एमपॉक्स वायरस के प्रकोप का टेंशन- WHO ने किया सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल मेंशन!

दुनियां में तेज़ी से फैल रहे एमपॉक्स वायरस संक्रमण से भारत को सतर्क रहना होगा
कोरोनावायरस के बाद अब एमपॉक्स वायरस के संभावित संक्रमण से सावधान रहना होगा- अफ्रीका में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित को रेखांकित करना जरूरी- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के अनेक देश अभी कोविड-19 महामारी से पूरी तरह उबर भी नहीं पाए हैं कि एक और वैश्विक वायरस संक्रमण एमपॉक्स महामारी दस्तक दे रही है, जिसे बुधवार दिनांक 14 अगस्त 2024 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है, क्योंकि यह महामारी पहले 13 अफ्रीकी देशों तक ही सीमित थी, वहीं 34 अफ्रीकी देशों को हाई रिस्क पर रखा गया हैं। परंतु अब वहां से संक्रमित होकर यह बीमारी स्वीडन व अभी 16 अगस्त 2024 को भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी एक मरीज की पुष्टि होकर दस्तक दे चुकी है, इसलिए अब डबल्यूएचओ द्वारा पूरे विश्व को हाई अलर्ट मोड पर रहने की बात कही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा कर दी है, जिस पर पूरे विश्व को अलर्ट रहने की जरूरत है, ताकि कोविड -19 के जैसे भयंकर दुष्परिणामों से बचा जा सके। इसमें सबसे महत्वपूर्ण जवाबदारी व कर्तव्य हम आम नागरिकों का ही है, हमें अति सावधान रहना होगा इस बीमारी के लक्षणों पर अलर्ट रहना होगा, स्वच्छता व स्वास्थ्यता का ध्यान रखना होगा। चूंकि कोरोना वायरस के बाद अब एमपॉक्स वायरस के संभावित संक्रमण से वायरस फैल सकता है, अफ्रीका में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने को रेखांकित करना जरूरी है व दुनिया में तेजी से फैल रहे एमपॉक्स वायरस संक्रमण से भारत को सतर्क रहना होगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्लीज अटेंशन एमपॉक्स वायरस का टेंशन, डबल्यूएचओ ने किया सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल मेंशन।

साथियों बात अगर हम एमपॉक्स वायरस संक्रमण के प्रकोप की करें तो, पाकिस्तान में एमपॉक्स के तीन मामले सामने आए हैं। उत्तरी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान ने एमपॉक्स वायरस से पीड़ित तीन मरीजों का पता लगाया है। अफ्रीका के शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय ने मंगलवार को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है। बता दें कि एमपॉक्स निकट संपर्क के जरिए फैलता है। एमपॉक्स से संक्रमित लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। एमपॉक्स संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है। इस संक्रमण से भारत को भी सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि उत्तरी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को मीडिया में कहा कि पाकिस्तान में एमपॉक्स वायरस से पीड़ित तीन मरीजों का पता लगा है। विभाग ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात से आने पर मरीजों में वायरल संक्रमण का पता चला। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को स्वीडन में एमपॉक्स वायरस के एक नए प्रकार के संक्रमण की पुष्टि की। अफ्रीका के शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय ने मंगलवार को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है। बता दें कि एमपॉक्स निकट संपर्क के जरिए फैलता है। इसमें फ्लू जैसे लक्षण होते है, लेकिन अधिकांश मामले जानलेवा भी हो सकते है।

साथियों बात अगर हम डब्ल्यूएचओ द्वारा एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की करने की करें तो, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानम गेब्रेसस ने कहा, आपातकालीन समिति ने मुझे सलाह दी कि एमपॉक्स की स्थिति अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। मैंने सलाह को स्वीकार कर लिया है। पूर्वी कांगो में एमपॉक्स का तेजी से फैलना बहुत चिंताजनक है। किसी बीमारी के प्रकोप को पीएचई आइसी घोषित करके डब्ल्यूएचओ बीमारी को नियंत्रित करने और रोकने के लिए अनुसंधान, वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों में तेजी ला सकता है। एमपॉक्स जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था संक्रामक वायरल रोग है। इसके लक्षणों में दाने निकलना, फफोले बनना, बुखार शामिल है।

यह कांगो से बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा सहित पड़ोसी देशों में फैल गया है। कांगो में इस वायरस के प्रकोप के बाद स्वास्थ्य आपातकाल का यह फैसला किया गया है। एमपॉक्स संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है। इस वर्ष 17,000 से अधिक मामले और 500 से अधिक मौतें हुईं जिनमें अधिकतर कांगो में हैं। बीमारी कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में फैली एमपॉक्स कांगो के पड़ोसी देशों में भी फैल गया है। बीते दो वर्षों में दूसरी बार है जब एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया है। इससे पहले जुलाई 2022 में एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था। यह बीमारी कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में फैल रही है।

वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य कानून के अंतर्गत बीमारी के प्रकोप को लेकर चेतावनी का उच्च स्तर है। इसकी घोषणा तब की जाती है जब बीमारी नए या असामान्य तरीकों से फैलती हैं। स्वीडन केस को डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की है कि यह अफ्रीका के बाहर एमपॉक्स का पहला मामला है। स्वीडन के स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार को कहा, एमपॉक्स के अधिक गंभीर प्रकार, जिसे क्लेड कहा जाता है का मामला सामने आया है। अधिकारियों ने कहा कि रूस में इसके फैलने का कोई खतरा नहीं है। रूस एमपॉक्स प्रकोप से प्रभावित अफ्रीकी देशों की सहायता के लिए भी तैयार है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जल्द ही यूरोप में मंकी पॉक्स के और मामले सामने आने की संभावना है।

