Sadinama organized an evening in the name of Ghazal

सदीनामा ने आयोजित की एक शाम गजल के नाम

कोलकाता।  थियेटर रोड भारतीय भाषा के विपरीत में हाल में  सदीनामा ने “एक शाम गजल के नाम “ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस अवसर सदीनामा  के संपादक जितेन्द्र जितांशु ने बताया कि ऐसे बहुत से अच्छे गजलकार है जिनकी गजलें प्रकाशित नहीं  हो पा रही है उनकी गजलों को संग्रह का रूप देना सदीनामा का मिशन है।

इसी  मिशन की पहली  कड़ी के रूप में बदायूं के शायर  आबशर आदम के गजल संग्रह आवारा सदायें को प्रकाशित करने से लेकर लोकार्पण तक की जिम्मेदारी . इस मिशन को सार्थक बनाने के लिए समय -समय पर गजल के कार्यक्रमों को आयोजन  अलग अलग शहरों किया जाता है। इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए अनेक गजलकारों ने अपनी गजलों को सुना कर वाहवाही लूटी जैसे –

सुहैल खान सुहैल ने :   “दोस्तो,  कुछ कमी अब गुनाहों में हो, हम सभी के कदम नेक राहों में हो.”

ऊषा जैन: “झूठ बातों की पैरवी हो जब, ये जुबान हमसे सीखी नहीं जाती।”

अयाज खान: “हुस्न आया है बन संवर कर फिर, क्या मेरे साथ फिर से दगा होगा।” भूपेंद्र सिंह बसर,

जफ़र रायपुरी: ” कहाँ बेकारी जा रही है हुकूमत बात से बहला रही है. जफर रायपुरी ने ,” न सारंगी बजाते है न तबला थाप करते है, कोई ऐसा नहीं करता जैसा आप करते है। ” वहीं चंदा प्रह्लादका: ” डर मुझे भी लगा  फासले  देखकर, मै  बढ़ती गई आगे रास्ता देखकर।”शहीद फरोगी:  शायरी करने का मौसम नहीं होता ,कोई चोट लगती है तो हम शेर कहा करते है.” नेपाली के गोपाल भित्रकोटि : चरागों से कह दो कहीं और जा कर जलें ,  अंधेरें अब हमें बहाने लगे है।” चांपदानी के शायर रंजीत भारती:  ” भूख से बेकल था मै , रोटियां हॅसने  लगीं , ये हकीकत है कि मजबूरियां हॅसने लगीं।”

Sadinama organized an evening in the name of Ghazal

इस अवसर पर सभागार में उपस्थित परवेज अख्तर के संपादन में निकली उर्दू पत्रिका “बेबाक” का विमोचन किया गया. सेराज खान बातिश ने कहा कि इसका हिंदी संस्करण भी निकलना चाहिए। कृष्ण कुमार  दुबे की गजल पुस्तक ” मंजिल दूर नहीं  ” का भी लोकार्पण किया गया  इसके साथ अभिज्ञात,वदूद आलम आफ़ाकी , अध्यक्षता कर रहे थे हलीम साबिर,कृष्ण कुमार दुबे,अशरफ याकूबी, सेराज खान बातिश तथा परवेज अख्तर,  अन्य शायरों में थे नादिरा नाज, द वेक की संपादक सकुन त्रिवेदी, आशा बराल गौतम, जफर अहमद,मोहम्मद अजहरुद्दीन, मोहम्मद अजहरुद्दीन, असद जावेद।

इस अवसर पर  नाटककार दिनेश वडेरा, राजेश नूनिया, राज जायसवाल,रईस आजम हैदरी उपस्थित थे, धन्यवाद ज्ञापन और रचना पढ़ी जगमोहन खोखर ने। 

कार्यक्रम का  सफल संयोजन करने में  सैयद इरफ़ान शेर और मीनाक्षी सांगानेरियां की अहम भूमिका थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन गजलकारों को पहचान देना है  जो उत्कृष्ट गजलकार तो है  सही मंच की कमी से  गुमनामी  में चले जा रहे  हैं ।

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