पुरानी व नई पेंशन स्कीम के बीच मचे घमासान के बीच यूनिफाईड पेंशन स्कीम लांच
नई लांच की गई यूनिफाईड पेंशन स्कीम व नई पेंशन स्कीम चॉइस में कर्मचारी स्वतंत्र-विपक्ष का तंज-कर्मचारी संघों ने पीएम से मिलकर आभार जताया -एड. के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में केंद्र व राज्य सरकार स्तर पर हम करीब दो दशकों से देख रहे हैं कि कर्मचारियों व सरकारों के बीच पुरानी पेंशन स्कीम व नई पेंशन स्कीम का मुद्दा छाया हुआ था, इस पर कई आंदोलन भी हमने देखे, जिस पर केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में पूर्व वित्त सचिव टीवी स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था ताकि एनपीए की समीक्षा की जा सके। इस समिति ने केंद्रीय कर्मचारियों के संघों व दूसरे प्रतिनिधियों, राज्य सरकारों, आरबीआई, विश्व बैंक, राजनीतिक दलों समेत दूसरे श्रम संगठनों के साथ विस्तार से विमर्श के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। जिसके आधार पर दिनांक 24 अगस्त 2024 को केंद्रीय कैबिनेट मंत्रीमंडल की मीटिंग में देर शाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम के फैसले पर मोहर लगाई गई जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। जिसमें कहा गया है कि कर्मचारी नई पेंशन स्कीम व यूनिफाई पेंशन स्कीम में चॉइस कर सकते हैं। चूंकि पुरानी व नई पेंशन स्कीम के बीच मचे घमासान के बीच यूनीफाई पेंशन स्कीम लॉन्च की गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे पेंशन @ यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर लगा सरकार का ठप्पा, 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। नई लांच की गई यूनिफाइ पेंशन स्कीम व नई पेंशन स्कीम में से कोई एक चुनने में कर्मचारी स्वतंत्र होंगे, इस स्कीम पर विपक्ष का तंज परंतु कर्मचारियों ने पीएम से मिलकर आभार जताया है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 24 अगस्त 2024 को देर शाम यूनिफाइ पेंशन स्कीम लॉन्च करने की करें तो सरकार के खजाने पर बढ़ते दवाब को देखते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म करके नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) को लाया गया था। मगर उसका विरोध होता रहा था और अब सरकार ने एनपीएस से बेहतर स्कीम उतारने का दावा किया है, जिसे यूपीएस कहा जा रहा है। अब हमें तीनों में क्या फर्क है यह जानना जरूरी है और समय के साथ क्या-क्या होता गया, केंद्र सरकार ने देश में पुरानी पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम के बीच मचे घमासान के बीच नई पेंशन स्कीम को हटाते हुए इसकी जगह पर यूनिफाई पेंशन योजना लॉन्च की है। यूपीएस लॉन्च होने पर सवाल उठता है कि आखिरी नई पेंशन स्कीम क्या थी और ये पुरानी पेंशन स्कीम से कितना अलग था। इसमें क्या दिक्कतें थी जिसकी वजह से इसका विरोध किया जा रहा था जो हम नीचे के पैराग्राफ में चर्चा करेंगे।
परन्तु अब, यूपीएस सामने आई है। सरकार दावा कर रही है कि इसमें एनपीएस में आ रही तमाम शिकायतों को दूर कर दिया गया है। इस योजना में ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह ही सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है और इसे 2025 से लागू किया जाएगा। यूपीएस में पेंशन की राशि निश्चित होगी और यह परिवार के लिए भी सुनिश्चित पेंशन का लाभ प्रदान करेगी। साथ ही, इसमें महंगाई के अनुसार पेंशन में समायोजन का प्रावधान भी है। यूपीएस को एक बैलेंस्ड सॉल्यूशन के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा, सरकारी कर्मचारियों की एनपीएस में सुधार की मांग रही है। यूपीएस सरकार के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना है, इस योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन का प्रावधान किया जाएगा, जो एनपीएस से अलग है, जिसमें पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती थी।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि वे एनपीएस में बने रहें या यूपीएस में शामिल हों। कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने भी कहा, यह योजना उन सभी पर लागू होगी, जो 2004 के बाद से एनपीएस के तहत रिटायर हो चुके हैं। हालांकि यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी, लेकिन 2004 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त हुए सभी कर्मचारी यूपीएस के पांचों लाभ के पात्र होंगे। उन्हें पिछले पेंशन भुगतानों के समायोजन के बाद इस योजना का लाभ मिलेगा।
