भारतवंशी कमला हैरिस बनाम डोनाल्ड ट्रंप- सर्वे में कांटे की टक्कर?

भारतीयों पर पहले विदेशी राज करते थे, अब शक्तिशाली देशों का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं
कमला हैरिस की जड़ें भारतीय परंपराओं से जुड़ी है- पूर्वजों के गांव थुलसेन्द्रपुरम में मिठाइयां बांटकर खुशियों के इजहार में भारतीयता की झलक सराहनीय- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में बदलते राजनीतिक परिपेक्ष की चपेट में अनेक देश आ चुके हैं, तो कुछ देश बाल बाल बच गए हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो अनेक देशों की सत्ता बदल गई है जिसमें ब्रिटेन, नेपाल, ईरान सहित कुछ देश है, तो भारत में भी सरकार बनाने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ा है, जिसका असर हमने बजट 2024 में भी दो राज्यों को बजट एलोकेशन की बौछार के रूप में देखें।यह विषय आज हम इसीलिए उठा रहे हैं, क्योंकि दिनांक 27 जुलाई 2024 को देर शाम भारतवंशी अमेरिकी राष्ट्रपति कमला हैरिस ने 5 नवंबर 2024 को अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी के लिए नामांकन भर दिया है, जिसके बारे में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओखा ओबामा व उसकी पत्नी ने डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में उनका समर्थन किया है। बता दें जो बिडेन ने राष्ट्रपति चुनाव रेस से हटने व कमला हैरिस का नाम आगे करते ही हैरिस ने जिन लोगों को समर्थन के लिए फोन किया था उसमें बराक ओबामा भी थे, उनके उम्मीदवारी पर हामीं भर दी गई है, फिर भी अंतिम निर्णय 19-22 अगस्त 2024 को शिकागो में होने वाले सम्मेलन में होगा।

बता दें कि शनिवार को जारी सर्वे रिपोर्ट में ट्रंप को 49 तो हैरिस को 47 प्रतिशत में दिखाया गया है, याने सर्वेक्षण की तुलना करें तो बड़ी टक्कर होने की पूरी संभावना है। परंतु भारतवंशी कमला हैरिस के पूर्वजों के गांव तमिलनाडु के थुलसेन्द्रपुरम में खुशी का माहौल बन गया है पूजा अर्चना शुरू हो गई है, बैनर लग गए हैं और पूरी उम्मीद की जा रही है कि उनकी बेटी कमला हैरिस राष्ट्रपति चुनाव जरूर जीतेगी, जो रेखांकित करने वाली बातहै। यह जानकारी प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया से मैंने निकाला हूं। चूंकि कमला हैरिस की जड़े भारतीय परंपराओं से जुड़ी है, पूर्वजों के गांव थुलसेन्द्रपुरम में मिठाइयां बांटकर खुशीयों के इजहार में भारतीयता की झलक सराहनीय है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीयों पर पहले विदेशी राज करते थे अब शक्तिशाली देशों का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं। भारतवंशी कमला हैरिस बनाम डोनाल्ड ट्रंप सर्वे में कांटे की टक्कर?

साथियों बात अगर हम भारतवंशी के संभावित अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरिस के भारतीय कनेक्शन की करें तो कमला हैरिस ने नवंबर में होने वाले आमचुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए नामांकन भरा। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी ने यह कहते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उनका समर्थन किया कि उनकी दोस्त अमेरिका की एक शानदार राष्ट्रपति होंगी। अमरीका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से दावेवार होने से आम समर्थक अमरीकी मतदाताओं के साथ साथ प्रवासी और अप्रवासी भारतीयों में भी उल्लास का माहौल है। पिछली बार जब वे उप राष्ट्रपति बनी थीं तो तमिलनाडु में उनके पूर्वजों के गांव थुलसेन्द्रपुरम में जश्न मनाया गया था। उनके प्रति दीवानगी का आलम यह है कि मंदिर की एक दीवार पर दानदाताओं की लिस्ट लगी हुई है। इस पर कमला हैरिस का नाम भी लिखा हुआ है। यह दिगर बात है कि कमला हैरिस कभी इस गांव नहीं आईं।