साथियों बात अगर हम एमपॉक्स के 15 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को अधिक प्रभावित करने की करें तो, मंकी पॉक्स के मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में आम हैं। इन क्षेत्रों में हर साल हजारों मामले सामने आते हैं और सैकड़ो लोगों की जान चली जाती है। इससे 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। वायरस के दो स्ट्रेन मुख्य तौर पर फैल रहे हैं। क्लेड-I मध्य अफ़्रीका में एंडेमिक (स्थानिक) है। वहीं, इस बार फैले मंकी पॉक्स का क्लेड आईबी नया और अधिक संक्रामक है। अफ़्रीका सीडीसी ने कहा कि 2024 की शुरुआत और जुलाई के अंत तक 14,500 से अधिक मंकी पॉक्स संक्रमण के मामले आए हैं और 450 से अधिक मौतें हुई। ऐसे में मंकी पॉक्स वायरस के केस के मामले में 160 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

वहीं, पिछली बार की तुलना में 19 फ़ीसद ज़्यादा लोगों की जान गई। इनमें से 96 फीसदी मामले डीआर कांगो के हैं। साथ ही मंकी पॉक्स पड़ोसी देशों कीनिया, रवांडा, युगांडा और बुरुंडी जैसे देशों में फैल गया है जहां ये आम तौर पर स्थानिक नहीं है। पश्चिम अफ़्रीका में पाए जाने वाले मंकी पॉक्स के कम घातक वाला स्ट्रेन क्लेड-II 2022 में वैश्विक महामारी का कारण बना। ये एशिया और यूरोप के कुछ देशों सहित उन 100 देशों में फैल गया था जहां कि आम तौर पर ये वायरस नहीं फैलता है। इसे कमजोर समूहों का टीकाकरण करके रोका गया। कांगो में मंकी पॉक्स वैक्सीन और इसके इलाज को लेकर कम सुविधा है। इसीलिए स्वास्थ्य अधिकारी इसके फैलने को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि नया स्ट्रेन अधिक आसानी से फैल सकता है। ऐसे में बच्चों और वयस्कों में अधिक मौतें होने की संभावना है।

साथियों बात अगर हम एमपॉक्स के लक्षणों व उसे रोकने के उपायों की करें तो, एमपॉक्स के लक्षण संक्रमण के लगभग 4-10 दिनों के बाद हथेलियों, पैरों, चेहरे, मुंह और जननांगों पर दाने या घाव अथवा चकत्तों के रूप में दिखने लगते हैं। कई बार इसमें तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है और कुछ दिनों के बाद चिकनपॉक्स के फोड़े की तरह गायब हो जाते हैं। यह कई लोगों में बिना लक्षण के भी हो सकता है, और शरीर के अंदर 21 दिनों तक रह सकता है, जिससे बीमारी और संक्रमण हो सकता है। इसके साथ अक्सर बुखार, शरीर और मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक थकान होती है।अधिक गंभीर मामलों में, यह एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), निमोनिया (फेफड़ों में तरल पदार्थ भरना), सेप्सिस (रक्तप्रवाह में संक्रमण), अंधापन और भविष्य की गर्भावस्था में जटिलताओं का कारण बन सकता है।

लगभग 1 प्रतिशत मामलों में मृत्यु हो जाती है और ये मुख्य रूप से उन व्यक्तियों में होती है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्युनिटी कमज़ोर होती है जैसे कि कैंसर या एचआईवी से पीड़ित मरीजों में।अधिकांश संक्रमित लोग 2-4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। शरीर के अंदर वायरस के लिए इन्क्यूबेशन पीरियड 1 से 20 दिनों के बीच हो सकती है और वैक्सीन के ज़रिए इसका इसका तुरंत इलाज किया जाता है? इस बीमारी को एमवीए-बीएन वैक्सीन से रोका और इलाज किया जाता है, जिसे मूल रूप से चेचक के लिए विकसित किया गया था, इस वैक्सीन को संक्रमण से पहले या बाद में दिया जाता है। एमपॉक्स-स्थानिक देशों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ उन क्षेत्रों में जहां इसका प्रकोप है, वहां रहने वाले लोगों को आवारा और पालतू जानवरों, गैर-मानव प्राइमेट्स और मरे हुए या ज़िंदा जानवरों से दूर रहने की सलाह दी गई है। जिन लोगों को इससे खतरा है उन्हें भी मास्क, ग्लब्स और चश्मे पहनने की सलाह दी गई है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्लीज अटेंशन- एमपॉक्स वायरस के प्रकोप का टेंशन-डबल्यूएचओ ने किया सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल मेंशन! दुनियां में तेज़ी से फैल रहे एमपॉक्स वायरस संक्रमण से भारत को सतर्क रहना होगा। कोरोना वायरस के बाद अब एमपॉक्स वायरस के संभावित संक्रमण से सावधान रहना होगा अफ्रीका में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित को रेखांकित करना जरूरी हैं।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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