। क्वॉड शिखर सम्मेलन में बैठे चार यार-दुनियां नें देखा सकारात्मक परिणाम रूपी चमत्कार।भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान की जबरदस्त बॉन्डिंग- सफल द्वपक्षीय बैठकें, इंडो पेसिफिक सुरक्षा व अहम समझौता से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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