साथियों बात अगर हम यूपीएस के पांच मुख्य स्तंभों की करें तो केंद्रीय मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनिमेशन से बताया,
(1) निश्चित पेंशन : यूपीएस के तहत, कर्मचारियों की पेंशन उनकी रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी, इसके लिए शर्त यह है कि यदि उन्होंने कम से कम 25 वर्षों की सर्विस की हो। यदि सर्विस 25 साल से कम है और 10 साल से अधिक है तो यह अमाउंट प्रो-डेटा के आधार पर दी जाएगी। (कितने वर्ष पर कितनी होगी, इससे विस्तृत जानकारी का इंतजार है) न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के लिए पेंशन का प्रावधान रहेगा।
(2) निश्चित पारिवारिक पेंशन : यूपीएस के तहत पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी, जो कर्मचारी के मूल वेतन का 60 प्रतिशत होगी। यह पेंशन कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उनके परिवार को दी जाएगी, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यदि पहले ही वर्ष किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो क्या उसके परिवार को भी इसी आधार पर पेंशन मिलेगी।
(3) न्यूनतम पेंशन का प्रावधान : यूपीएस के तहत यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10, हज़ार रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी।
(4) महंगाई का समायोजन : इस योजना में पेंशन पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन पर मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजन का प्रावधान भी है।
(5) ग्रेच्युटी : यूपीएस के तहत रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान किया जाएगा, जो कर्मचारी के अंतिम वेतन (मूल वेतन + महंगाई भत्ता) का 1/10वां हिस्सा होगा। यह भुगतान हर छह महीने की सेवा के लिए होगा और यह पेंशन की राशि को कम नहीं करेगा। इससे केंद्र पर वर्ष 2025-26 के दौरान ही 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। चुनावी माहौल में इसे सरकार की ओर से बड़ा राजनीतिक मोहरा भी माना जा रहा है। यूक्रेन से यात्रा के बाद शनिवार दोपहर नई दिल्ली पहुंचे पीएम की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक देर शाम को हुई जिसमें यूनीफाइड पेंशन स्कीम के बारे में फैसला किया गया।
साथियों बात अगर हम यूनिफाइ पेंशन स्कीम को समझने की करें तो,
(1) इस स्कीम का सबसे पहला तथ्य यह है कि इसमें कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन मिलेगा, जबकि एनपीएस में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन राशि मिलने की व्यवस्था है।
(2) यूपीएस का फार्मूला यह है कि अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य-वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसद राशि बतौर पेंशन दी जाएगी। अगर सेवा काल 10 से 25 वर्षों का है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी।
(3) यूपीएस का दूसरा अहम पहलू यह है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित (पति या पत्नी) को पेंशन राशि का 60 फीसदी सुनिश्चत पारिवारिक पेंशन के तौर पर दी जाएगी।
(4) तीसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कर्मचारी का कार्य वर्ष चाहे जितना भी हो उनकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी।
(5) मंत्री का कहना है कि आज की तारीख में जो न्यूनतम वेतन है उसके आधार पर न्यूनतम पेंशन की राशि 15 हजार रुपये बनती है।
(6) चौथा पहलू, पेंशन की राशि जो महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है। यानी खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी तो पेंशन की राशि भी बढ़ेगी। महंगाई भत्ता के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा।
(7) पांचवा पहलू, सेवा में संपन्न हर छह माह के लिए मूल वेतन का 10 फीसद राशि एकमुश्त मिलेगी जो ग्रेच्यूटी के अलावा होगी।
