केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापस लिया- अब नया बिल बनेगा-15 अक्टूबर 2024 तक पब्लिक से सुझाव मांगे

बिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज प्रसारित करने वालों के लिए नई रेगुलेटरी बॉडी बीएआई बनाए जाने का प्रावधान था
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिएटर व अन्य के विरोध के संज्ञान का परिणामतः ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापसी हुई- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां का हर देश आज डिजिटाइजेशन की आंधी में वह चला है, क्योंकि कई महीनों दिनों के काम 1 मिनट में एक क्लिक से हो जाते हैं। दूर दराज की खबरों को जानने में जहां दिनों लग जाते थे वे एक मिनट में जानकारी आ जाती है। किसी घटना की पूरी जानकारी, खुशियों की सौगातें या फिर फोटो के आने में जहां महीना लग जाते थे वह इंटरनेट के एक क्लिक से सेकंडों में एल्बम आ जाते हैं। बड़े बुजुर्गों का सटीक आंकलन है कि यदि हम सुकून, सुख सुविधाओं को अधिक भोगेंगे तो स्वाभाविक ही है दुखों का भी आना होगा जो हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में जो कई बार साइबर क्राइम के रूप में जाने जाते हैं, एक क्लिक से लाखों गायब, पर्सनल डाटा चोरी व महत्वपूर्ण फाइल डाटा डिलीट जैसे अनेकों खामियों, परेशानियों, मुश्किलों से दो चार होना पड़ता है, तो उनके क्षेत्र जैसे डिजिटल समाचार, डिजिटल मंच के लिए कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी एवं बॉडी नहीं होने से अक्सर आउट ऑफ कंट्रोल होने की संभावना रहती है।

इन्हीं खामियों को नियंत्रित करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉरमेशन ब्रॉडकास्टिंग एमबीए नवंबर 2023 में पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेटरी बिल ड्राफ्ट किया था जिसकी पब्लिक कमेंट की डेड लाइन 10 नवंबर 2023 थी फिर दूसरा ड्राफ्ट तैयार किया गया जिसकी पब्लिक कमेंट की तारीख 15 जनवरी 2024 थी, फिर ड्राफ्ट बनाकर मानसून बजट सत्र 2024 में पेश किया गया, परंतु बहुत विरोध हुआ परिणामतः 12 अगस्त 2024 को देर रात बिल की वापसी लेने की घोषणा व बिल ड्राफ्ट करने व फिर से पब्लिक कमेंट बुलाने की अंतिम तारीख 15 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है। चूंकि केंद्र सरकार के ब्रॉडकास्टिंग नियमन बिल 2024 वापस ले लिया है व अब नया बिल बनेगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, बिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज प्रसारित करने वालों के लिए नई रेगुलेटरी बॉडी बनाए जाने के प्रावधान थे व डिजिटल न्यूज पब्लिशर इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिएटर व अन्य के विरोध के संज्ञान के परिणाम स्वरूप ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापसी हुआ।

साथियों बात अगर हम प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक 2023 से लेकर ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 व अभी बिल वापसी की यात्रा की करें तो, सरकार ने पिछले साल नवंबर में प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 का मसौदा जारी किया था। इसका मकसद प्रसारण क्षेत्र के लिए एक समेकित कानूनी ढांचा लाना और ओटीटी (डिजिटल मंच) सामग्री, डिजिटल समाचार और सम-सामयिक मामलों को भी इसके दायरे में लाना था। इसका दूसरा मसौदा इस साल जुलाई में तैयार किया गया था, इसे केंद्रीय मंत्री ने संसद के मौजूदा सत्र में प्रस्तावित किया था। मीडिया संगठनों ने मसौदे के प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की थी। उनका कहना था कि यह डिजिटल मंच पर सामग्री को विनियमित और सेंसर करने के लिए बहुस्तरीय कानूनी प्रणाली बनाने का प्रयास करता है।

केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को फिलहाल होल्ड पर रखने का फैसला किया है। सरकार ने कहा है कि व्यापक विचार-विमर्श के बाद इस बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग (एमआईबी) ने पिछले साल नवंबर में नए ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल को ड्राफ्ट किया था, इस बिल के ड्राफ्ट पर पब्लिक कॉमेंट की डेडलाइन 10 नवंबर, 2023 थी। बिल का दूसरा ड्राफ्ट इस साल जुलाई में तैयार किया गया था जो कि बिल के मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणी देने की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2024 थी।विपक्ष ने आरोप लगाया था कि बिल का संशोधित ड्राफ्ट संसद की पटल पर रखे जाने से पहले ही कुछ चुनिंदा हितधारकों के बीच गुप्त रूप से लीक कर दिया गया था। डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स भी इस बिल का विरोध कर रहे थे। केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को वापस ले लिया है।सरकार का कहना है कि इस बिल को लाने का मुख्य मकसद सभी न्यूज ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाना है।

साथियों बात अगर हम ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को लाने के मकसद की करें तो, किसी भी माध्यम से प्रसारित होने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट, कंट्रोल, मॉनिटर और सेंसर करना है। सरकार सभी ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में रखना चाहती है, ताकि चीजों को स्ट्रीमलाइन करने में सुविधा हो सके। जिस तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज और अफवाह तेजी से फैल रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार कॉन्टेंट को रेगूलेट करना चाह रही है। इसके लिए कॉन्टेंट कोट और एज वेरिफिकेशन मैकेनिज्म को लाया जाएगा। सरकार का कहना है कि इस नए ब्रॉडकास्टिंग रेगूलेशन बिल के लागू हो जाने के बाद किसी भी ओटीटी या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलाए जाने वाले हेट स्पीच, फेक न्यूज या अफवाहों के लिए प्लेटफॉर्म को अकाउंटेबल बनाया जा सकेगा ब्रॉडकास्टिंग सर्विस बिल के प्रावधान इस बिल को खास तौर पर डिजिटल या ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे कि यूट्यूब, एक्स (ट्विटर), फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट किया गया है।

(1) इस बिल के आने के बाद से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज प्रसारित करने वाले ब्रॉडकास्टर्स को डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर के तौर पर जाना जाएगा।
(2) डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बॉडी ब्रॉडकास्टिंग ऑथिरिटी ऑफ इंडिया’ (बीएआई) बनाए जाने का प्रावधान है। यह नई रेगुलेटरी बॉडी ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े बिल के इंप्लिमेंटेशन और रेगुलेशन के लिए जिम्मेवार होगी।
(3) इसके अलावा इस बिल में सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम क्रिएट करने का प्रावधान है, जिसमें नॉन-कंप्लायेंस होने पर सरकार का इंटरवेंशन भी शामिल किया गया है।
(4) डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए कॉन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनाए जाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है। यह कमिटी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को कंप्लायेंस सर्टिफिकेट देगी।

(5) यही नहीं, इस बिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट के प्रोवाइडर्स और व्यूअर्स के बीच एक पारदर्शी और ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम तैयार किए जाने का भी प्रावधान है। 90 से ज्यादा डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन डिजी-पब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चुनिंदा हितधारकों के साथ बंद कमरे में इस पर चर्चा की। डिजिटल मीडिया संगठनों और सिविल सोसाइटी एसोसिएशन के साथ चर्चा भी नहीं हुई। ड्राफ्ट कॉपी पाने के लिए मंत्रालय को लेटर भी लिखा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्राफ्ट में इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को उनके यूजरबेस के आधार पर ‘डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स’ में दर्शाया जा रहा था। इसका नतीजा ये होता कि इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को अपने कंटेंट के लिए सरकार से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता। इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स का कहना था कि बिल के जरिए सरकार डिजिटल उन पर एक तरह से सेंसरशिप लगा रही है। बिल लागू होने पर सरकार की आलोचना नहीं कीजा सकेगी। वहीं, टू-टियर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम पर भी हितधारकों का विरोध किया था। बिल के ड्राफ्ट में डेटा के लोकलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का एक प्रावधान जोड़ा गया था। इसे लेकर स्टेकहोल्डर्स का कहना था कि यह प्रावधान निजता का उल्लंघन करेगा। इसका दुरुपयोग की भी संभावना जताई ​थी। पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट किया गया है।

