Bangladesh PM Sheikh Hasina left Dhaka!

ब्रिटेन, केन्या, बांग्लादेश में हिंसात्मक आंदोलन- बांग्लादेश में तख्तापलट- भारत को रहना होगा हाई अलर्ट

भारत तेज़ी से विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर- विदेशी ताकतें ढूंढ रही है अटकाने के अवसर- अलर्ट पर हैं नहीं छोड़ेगे कोई कोर कसर!
दुनियां में तेज़ी से विकास और हैप्पीनेस से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने के लिए, सटीक विदेश नीति कूटनीति में विशेषज्ञ होना समय की मांग- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ महीनो से हम प्रिंट, इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया में पढ़ सुन व देख रहे हैं कि केन्या, बांग्लादेश, ब्रिटेन सहित कुछ देशों में घरेलू आंदोलन हिंसा चरम पर है, तो वही यूक्रेन-रूस व हमास-इजरायल युद्ध भी अपने चरम स्तर पर पहुंच गए हैं, तो वहीं अब भयंकर युद्ध के आसार ईरान-इजरायल के बीच भी दिख रहे हैं। मेरा मानना है कि अगले दो दिन के भीतर इन दोनों के बीच युद्ध का आगाज़ हो सकता है! क्योंकि जिस तरह से दोनों देशों के समर्थक देशों के समूह अपने-अपने स्तर पर मिसाइलें जमीन से लेकर हवाई व जल मार्ग पर सेट कर रहे हैं, उससे तो यही आभास हो रहा है। इसलिए मेरा मानना है कि दुनियां के एक नए संकट में फंसने की संभावना है, तो वही छोटे देशों पर पूर्ण विकसित देशों का दबदबा भी देखने को मिल रहा है, जो हमने श्रीलंका नेपाल पाकिस्तान इराक इत्यादि देशों में पिछले समय में देखे हैं। जिसका नॉरेटिव आंदोलन से ही सेट होता है जो फिर हिंसात्मक हो जाता है। हमने अभी हाल ही के दिनों में केन्या में देखें कि वित्त विधेयक 2024 राष्ट्रपति द्वारा वापस लेने के बाद भी आंदोलन जारी रहा व राष्ट्रपति के इस्तीफ़े की मांग की जा रही है, वैसे ही ब्रिटेन में एक जाति समुदाय विशेष के द्वारा तीन बच्चों को चाकू मारने से हिंसा भड़क उठी है, जो वापस पीछे हटते हुए नहीं दिख रहे हैं, इसी तरह बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूरा आरक्षण हटाकर केवल 5 प्रतिशत तक कर देने के बावजूद भी हिंसात्मक आंदोलन तीव्र होते चला गया जिससे वहां की पीएम को भागकर भारत में शरण लेना पड़ा है। मेरा मानना है कि इन सभी हिंसात्मक आंदोलन के पीछे कोई बड़ी साजिश व ताकतें जरूर हो सकती है। क्योंकि अकेले के दम पर और बिना फंडिंग के इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर आंदोलन करना संभव नहीं है, जिसमें तख्ता पलटकर पीएम को भागना पड़े।

