उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा के अवसर पर राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भारतीय परंपरा में गुरु तत्व की महत्ता पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने कहा, आज सम्पूर्ण एशिया की समृद्ध गुरु शिष्य परम्परा का प्रतिनिधि पावन पर्व है, गुरु पूर्णिमा। इस संसार में वही व्यक्ति दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से मुक्ति पा सकता है, जिसका कोई श्रेष्ठ गुरु हो। आदर्श गुरु वह है जो शिष्य के व्यक्तित्व में व्यापक परिवर्तन लाता है।
मुख्य अतिथि के रूप में पदमचंद गांधी, जयपुर ने अपना मंतव्य देते हुए कहा, शिष्य कैसा भी हो गुरु उसे पावन कर देता है, उसकी असीम शक्ति को जगाता है। वास्तविक गुरु समभाव रखता है। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. रणजीत सिंह अरोड़ा, पुणे महाराष्ट्र ने कहा, देहधारी गुरु काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त नहीं हो सकता, इसलिए ग्रंथ को ही गुरु मान लिया है। गुरु ग्रंथ साहब पूरी सृष्टि के गुरु है।
विशिष्ट अतिथि, श्री बृजकिशोर शर्मा, पूर्व शिक्षा अधिकारी, संरक्षक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, गुरु मोह को समाप्त करता है। खाने से मोह होता है तो शरीर पीड़ित होता है। जब धन से मोह होता है तो, आचरण भ्रष्ट होता है। संपदा, राज्य और वर्चस्व से मोह होता है तो, नीति और न्याय मरने लगते हैं। जब पाप कर्मों से मोह होता है तो पुण्य क्षीण होने लगते हैं, जब स्वयं से मोह होता है तो अहंकार बढ़ने लगता है।
अध्यक्षीय भाषण में सुवर्णा जाधव, कार्यकारी अध्यक्ष, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा, जीवन में समय-समय पर जो हमें मार्ग दर्शन करता है, वह हमारा गुरु होता है। मेरे गुरु ने किताबों की दुनिया से बाहर देखना सिखाया। विशिष्ट अतिथि डॉ. दक्षा जोशी, गुजरात ने कहा, किसी न किसी रूप में आज भी वेदव्यास हमारे साथ उपस्थित रहते हैं। विशिष्ट वक्ता, डॉ. प्रभु चौधरी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा कि हमारे गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने बताया कि पुस्तकें जीवंत देव प्रतिमाएं एवं साहित्य में गुरु उपस्थित होते हैं।
अन्य विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, ने कहा, चाणक्य, गुरु वशिष्ठ , गुरु सांदीपनि, स्वामी विवेकानंद जी, सावित्रीबाई फुले, गुरु नानक जैसे अनेक महान गुरुओं के प्रयासों से भारत ने अनेकों बार ज्ञान और समृद्धि की पराकाष्ठा को छुआ है। डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, छत्तीसगढ़ ने कहा, गुरु शिष्य परंपरा का आधार सांसारिक ज्ञान से शुरू होता है और चरमोत्कर्ष मुक्ति तक पहुंचता है। शशि त्यागी, उत्तर प्रदेश ने कहा, बच्चे मां को अपना प्रथम गुरु मानें। डॉ. अनसूया अग्रवाल, अध्यक्ष महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, आज गूगल गुरु और लर्निंग एआई ने पारंपरिक गुरु के कार्यों को परिवर्तित कर दिया है।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अरुणा सराफ, प्रदेश महासचिव, इंदौर, मध्य प्रदेश की सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. कृष्णा मणिश्री, मैसूर ने अतिथि परिचय एवं आभार व्यक्त डॉ. शहनाज शेख, नांदेड़ महाराष्ट्र महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। कार्यक्रम में डॉ. हरि सिंह पाल, महामंत्री नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली डॉ. देवदास बामने, महाराष्ट्र, प्रो. प्रकाश शंकर राव कोल्हापुर, महाराष्ट्र , दीनबंधु आर्या और उपमा आर्या आदि उपस्थित रहे।
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