साथियों बात अगर हम प्रसारण सेवा विनियमन विधायक 2024 की करें तो, बता दें कि सरकार ने पिछले साल नवंबर में प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का मसौदा जारी किया था। इसका उद्देश्य प्रसारण क्षेत्र के लिए एक समेकित कानूनी ढांचा लाना और ओटीटी सामग्री, डिजिटल समाचार और समसामयिक मामलों को भी इसके दायरे में लाना है। इसके तहत ब्रॉडकास्टर्स और ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क ऑपरेटरों को अपनी सेवाएं प्रदान करने से पहले सरकार के साथ पंजीकरण करना होगा या सरकार को इसकी सूचना देनी होगी। इस बिल के आने के बाद से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज प्रसारित करने वाले ब्रॉडकास्टर्स को डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर के तौर पर जाना जाएगा।

डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बॉडी ‘ब्रॉडकास्टिंग ऑथिरिटी ऑफ इंडिया (बीएआई) बनाए जाने का प्रावधान है। यह नई रेगुलेटरी बॉडी ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े बिल के इंप्लिमेंटेशन और रेगुलेशन के लिए जिम्मेवार होगी। बिल में सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम क्रिएट करने का प्रावधान है, जिसमें नॉन- कंप्लायेंस होने पर सरकार का इंटरवेंशन भी शामिल किया गया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए कॉन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनाए जाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है। यह कमिटी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को कंप्लायेंस सर्टिफिकेट देगी। बिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट के प्रोवाइडर्स और व्यूअर्स के बीच एक पारदर्शी और ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम तैयार किए जाने का भी प्रावधान है।

साथियों बात अगर हम बिल को लेकर हो रहे हंगामें की करें तो, नए ड्राफ्ट हुए ब्रॉडकास्टिंग बिल के प्रावधानों को देखते हुए इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और कुछ डिजिटल पब्लिशर्स ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह बिल कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सेंसरशिप की तरह है। किसी को भी सरकार को क्रिटिसाइज करने की आजादी नहीं होगी। खास तौर पर टू-टीयर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम को लेकर डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स को चिंता है। इस बिल में डेटा के लोकलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का भी एक प्रावधान जोड़ा गया है, जिसे लेकर प्राइवेसी के वॉयलेशन और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई जा रही है। इस बिल को लेकर इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स की टेंशन बढ़ गई है।

प्रसारण सेवा विधेयक 2024 के मसौदे ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चिंता क्यों बढ़ा दी है? सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने नए ड्राफ्ट ब्रॉडकास्टिंग बिल में यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र समाचार निर्माताओं पर व्यापक नियमन का प्रस्ताव दिया है, जिससे ओटीटी कंटेंट और डिजिटल समाचार कंटेंट पर इसका दायरा बढ़ गया है। हम बताते हैं। चर्चा में क्यों? प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2024 का नवीनतम मसौदा केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है। मसौदा विधेयक में समाचार और समसामयिक विषयों से संबंधित कार्यक्रमों (प्रिंट समाचार को छोड़कर) के प्रसारण को विनियमित करने का प्रावधान है, क्योंकि उन्हें निर्धारित कार्यक्रम संहिता और विज्ञापन संहिता का अनुपालन करना होगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापस लिया- अब नया बिल बनेगा-15 अक्टूबर 2024 तक पब्लिक से सुझाव मांगेबिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ प्रसारित करने वालों के लिए नई रेगुलेटरी बॉडी बीएआई बनाए जाने का प्रावधान था। डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स और इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिएटर व अन्य के विरोध के संज्ञान का परिणामतः ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापसी हुई।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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