मीडिया में आ रहा है कि, बांग्लादेश केस के पीछे कुछ विकसित देशों के बांग्लादेश की पीएम से नाराज होने का कारण शामिल हो सकता है, जैसे अमेरिका को एयरबेस के लिए शेख हसीना का इनकार, चीन को बीआरए के लिए जमीन देने से इनकार, पाकिस्तान से पहले ही खुनस पर इस तिकड़ी के कारण ऐसे अंजाम के कयास लगाए जा रहे हैं। अब इस स्थिति से भारत को भी सीख लेने की जरूरत है। परंतु मेरा मानना है कि भारत की विदेश नीति व कूटनीति ऐसी है कि ऐसी स्थितियों का आना दूर की कौड़ी है, परंतु चींटी को भी कमजोर नहीं समझना वाली कहावत का संज्ञान लेते हुए हाई अलर्ट पर रहना जरूरी है। वैसे भारत हाई अलर्ट लेवल पर है, क्योंकि दिनांक 6 अगस्त 2024 को सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित कर बांग्लादेश मुद्दे पर मंथन कर एक राय निकल गई, उधर पीएम विदेश मंत्री व गृहमंत्री सहित अनेकों अपने स्तर पर बैठके कर रणनीतिक स्थितियों का आकलन किया गया है। चूंकि ब्रिटेन, केन्या, बांग्लादेश में हिंसात्मक आंदोलन, बांग्लादेश में तख्तापलट व भारत को रहना होगा हाईअलर्ट व दुनियां में तेजी से विकास और हैप्पीनेस से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने के लिए सटीक विदेश नीति कूटनीति विशेषज्ञ होना समय की मांग है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत तेजी से विकसित देश बनने की ओर अग्रसर, विदेशी ताकते ढूंढ रही है अटकाने के अवसर, अलर्ट पर रहने नहीं छोड़नी होगी कोई कोर कसर।

साथियों बात अगर हम बांग्लादेश के मुख्य रूप से आंदोलन छात्र प्रणेता वह आंदोलन को हाईजैक हिंसक करने की करें तो बांग्लादेश में जारी संकट के केंद्र में वहां के स्टूडेंट हैं। माना ये जा रहा है कि छात्रों के हिंसक प्रदर्शन ने ऐसी नौबत पैदा कर दी कि पीएम रहीं शेख हसीना को पद से इस्तीफा देकर, देश तक छोड़ना पड़ा। लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि बांग्लादेश में इतना सब कुछ सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने ही किया है? या फिर छात्रों के आंदोलन में शेख हसीना विरोधी ताकतें भी मिल गईं, जिसकी वजह से आंदोलन और उग्र हो गया। दावा ये भी है कि आंदोलन छात्रों के हाथों से निकलकर पूरी तरह से कट्टर इस्मालिक संगठनों के हाथों में चला गया, कहा जा रहा है कि जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन बांग्लादेश में तांडव मचा रहे हैं।बांग्लादेश में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने वहां के राष्ट्रपति को संसद भंग करने का भी अल्टीमेटम दिया। छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं, तो इससे भी ज़्यादा उग्र हो जाएंगे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं ने इसका वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि वो देश में आगजनी और हिंसा का विरोध करते हैं और उन लोगों को भी रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रों ने कहा है कि वो सेना की तरफ से बनाई गई, सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे। बता दें कि बांग्लादेश के ये वो तीन छात्र नेता हैं, जिन्होंने शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बता दें कि इन तीनों छात्र नेताओं को बांग्ला देश की डिटेक्टिव ब्रांत ने बंधक भी बनाया था और आंदोलन वापस लेने के लिए जबरदस्ती वीडियो भी बनवाया था। जब ये कैद में थे, तब गृहमंत्री ये दावा कर रहे थे कि इन्होंने अपनी मर्जी से आंदोलन को खत्म करने की बात कही है। जब मामला खुला तो प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया। प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि हजारों लोग सड़कों पर उतर गए। उन्होंने संसद भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा कर लिया। आज छात्रों को यही ग्रुप, शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने पर जश्न मना रहा है।

साथियों बात अगर हम शेख हसीना के इस्तीफ़े देने और देश छोड़ने की करें तो, शेख हसीना अमेरिका और चीन की परवाह किए बिना बांग्लादेश को राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत के तहत विकास के रास्ते पर आगे ले जा रही थी।जिसकी वजह से एशिया के कई देशों के मुकाबले विकास और हैप्पीनेस के मामले में बांग्लादेश बेहतर स्थिति में था, जो अमेरिका और चीन सहित पाकिस्तान की कई ताकतों को एकदम पसंद नहीं आ रहा था। बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन इतना बढ़ा कि शेख हसीना को अपनी सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा। वह भारत पहुंचीं और कई देशों से अपने लिए शरण की गुहार लगाती दिखीं। लेकिन बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है, वह बांग्लादेश तक ही सीमित है ऐसा नहीं है। क्योंकि, जब अमेरिकी डीप स्टेट, चीन और पाकिस्तान के साथ अन्य कई आतंकी ताकतें किसी देश में हस्तक्षेप करती हैं तो ऐसा ही होता है। इसका इसके पहले सबसे बेहतर उदाहरण अफगानिस्तान और श्रीलंका में हुआ तख्ता पलट है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई शेख हसीना की सरकार ने ये सोचा भी नहीं होगा कि पाकिस्तान की राह पर चलकर वहां भी सेना के इशारे पर तख्ता पलट की साजिश होगी और वह भी छात्र आंदोलन की आड़ में, जिसमें देश की आतंकी ताकतें भी शामिल होंगी।