पुजारी ने मीडिया में बताया कि पिछली बार जब वह उप-राष्ट्रपति बनी थीं, तब हमने जश्न मनाया था। अब वे जब राष्ट्रपति बनेंगी तो यह जश्न और भी बड़ा होगा। हमें उम्मीद है कि बतौर राष्ट्रपति वह एक बार गांव जरूर आएंगी। गांव में रहने वाले एक सरकारी कर्मचारी ने बताया कि कमला हैरिस का नाम जुड़ा होने की वजह से उनके गांव को काफी फायदा मिला है। एक लोकल बैंक ने गांव के जलाशय को ठीक करवाने के लिए 1 करोड़ रुपए दान किए थे। ये सिर्फ हैरिस की वजह से ही हो सका। वैसे भी दान, मंदिर में पूजा-अर्चना और प्रसाद के लिए पूरे गांव से लोग सामान दान करते हैं। हैरिस के नाना दशकों पहले इस गांव में रहते थे। लेकिन गांववालों ने बताया कि उनके जाने के बाद भी उनका परिवार हमेशा संपर्क में रहा। वे मंदिर और गांव की देखरेख के लिए पैसे भी दान करते रहे हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी से उम्मीदवार बनना तय माना जा रहा है। इस बीच कमला के ननिहाल तमिलनाडु का थुलसेन्द्रपुरम गांव उनके समर्थन में लगे पोस्टरों से पटा हुआ है। कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन इसी गांव के रहने वाले थे। गांव के दरवाजे पर ही एक मंदिर के बाहर कमला हैरिस की तस्वीर के साथ एक बैनर लगा है। बाइडेन के राष्ट्रपति पद की रेस से पीछे हटते से ही इस मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी, जो अमेरिका में वोटिंग के दिन तक जारी रहेगी। मंदिर के मुख्य पुजारी ने सूर्योदय के कुछ घंटों बाद, हिंदू देवता धर्मसस्थ को मिठाई और चावल की खीर का प्रसाद चढ़ाकर पूजा की। 61 साल के पुजारी ने कहा, हमने पहले भी उनके लिए पूजा की थी और वह अमेरिका की उप-राष्ट्रपति बन गईं। हमारे भगवान के आशीर्वाद से वे राष्ट्रपति भी बनेंगी।

तमिलनाडु में पैदा हुई थीं कमला हैरिस की मां, अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस 59 साल की हैं। उनका जन्म कैलिफोर्निया में हुआ था, लेकिन उनकी मां कई बार उन्हें भारत ला चुकी हैं। कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन ईसाई धर्म को मानती हैं, जबकि उनके पिता यहूदी हैं। श्यामला एक ब्रेस्ट कैंसर रिसर्चर हैं, जो बाद में तमिलनाडु से जाकर अमेरिका में बस गई थीं। कमला के पिता जमैका-अमेरिका मूल के डोनाल्ड जे हैरिस हैं। श्यामला और डोनाल्ड की शादी 1963 में हुई थी।1964 में कमला हैरिस का और 1966 में उनकी बहन माया का जन्म हुआ था। 1970 में पिता डोनाल्ड से तलाक के बाद मां श्यामला ने ही कमला और उनकी बहन माया की अकेले परवरिश की। कमला ने 2014 में अमेरिकी वकील डौग एम्होफ से शादी की थी।

साथियों बात अगर हम कमला हैरिस के पूर्वजों के गांव तमिलनाडु के थुलसेन्द्रपुरम में मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाने की करें तो, कमला हैरिस के 19-22 अगस्त 2024 को पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार घोषित होने की पुरज़ोर संभावना है। लिहाज़ा भारत में हैरिस के नाना-नानी के गांव में चुनाव को लेकर दिलचस्पी बेहद बढ़ गई है। एसोसिएटेड प्रेस के सर्वे के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार बनने के लिए कमला हैरिस को काफ़ी डेमोक्रेट डेलीगेट्स का समर्थन मिला है। 59 वर्षीय कमला हैरिस की फ़ोटो के साथ एक बड़ा बैनर सोमवार को गांव के बीचोंबीच लगाया गया है। गांव के मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है, मिठाइयां बांटी जा रही हैं। रिटायर्ड बैंक मैनेजर कहा, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में इस जगह पहुंचना कोई मज़ाक की बात नहीं है। कमला हैरिस पर हमलोगों को गर्व है। पहले भारतीयों पर विदेशी राज करते थे और अब शक्तिशाली देशों का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं। कमला हैरिस के 2020 में उपराष्ट्रपति बनने पर गांव में ख़ूब आतिशबाज़ी की गयी थी। पोस्टर और कैलेंडर लगाए गए थे। एक सामुदायिक भोज का भी आयोजन किया गया था जिसमें सैकड़ों लोगों को दक्षिणी भारत का पारम्परिक डिश इडली-सांबर खिलाया गया था।

हैरिस के एक रिश्तेदार के अनुसार सांबर-इडली हैरिस का पसंदीदा भोजन है, हालांकि कमला हैरिस कभी भी इस गांव में नहीं आईं लेकिन गांव वालों का जोश कम नहीं है। हैरिस चेन्नई तो आयी हैं लेकिन गांव कभी नहीं गईं। गांववालों का कहना है कि अब कोई उनका एकदम से नजदीकी रिश्तेदार यहां नहीं रहा फिर भी खासकर महिलाओं में एक गर्व का भाव है। हैरिस को वो अपनों की तरह देखती हैं और एक प्रतीक के रूप में भी देखती हैं कि महिलाओं के लिए कहीं भी कुछ भी असंभव नहीं है। गांव के स्थानीय निकाय प्रतिनिधि कहती हैं कि गांव में सब जानते हैं उन्हें, यहाँ तक कि बच्चे भी जानते हैं। गांव में सब उन्हें अपनी दीदी कहकर बुलाते हैं। वो कहती हैं, हमलोग ख़ुश हैं की हैरिस अपनी जड़ों को नहीं भूली हैं इस गांव में रहने वाले एक और शख़्स का कहना है कि अगर कमला हैरिस अमेरिका की राष्ट्रपति बनती हैं तो तमिलनाडु सरकार को यहां अमेरिकी निवेश लाने की कोशिश करनी चाहिए।कमला हैरिस की जड़ें भारतीय परंपराओं से जुड़ी हैं।

