आशा विनय सिंह बैस की कलम से : श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

नई दिल्ली। वैसे तो सारे भगवान और इष्ट सबके हैं और सब उनके हैं। लेकिन 64 कलाओं में पारंगत भगवान कृष्ण कुछ ज्यादा ही सबके हैं क्योंकि माताएं उनमें नटखट बालक, बहनें लाज की रक्षा करने वाला सर्व शक्तिमान भाई, तरुणियां आदर्श प्रेमी, युवक दुर्धर्ष योद्धा, ज्ञानी गीता का ज्ञान देने वाला परम ब्रह्म, कूटनीतिज्ञ चतुर दूत और सनातनी उनमें भगवान विष्णु का अवतार पाते हैं।

श्री कृष्ण इस युग के आदर्श हैं क्योंकि धर्म की रक्षा के लिए हिंसा को वह अंतिम उपाय तो मानते हैं पर अनुचित नहीं। युद्ध में वह कोई आदर्श नहीं गढ़ते बल्कि शत्रु को उसकी ही भाषा में जवाब देते हैं। ‘शठे शाठ्यम समाचरेत्’ का व्यवहारिक नियम प्रतिपादित करते हैं।

स्वर्गीय प्रभुपाद द्वारा स्थापित इस्कॉन मंदिर कृष्ण भक्ति का पूरे विश्व में प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। अपने जीवन में मुझे मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली के इस्कॉन मंदिरों में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उक्त इस्कॉन मंदिरों का मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है। सभी मंदिरों में साफ सफाई की अति उत्तम व्यवस्था है। कोई जबरदस्ती , झपटमारी नहीं है कि इस विग्रह पर पैसा चढ़ाइए, उस दुकान से फूल खरीदिए या उस स्टॉल से प्रसाद लीजिए। आपको सब कुछ मिलेगा लेकिन आप अपनी श्रद्धानुसार चढ़ावा चढ़ाने, कुछ खरीदने या न खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं।

तमाम भाषाओं, देशों, नस्लों के सभ्य, सुसंस्कृत भक्त इन मंदिरों में दर्शन करने आते हैं। इस्कॉन प्रांगण में कृष्ण भक्ति में आकंठ डूबे, नृत्य करते तमाम जानी-मानी हस्तियों को देखता हूं तो आश्वस्त होता हूँ कि तलवार के जोर और राइस बैग के लालच से ही नहीं अपितु निष्काम प्रेम और भक्ति द्वारा भी अपने धर्म का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है बल्कि बेहतर और प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। भगवान कृष्ण की भक्ति में अपने तन-मन की सुध-बुध खोकर परम पद प्राप्त करने की लालसा लेकर इन मंदिरों में आने वाले विश्व भर के तमाम कृष्ण भक्त इस सत्य को पुष्ट और प्रमाणित करते हैं।

बस एक ही त्रुटि मुझे इस्कॉन मंदिरों की विचारधारा में लगती है कि इनका जोर सिर्फ कृष्ण भक्ति पर है, कृष्ण की शक्ति पर बिल्कुल नहीं। शास्त्र शिक्षा के साथ शस्त्र शिक्षा का भी प्रचार इन मंदिरों से हो तभी सनातन धर्म पर मंडराते संकट का प्रभावी और स्थायी निवारण हो पायेगा। एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला रखने से ही कृष्ण भक्तों और सम्पूर्ण धरा का वास्तविक कल्याण हो पायेगा।
हरे राम, हरे कृष्ण।

(आशा विनय सिंह बैस)
कृष्ण भक्त

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 − 2 =