(8) सूचना व प्रसारण मंत्री के मुताबिक मोटे तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से सेवानिवृत्त होने पर मिलेगा। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो इसी आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भी पेंशन स्कीम लागू कर सकती हैं।
ऐसा होता है तो देश भर में 90 लाख राज्य सरकारों के कर्मचारियों को भी फायदा हो सकता है। स्पष्ट है कि चुनाव में मुद्दा बने रहे विपक्षी दलों पर अब यह जिम्मेदारी आएगी कि वह भी अपने राज्यों में तत्काल प्रभाव से इसे लागू करने की घोषणा करे। हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो चुकी है और अगले एक दो महीने में महाराष्ट्र और झारखंड में भी घोषणा होनी है। ऐसे में राजनीतिक दलों पर यह दबाव रहेगा कि वह अपने मेनिफेस्टो में राज्य में इसे लागू करने की घोषणा करे।
साथियों बात अगर हम नई व पुरानी पेंशन स्कीम को समझने और दोनों में अंतर की करें तो, दरअसल, सरकार ने नई पेंशन योजना को साल 2004 में शुरू किया था। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को निवेश की मंजूरी मिलती है, जिसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे के निवेश को अनुमति दे सकते हैं। यही नहीं, एनपीएस में जब कर्मचारी का रिटायरमेंट हो जाता है, तो इसके बाद उसे पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की छूट मिलती है। वहीं, बाकी रकम के लिए एन्युटी प्लान खरीद सकते हैं। एन्युटी एक तरह का इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, जिसमें एकमुश्त निवेश करना होता है और आप इसे हर महीने, 3 महीने में या साल भर में निकाल सकते हैं। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने तक उसे नियमित आमदनी मिलती है। जबकि, अगर उसकी मृत्यु हो जाए, तो पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाता है। बात अगर ओल्ड पेंशन योजना की करें, तो इसमें कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी।
वहीं, इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार की तरफ से किया जाता था। हालांकि, दिवंगत पूर्व पीएम ने दिसंबर 2003 में इस ओल्ड पेंशन योजना को खत्म कर दिया था। वहीं, अब लोग इसी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए आंदोलन तक कर रहे हैं। जहां नई पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत यानी बेसिक और डीए की कटोती होती है, तो वहीं ओल्ड पेंशन योजना में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती। एनपीएस में जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा नहीं जोड़ी गई है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा है। नई पेंशन योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ये लागू होता है।
जहां एक तरफ एनपीएस में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर जीपीएफ के ब्याज पर किसी तरह का कोई इनकम टैक्स नहीं लगता। देश में काफी समय से पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर लोग आंदोलन तक कर रहे हैं। वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि पुरानी योजना के मुकाबले नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को काफी कम फायदे मिलते हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। इस बवाल के बीच केंद्र सरकार ने यूपीएस लॉन्च की है। सरकार के खजाने पर बढ़ते दवाब को देखते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म करके एनपीएस को लाया गया था। मगर उसका विरोध होता रहा और अब सरकार ने एनपीएस से बेहतर स्कीम उतारने का दावा किया है, जिसे यूपीएस कहा जा रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पेंशन @ यूनिफाईड पेंशन स्कीम पर लगा सरकार का ठप्पा- 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।पुरानी व नई पेंशन स्कीम के बीच मचे घमासान के बीच यूनिफाईड पेंशन स्कीम लांच, नई लांच की गई यूनिफाईड पेंशन स्कीम व नई पेंशन स्कीम चॉइस में कर्मचारी स्वतंत्र- विपक्ष का तंज- कर्मचारी संघों ने पीएम से मिलकर आभार जताया है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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