‘बंगाल का बनारस’ नैहाटी में गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार व ‘पड़ाव’ के संयुक्त तत्वावधान में मनायी गई तुलसी जयंती

नैहाटी, उत्तर चौबीस परगना। रविवार संध्या 4.30 बजे तुलसी जयंती के उपलक्ष्य में गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार व ‘पड़ाव’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक अंतरंग संगोष्ठी तथा पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री, कथाकारा, आलोचक, समाजसेवी एवं संपादक डॉ. इंदु सिंह द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध यात्रा वृतांत लेखिका माला वर्मा, मुख्य वक्ता के रूप में शिवपुर दिनबंधु इंस्टीट्यूशन (कॉलेज), हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी एवं वक्ता के रूप में रामकृष्ण मिशन आवासीय महावि‌द्यालय, नरेंद्रपुर, हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरदीप साव उपस्थित रहें।

कार्यक्रम का आरंभ आगत अतिथियों एवं श्रोताओं द्वारा महाकवि तुलसीदास के छायाचित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करके किया गया। संयोजक डॉ. बिक्रम कुमार साव ने स्वागत वक्तव्य रखते हुए वर्तमान संदर्भ में तुलसी की समाज दृष्टि की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए संगोष्ठी का विषय-प्रवर्तन किया।

संगोष्ठी सत्र में वक्ता के रूप में रामकृष्ण मिशन आवासीय महावि‌द्यालय, नरेंद्रपुर, हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरदीप साव ने अपने वक्तव्य में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का सामाजिक चिंतन मानवतावाद से अनुप्राणित है। तुलसी जीवन के कवि हैं। उनके काव्य में जीवन के प्रति अनुराग दिखलाई पड़ता है। गोस्वामी तुलसीदास जी की दृष्टि अपने तत्कालीन सामाजिक यथार्थ पर तो थी ही, साथ ही भविष्य के समाज पर भी थी इसलिए, उनके यहाँ खंडन नहीं बल्कि निर्माण की चर्चा अधिक है। तुलसीदास के सामाजिक चिंतन से उपजा साहित्य मानव समाज के लिए कल्याणकारी है। उनका सामाजिक दर्शन मानव समाज के लिए ‘टीके’ की तरह है, जिससे समस्त प्रकार के सामाजिक-आर्थिक विषमताओं, राजनीतिक विद्रूपताओं, एवं धार्मिक विवादों को दूर किया जा सकता है।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित एवं तुलसी साहित्य के अध्येता शिवपुर दीनबंधु इंस्टीट्यूशन (कॉलेज), हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा की तुलसी के समाज दर्शन में मनुष्य को बेहतर नागरिक बनाने की सीख समाहित है ।उनके समाज संदर्भित विचारों से हमें अपने मन के अंदर छिपे रावणत्व पर रामत्व की विजय हासिल करने की प्रेरणा मिलती है।

तुलसी साहित्य के अध्ययन में आप डूबेंगे तो डूबते ही जाइएगा। उनके साहित्य का अध्ययन आपके अंदर विनम्रता पैदा करती है। उनके राम राज्य की परिकल्पना और मर्यादावादी दृष्टिकोण वैश्विक स्तर पर अनुकरणीय है। उनकी पुस्तक रामचरितमानस एक जरूरी पुस्तक है। इस पुस्तक को किसी एक समुदाय या एक जाति के धर्म ग्रंथ के रूप में न माना जाए बल्कि यह पुस्तक सामाजिक स्तर पर विश्व के सभी वर्गों सभी समुदायों के लिए टॉनिक की तरह है जो आधुनिकता से उपजी तमाम विसंगतियों को स्वस्थ करती है।

डॉ. तिवारी ने यह भी कहा कि मुझे लगता है हिंदी साहित्य के अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में नैहाटी अंचल बंगाल का बनारस है। यहां पर इस तरह के साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं जिसमें ‘गरीफा मैत्रेय ग्रंथगार’ और ‘पड़ाव’ संस्था अपनी सक्रिय भूमिका में है। ग्रंथागार के अध्यक्ष महोदय डॉ. मान बहादुर सिंह और पड़ाव संस्था के सचिव एवं आज के कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बिक्रम कुमार साव को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे यहां आने का सस्नेह आमंत्रण दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं, वरिष्ठ कवयित्री, कथाकारा, आलोचक, समाजसेवी डॉ. इंदु सिंह ने कहा कि तुलसी का समाजवाद समन्वयवाद को प्रोत्साहित करता है। समाज में विविधताओं के रहने के बावजूद भी उसमें समन्वय का होना आवश्यक है और यही समन्वयात्मकता एक स्वस्थ समाज को निर्मित करता है जिसमें स्त्री-पुरुष, राजा-प्रजा, वर्ग-विभेद आदि में समन्वय लाने की बात कही गई है। चित्रकूट में नौका विहार करते हुए अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने वर्तमान समाज के ढोंगियों पर भी अपनी बात कही। समाज में साधुओं का स्थान ढोंगियों और भोगियों ने ले लिया है। नई पीढ़ी को इन ढ़ोगियों से बचने की आवश्यकता है और आदर्श परक कर्म क्षेत्र का चुनाव करना है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध यात्रा-वृतांत लेखिका माला वर्मा की पुस्तक ‘स्पेन और पुर्तगाल’ एवं डॉ. बिक्रम कुमार साव द्वारा संपादित पुस्तक ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शैक्षिक विकास’ का लोकार्पण मंचासीन महानुभावों द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम में शिक्षक पप्पू रजक, शिक्षक राजकुमार साव, शिक्षक कार्तिक कुमार साव, शिक्षक सुभाष कुमार साव, शिक्षक अमरजीत पंडित, रितेश सिंह, अंकित कुमार ठाकुर, बिक्रम कुमार, सुमित राय, अरविंद कुमार शर्मा, पूजा मिश्रा, अफसाना खातुन, सहित अन्य महाविद्यालय व विश्वविद्यालय के विद्यार्थी गण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन सावनी कुमारी राम और धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक पप्पू रजक ने किया।

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