दुनियां में जब तक चांद, बादल, धरती, आकाश रहेगा, भाई बहन का प्यार मौजूद रहेगा

अमर प्रेम है भाई बहन का….ये राखी बंधन है ऐसा…युवाओं को त्योहारों का महत्व समझाने की जरूरत
आज खुशी के दिन भाई के भर-भर आए नैना, कदर बहन की उनसे पूछो जिनकी नहीं है बहना, रक्षाबंधन की बधाईयां- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में वर्ष 1959 में रिलीज हुई हिंदी फीचर फिल्म छोटी बहन का गीत, भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना और 1971 में रिलीज हुई फिल्म बेईमान का गीत ये राखी बंधन है ऐसा, जैसे गीतों को सुने बिना रक्षाबंधन का त्योहार अधूरा सा लगता है। यही कारण है कि हमें पिछले एक सप्ताह से राखी व अन्य बाजारों में रौनक के साथ उपरोक्त दोनों गीतों सहित अनेक रक्षाबंधन के गीत सुनाई दे रहे हैं, जो दशकों पूर्व के हैं परंतु आज भी ध्यान आकर्षित करते हैं और रक्षाबंधन आने का आभास दिलाते हैं। क्योंकि यह रक्षाबंधन त्योहार ही ऐसा है कि भाई बहन की डोर से रिश्तों में अटल मजबूती आ जाती है। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि आज की नई युवा पीढ़ी या नई यंग जनरेशन को हमारे हर भारतीय त्योहारों का महत्व समझाने की अति आवश्यकता है, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि युवाओं के हृदय में आज त्योहारों के प्रति वह भाव नहीं दिख रहें हैं जो दशकों पूर्व के युवाओं में देखे थे जो आज बूढ़े हो चुके हैं।

अर्थात वर्तमान डिजिटल युग में हमारे युवा, त्योहारों की मर्यादा व गरिमा को कुछ हद तक भूलते जा रहे हैं, क्योंकि आज जमाना आ गया है सब कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है, जबकि मेरा मानना है कि सभी त्योहारों को हमारी भारतीय संस्कृति मुहूर्त बेला से करना चाहिए। वैसे भी इस बार रक्षाबंधन राखी का और सावन के आखिरी सोमवार का शुभ योग और पूर्णिमा का योग 19 अगस्त 2024 को ही आ रहा है। चूंकि राखी एक ऐसा त्यौहार है जो, दुनियां में जब तक चांद, बादल, धरती, आकाश रहेगा, भाई बहन का प्यार मौजूद रहेगा व बहन का हमेशा सम्मान व रक्षा का प्रण लेना होगा। क्योंकि आज राखी के खुशी वाले दिन भाई के भर-भर आए नैना, कदर बहन की उनसे पूछो जिनकी नहीं है कोई बहना, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी व स्वयं के विचारों के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमर प्रेम है भाई बहन का…यह राखी बंधन है ऐसा…युवाओं को त्योहारों का महत्व समझने की जरूरत है।

साथियों बात अगर हम रक्षाबंधन या राखी महोत्सव 19 अगस्त 2024 की करें तो रक्षाबंधन, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसे भाई बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उन्हें सुरक्षा का आश्वासन देते हैं। यह एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा का बंधन। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जिससे भाई अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के भाव को समर्पित है। रक्षाबंधन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रक्षाबंधन की शुरुआत भगवान इंद्र की पत्नी शचि (इंद्राणी) द्वारा इंद्र की कलाई पर रक्षा धागा बांधने से हुई थी, जिस से इंद्र ने असुरों के खिलाफ युद्ध में विजय प्राप्त की। इसी तरह, महाभारत में भी द्रौपदी द्वारा भगवान कृष्ण को रक्षा सूत्र बांधने की कथा है, जिसके बदले कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी।

साथियों बात अगर हम रक्षाबंधन त्यौहार को वास्तु और प्रथा के नजरिए से देखें तो, वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा हमारे घर के भीतर प्रवेश करती है, जो हमारी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है। रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं। पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें। दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं। फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें। इसके बाद येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल: इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।

भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इस दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ती है। प्राणी इस दिन नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुन्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बांधने का विधान है। भाइयों को राखी बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र में काले रंग को औपचारिकता, बुराई, नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इस दिन बहन और भाई दोनों को काले रंग के परिधान पहनने से परहेज करना चाहिए।

साथियों बात अगर हम रक्षाबंधन के परंपरा की करें तो, रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन दोनों विशेष रूप से तैयार होते हैं। बहनें पूजा की थाली में राखी, कुमकुम, चावल, मिठाई और दीपक सजाती हैं। भाई की आरती उतारने के बाद, बहन उसकी कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा करने का संकल्प लेता है।इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर त्योहार की खुशियाँ मनाते हैं। मिठाइयां बांटी जाती हैं, और पारिवारिक भोज का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही, यह त्योहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को और भी गहरा और मजबूत बनाता है।

रक्षाबंधन का आधुनिक महत्व : आज के समय में रक्षाबंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है, लेकिन इसका मूल भाव वही है। भले ही भौगोलिक दूरी के कारण भाई-बहन एक साथ न हो पाएं, फिर भी वे डाक या कूरियर के माध्यम से राखी भेजते हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों ने भी इस त्योहार के उत्सव को नए आयाम दिए हैं।रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा है; अब इसे समाज में भाईचारे, प्रेम और एकता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। कई स्थानों पर यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और समाज सेवा जैसे मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी मनाया जाता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम आज के डिजिटल युग में राखी के धागों की डाकघरों द्वारा अहमियत बरकरार रखने की करें तो, डाकघरों से देश के साथ-साथ विदेशों में भी भाईयों के लिए बहनें भेज रही राखियां, रविवार और रक्षाबंधन के दिन भी पहुंचाई जाएंगी राखियां। डाकघरों द्वारा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, रुस सहित तमाम देशों में भेजी जा रही राखियां। रेशम के धागों ने सोशल मीडिया पर चल रही वर्चुअल राखियों को बौना साबित कर दिया है। वाट्सएप, फेसबुक, स्काइप, टेलीग्राम जैसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म को छोडकर बहनें, भाईयों की कलाइयाँ सजाने के लिए डाक से रंग-बिरंगी राखियाँ भेजना पसंद कर रही हैं। डाक विभाग भी इसके लिए मुस्तैद है और तमाम तैयारियाँ किए हुये है।

रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व रविवार को भी डाक पहुंचाने के विशेष प्रबंध किए गए हैं, ताकि किसी भाई की कलाई सूनी न रहे। राखी का क्रेज देश से बाहर विदेशों में भी खूब है। डाकघरों से विदेशों के लिए भी स्पीडपोस्ट और रजिस्टर्ड डाक द्वारा खूब राखियाँ भेजी जा रही हैं। इनमें ज्यादातर राखियाँ उपरोक्त देशों में भेजी गई हैं। वहीं विदेशों में रह रही बहनें भी अपने भाईयों को राखी भेज रही हैं, जो डाक विभाग के माध्यम से तुरंत पहुंचाई जा रही हैं। विदेशों में राखियाँ भेजने के लिए बहनें पहले से ही तैयारी करने लगती हैं, ताकि सही समय पर भाईयों को राखी पहुँच जाये और उनकी कलाई सूनी न रहे। चिट्ठियों के माध्यम से खुशियां बिखेरते रहने वाले डाक विभाग ने रिश्तों के इस त्यौहार को भी एक नया आयाम दिया है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनियां में जब तक चांद, बादल, धरती, आकाश रहेगा, भाई बहन का प्यार मौजूद रहेगा। अमर प्रेम है भाई बहन का…ये राखीबंधन है ऐसा…युवाओं को त्योहारों का महत्व समझाने की जरूरत। आज खुशी के दिन भाई के भर-भर आए नैना, कदर बहन की उनसे पूछो जिनकी नहीं है बहना, रक्षाबंधन की बधाईयां।

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