साथियों बात अगर हम शेख के बेटे द्वारा मीडिया में इशारा बाहरी ताकतों की ओर करने की करें तो, सुपर पावर देश बांग्लादेश में एयरबेस के लिए जमीन मांग चुका था और शेख हसीना ने इससे इनकार कर दिया था। अमेरिका इससे नाराज था और वह चाहता था कि वह बांग्लादेश का चुनाव हार जाए। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं और अब अमेरिका को लग गया कि उनके हाथ से चीजें खिसक गई है और उन्होंने इस बात का समर्थन शुरू किया कि हसीना ने अलोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए। जबकि, यही अमेरिका पाकिस्तान में खान की चुनी हुई सरकार को गिराने और आर्मी की मदद से शरीफ की सरकार बनवाने के लिए आगे आई और वहां शाहबाज की सरकार का गठन कर अपना काम सीधा कर रहा है। उसे ऐसे में पाकिस्तान में लोकतंत्र दिखाई देता है और बांग्लादेश में सब कुछ अलोकतांत्रिक दिखाई देता है। शेख हसीना ने अपने दो दशक के कार्यकाल में भारत और चीन दोनों के साथ अपने संबंध बेहतर बनाए। भारत के साथ वह फ्री ट्रेड की राह पर भी बढ़ रही थी, लेकिन चीन को तो बांग्लादेश में बीआरई के लिए जमीन चाहिए थी। हसीना इसके लिए राजी नहीं थी, ऐसे में वह चीन को भी नाराज कर बैठी। ऐसे में हसीना घेरलू मोर्चे पर, इस्लामिक रेडिकलिज्म के मोर्चे पर घिरने के साथ ही विदेशी सुपर पावर की आंखों में भी खटकने लगी थी।

साथियों बात अगर हम बांग्लादेश में तख्ता पलट को बाहरी ताकतों का अंजाम के रूप में देखने की करें तो यह जो आंदोलन बांग्लादेश में देखने को मिला, यह केवल बांग्लादेश तक ही सीमित है, ऐसा सोचना हमारे लिए भी खतरनाक हो सकता है। क्योंकि, पश्चिमी देश जो दूसरे देशों के लोकतंत्र में हस्तक्षेप करते हैं तो उसका असर ऐसा ही होता है। शेख हसीना लोकतांत्रिक तरीके से चुनावी प्रक्रिया के जरिए चौथी बार चुनकर वहां की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन, वहां बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी और बांग्लादेश के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जमात उल-मुजाहिदीन, जमात-ए-इस्लामी यह पचा नहीं पा रही थी और फिर अमेरिकी डीप स्टेट, चीन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का जिस तरह से उन्हें सपोर्ट मिला, उसी की तस्वीरें हमको बांग्लादेश में नजर आ रही है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ब्रिटेन, केन्या, बांग्लादेश में हिंसात्मक आंदोलन- बांग्लादेश में तख्ता पलट भारत को रहना होगा हाईअलर्ट। भारत तेज़ी से विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर- विदेशी ताकतें ढूंढ रही है अटकाने के अवसर- अलर्ट पर हैं नहीं छोड़ेगे कोई कोर कसर! दुनियां में तेज़ी से विकास और हैप्पीनेस से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने के लिए, सटीक विदेश नीति, कूटनीति में विशेषज्ञ होना समय की मांग है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sixteen − eleven =