एक अंग्रेजी अख़बार में छपी ख़बर के मुताबिक़, माँ की मृत्यु के बाद वो हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक़ उनकी अस्थियां समुद्र में प्रवाहित करने अपनी बहन के साथ चेन्नई आयी थीं। 2021 में अमेरिका की पहली महिला, पहली ब्लैक और दक्षिण एशियाई मूल की उपराष्ट्रपति बनी कमला हैरिस ने इतिहास रच दिया था। कमला हैरिस की मां तमिलनाडु की ब्रेस्ट कैंसर रिसर्चर श्यामला गोपालन 1958 में अमेरिका चली गईं थीं, उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के थे। 2023 में कमला हैरिस ने ट्वीट किया था। 19 वर्ष की आयु में मेरी माँ श्यामला अमेरिका अकेली आ गयी थीं, वो एक शक्ति थीं- एक वैज्ञानिक, सिविल राइट एक्टिविस्ट माँ थी जिसने अपनी दोनों बेटियों में गर्व के भाव भरे। कमला हैरिस एक विशिष्ट परिवार से आती हैं। उनके मामा गोपालन बालाचंद्रन एक विद्वान व्यक्ति थे। उनके नाना पीवी गोपालन भारतीय सिविल सर्विसेज अधिकारी थे, जिनकी विशेषज्ञता विस्थापितों के पुनर्वास जैसे विषयों में थी। 1960 में उन्होंने जाम्बिया के पहले राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में सेवाएं दी थीं। व्हाइट हाउस में सेवाएं देने से पहले कमला हैरिस कैलिफ़ोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं और अमेरिकी सीनेट के सदस्य के रूप में काम किया था।

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफे़सर और श्यामला गोपालन के क्लासमेट प्रोफे़सर आर. राजाराम ने बताया वो एक अहम शख्सियत हैं। कई सालों से ऐसा लग रहा था कि वो कुछ महत्वपूर्ण करने वाली हैं। कमला के नाना-नानी के गांव वालों को उम्मीद है बहुत जल्द ही हैरिस की उम्मीदवारी का एलान हो जाएगा। ग्रामीण देवी-देवताओं को दूध और हल्दी चढ़ा रहे हैं। कमला हैरिस के गांव से कनेक्शन को लेकर गांव वाले मीडिया में बयान और इंटरव्यू भी ख़ूब दे रहे हैं।मंदिर के पुजारी के अनुसार कमला की मां की छोटी बहन सरला इस मंदिर में नियमित रूप से आती हैं। 2014 में सरला ने कमला हैरिस के नाम से 5,000 का दान दिया। नटराजन इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि 2020 के चुनाव में उप-राष्ट्रपति की तरह इस बार भी उनकी पूजा कमला हैरिस को राष्ट्रपति के चुनाव में जीत दिलवाएगी।गांव वालों का कहना है कि अमेरिका से हज़ारों मील दूर होकर भी गांव वाले कमला हैरिस से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। गांव वालों को उम्मीद भी है कि कमला हैरिस उनसे मिलने आएंगी या उनके भाषण में उनके गांव का ज़िक्र होगा।

साथियों बात अगर हम कमला हैरिस द्वारा अपनी उम्मीदवारी घोषित कर राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए फॉर्म साइन करने की करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की उम्मीदवारी छोड़ने के 5 दिन बाद कमला हैरिस ने आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी घोषणा की। उन्होंने पोस्ट कर लिखा मैंने राष्ट्रपति पद के लिए फॉर्म पर साइन कर दिया है। मैं हर वोट हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी और इस साल नवंबर में हमारी की पार्टी की जीत होगी। ओबामा बोले- जीत दिलाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे। बाइडेन के ऐलान के 2 दिन बाद 23 जुलाई को ही कमला ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी से जरूरी डेलिगेट्स का समर्थन हासिल कर लिया था। हालांकि ओबामा, कमला के नोमिनेशन पर चुप्पी साधे हुए थे। उन्होंने बाइडेन के बैकआउट से 4 दिन बाद कमला को समर्थन दिया। इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी में मिशेल ओबामा को प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट बनाए जाने की बातें चल रही थी। हालांकि मिशेल ने एक इंटरव्यू में राजनीति से दूर रहने की बात कहते हुए सभी अटकलों को खारिज कर दिया था। अब डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने के लिए अगस्त में वोटिंग होगी, जिसके बाद आधिकारिक तौर पर उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कमला की जीत लगभग तय है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतवंशी कमला हैरिस बनाम डोनाल्ड ट्रंप-सर्वे में कांटे की टक्कर? भारतीयों पर पहले विदेशी राज करते थे, अब शक्तिशाली देशों का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं। कमला हैरिस की जड़ें भारतीय परंपराओं से जुड़ी है- पूर्वजों के गांव थुलसेन्द्रपुरम में मिठाइयां बांटकर खुशियों के इजहार में भारतीयता की झलक सराहनीय है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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