प्यार के भवर जाल में पिसती जिंदगी की कहानी : लव मैरिज

अशोक वर्मा “हमदर्द”, चांपदानी, हुगली। यह कहानी चांदनी की है, जो प्रेम में पड़ी, भावनाओं के जाल में उलझी, अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। शादी के बाद उसे ऐसा जीवन मिला, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी। शुरुआत में उसके पति ने बड़े-बड़े सपने दिखाए, सब कुछ सुनहरा और सुखद लग रहा था। पर शादी के कुछ ही समय बाद जब वह ससुराल पहुंची, तो उसे घर की बहू कम और नौकरानी ज्यादा समझा जाने लगा। घर का सारा काम उसकी जिम्मेदारी बन गया, खासकर शाम का खाना बनाना। चांदनी के सपने धुंधले होते गए और उसकी वास्तविकता कठोर होती गई। उसे कभी बाहर घूमने की आज़ादी नहीं मिली, न ही उसके मन की बात सुनने वाला कोई था।

वक्त गुजरता गया और चांदनी की एक बेटी स्नेहा हुई। शादी के एक साल बाद ही, उसका जन्म हुआ। स्नेहा अब बड़ी हो रही थी, स्नेहा उसकी आखिरी उम्मीद थी, पर घर की कठिनाइयों ने चांदनी को बीमार कर दिया। जब उसकी हालत बहुत बिगड़ गई, तब उसके पति ने घर की बाकी बहुओं से चांदनी के हिस्से का काम करने की गुजारिश की। पर यह कहने की देर थी कि घर में भूचाल सा आ गया। सभी बहुएं चिल्लाने लगीं कि चांदनी तो भाग कर आई थी, उसे कोई विशेष सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने उसे “भगोड़ी” कह कर अपमानित किया और यह सब सुन रही थी स्नेहा, जो इस अपमान को देखकर अंदर ही अंदर टूट रही थी।

किशोरी स्नेहा ने एक दिन अपनी मां से कहा, “मां, ये बड़ी मां हमेशा आपके बारे में ऐसा क्यों कहती हैं? क्या प्यार करके शादी करना कोई अपराध है?” चांदनी ने उसे समझाया कि उसकी स्थिति अलग है, लेकिन वह नहीं चाहती कि स्नेहा भी उसकी तरह संघर्ष करे। उसने स्नेहा से वादा किया कि वे उसकी शादी अच्छे घर में करेंगे, जहां उसे ये सब न सहना पड़े।

स्नेहा के जोर देने पर चांदनी ने 15 साल बाद अपनी मां से बात की। उसने अपनी मां को अपनी तकलीफें बताई और उनसे मिलने की गुजारिश की। पहले तो उसकी मां झिझकी, पर अंततः वह अपने पति की मौन स्वीकृति पाकर अपनी बेटी के पास पहुंचीं। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि उनकी बेटी कितने कष्ट में है। चांदनी की मां को रसोई का काम सौंप दिया गया और वे अपनी उम्र के बावजूद, घर के सभी सदस्यों को खाना बनाकर खिलाने लगीं।

कुछ दिनों बाद चांदनी ठीक हो गई, और उसकी मां वापस लौटने की तैयारी करने लगीं। जाते-जाते उन्होंने चांदनी से कहा, “बेटी, अगर तुमने भाग कर शादी न की होती, तो तुम्हारी ये हालत न होती। माता-पिता हमेशा अपने बच्चों के लिए अच्छा ही सोचते हैं। उन्होंने तुम्हारे लिए भी अच्छे घर की तलाश की होती और सुख-दुख में तुम्हारे साथ होते। अब अपनी बेटी स्नेहा को ये बातें जरूर समझाना, ताकि वो भी ये गलती न दोहराए।”

चांदनी बस आंखों से आंसू बहाते हुए अपनी मां की बातें सुनती रही। मां के जाते-जाते उसने अपनी बेटी से कहा, “स्नेहा, तुम हमेशा मेरी और पापा की पसंद के लड़के से ही शादी करना। हम तुम्हारे लिए सबसे अच्छा घर ढूंढेंगे।”

यह कहानी एक मां की ममता और बेटी के संघर्ष की है, जिसमें परिवार के फैसले, समाज की सोच और अपने जीवन के फैसलों का गहरा असर दिखता है।
क्रमश:
शेष अगले किश्त में पढ़ना न भूलें

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक /कवि

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